पुराने समय में ऐसा होता रहा है कि कभी बुद्ध, कभी जीसस या कभी विवेकानंद अपने विजन के साथ आगे आए और बाकी लोग जाने-अनजाने उनके पीछे-पीछे चल पड़े। लेकिन, अब ऐसी स्थिति है कि सबके दिमाग सक्रिय हैं। मानवता के इतिहास में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ, जब इंसानी दिमाग इतने सक्रिय हुए हों। यह एक असाधारण संभावना है और साथ ही एक जबरदस्त खतरा भी। दिशाहीन, बेतरतीब और बेकाबू दिमाग दुनिया को कहीं ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं। आधुनिक विज्ञान ने काफी कुछ किया है, लेकिन बेहतरीन इंसान को कैसे बनाया जाए, इस पर आधुनिक विज्ञान ने ध्यान नहीं दिया है।
एक अच्छी मशीन कैसे बनाएं, अच्छा कंप्यूटर कैसे बने, अच्छे कारखाने कैसे लगें, तमाम तरह की उपयोगी चीजें कैसे बनाई जाएं, इन सब बातों पर तो विज्ञान ने पूरा ध्यान दिया है, लेकिन एक बेहतरीन इंसान कैसे बनाया जाए, विज्ञान ने इस बात को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है।
योग विज्ञान यही बताता है कि अच्छा इंसान कैसे बनाएं। जब तक हमारे आस-पास अच्छे लोग नहीं होंगे, हमारा जीवन अच्छा नहीं हो सकता। सुख के अपूर्व और बेमिसाल साधन हमारे पास आ चुके हैं, लेकिन इनके साथ ही मानवता के लिए अपूर्व खतरे भी पैदा हुए हैं।
आज हालत यह हो गई है कि अगर किसी मूर्ख का दिमाग सनक जाए, तो वह सिर्फ एक बटन दबाकर पूरी दुनिया को खत्म कर सकता है। इसलिए अब वक्त आ चुका है जब पूरी की पूरी मानव जाति अपने दिमाग में एक विशाल विजन, एक व्यापक नजरिया निश्चित करे। हर किसी के दिमाग में अपना एक निजी नजरिया होता है और यही निजी नजरिया सारे झगड़ों की जड़ है। मेरा अपना अलग नजरिया है, आपका अपना अलग। अब हम आपस में इस बात को लेकर झगड़ा करने लगते हैं कि किसका नजरिया बेहतर है। हमारे नजरिए ऐसे होने चाहिए कि कहीं भी कोई टकराव न हो। हमारा लक्ष्य ऐसा हो कि पूरी की पूरी मानव जाति उसे पाने की कोशिश में लग जाए। हम हर किसी के मन में एक ऐसी सोच पैदा करना चाहते हैं, जिससे शांति, प्रेम और आनंद से भरपूर दुनिया की रचना की जा सके। इसमें आपस का टकराव नहीं होगा।
हम अपना व्यापार चलाना चाहते हैं, हम अपना परिवार चलाना चाहते हैं, हम एक देश को चलाना चाहते हैं, हम तमाम दूसरी चीजें करना चाहते हैं। ठीक है, ये सब दूसरे दर्जे की बातें हैं। बुनियादी बात एक ऐसे विश्व का निर्माण करना है, जो प्रेम, आनंद और शांति से भरा हो। नया साल हमारे लिए एक मौका है कि हम अपना लक्ष्य इस तरह से निश्चित करें कि हजारों लोग उसी लक्ष्य को अपना लें।