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Patrika Opinion: सक्रियता से ही साइबर अपराधों पर रोक संभव

आए दिन देश के अलग-अलग हिस्सों में हर वर्ग के लोग साइबर ठगी का शिकार बन रहे हैं जिनमें अधिकांश मामले तो पुलिस तक पहुंचते ही नही हैं। ऐसे मामलों में ठग अपने आपको सीबीआइ या ईडी का अधिकारी बताते हैं। इनका शिकार अधिकतर वे ही लोग होते हैं जिन्हें कोई डर होता है और वे पुलिस के पास जाने से घबराते हैं। यदि पुलिस अपना असहयोगात्मक रवैया छोड़ देगी, तो लोगों का डर और झिझक भी खत्म होगी।

जयपुरSep 30, 2024 / 10:26 pm

Nitin Kumar

file photo

साइबर अपराध जिस गति से हमारे समाज को चपेट में ले रहे हैं, क्या उनसे निपटने के लिए हम पूरी तरह से तैयार हैं? ये सवाल आम भारतीय के मन को कचोटता जरूर है। लेकिन उससे भी बड़ा और अहम सवाल ये कि आखिर पढ़े-लिखे व्यक्ति इन अपराधियों की गिरफ्त में आ कैसे जाते हैं? साइबर अपराध से जुड़ा ताजा मामला चौंकाने वाला है। साइबर ठगों ने सुप्रीम कोर्ट के फर्जी वारंट से देश के एक बड़े उद्योगपति से सात करोड़ रुपए ठग लिए। जिस उद्योगपति को ठगा गया, वह देश में न सिर्फ जाने-पहचाने हैं, बल्कि पद्मभूषण से सम्मानित भी हैं। ठगों ने उद्योगपति को गिरफ्तार करने के साथ उनकी संपत्ति जब्त करने का भय दिखाकर इस ठगी को अंजाम दिया। इन ठगों ने उद्योगपति को सीबीआइ और ईडी की धौंस भी दी। ये मामला चूंकि जाने-माने उद्योगपति का था तो अखबारों की सुर्खियां बन गया। पुलिस भी हरकत में आई और रविवार को न केवल दो अपराधियों की गिरफ्तारी बल्कि ठगों के अकाउंट से ५.२ करोड़ रुपए बरामद कर लेने का खुलासा किया।
इस एक घटना से अनेक सवाल खड़े होते हैं जिनका जवाब आम लोगों को और पुलिस को मिलकर तलाशना होगा। क्या उद्योगपति को सुप्रीम कोर्ट के फर्जी वारंट के मामले में सात करोड़ रुपए देने से पहले पुलिस से संपर्क नहीं करना चाहिए था? बिना किसी अपराध के सुप्रीम कोर्ट किसी के खिलाफ कैसे कोई वारंट जारी कर सकता है? आए दिन देश के अलग-अलग हिस्सों में हर वर्ग के लोग साइबर ठगी का शिकार बन रहे हैं जिनमें अधिकांश मामले तो पुलिस तक पहुंचते ही नही हैं। ऐसे मामलों में ठग अपने आपको सीबीआइ या ईडी का अधिकारी बताते हैं। इनका शिकार अधिकतर वे ही लोग होते हैं जिन्हें कोई डर होता है और वे पुलिस के पास जाने से घबराते हैं। यदि पुलिस अपना असहयोगात्मक रवैया छोड़ देगी, तो लोगों का डर और झिझक भी खत्म होगी।
पुलिस को ऐसे अपराधों से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है पर साइबर ठग नित नए तरीके अपना कर अपना शिकार तलाशने में सफल हो रहे हैं। जाहिर है कि ऐसे अपराधों को रोकने के लिए आम आदमी को भी जागरूक करने की जरूरत है। यदि लोग साइबर ठगी के तौर-तरीकों से अवगत होंगे और वे ठगी की आशंका होते ही पुलिस से संपर्क साधेंगे तो साइबर अपराधों पर बहुत हद तक लगाम लगाई जा सकेगी। पुलिस और जांच एजेंसियों की सक्रियता का ही नतीजा है कि साइबर अपराधों के मामलों में सोमवार को देश में 32 ठिकानों पर छापेमारी और 26 लोगों की गिरफ्तारी का खुलासा हुआ। निस्संदेह पुलिस और आमजन की जागरूकता, सतर्कता और सक्रियता से ही साइबर ठगों के जाल को काटा जा सकेगा।

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