एक अनुमान के मुताबिक भारत में करीब 25 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें 79 फीसदी पुरुष तो 21 फीसदी महिलाएं हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा तंबाकू उपभोक्ता है, तो चीन और ब्राजील के बाद सबसे बड़ा उत्पादक भी है। अपने देश में हर साल करीब चौदह लाख लोगों की मौत का भी कारण तंबाकू ही बन रहा है। तंबाकू के सेवन से होने वाली मौतों में लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 1987 में तंबाकू निषेध दिवस मनाने का फैसला किया था। अगले वर्ष यानी 1988 में पहली बार 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया गया।
इसके तहत तंबाकू के सेवन की रोकथाम और इसकी लत छोडऩे में सहयोग करने के लिए उचित कदम उठाने थे। इसका उद्देश्य भी यही था कि किसी तरह लोगों में जागरूकता लाकर इससे दूरी बनाई जाए। तंबाकू के सेवन से कई गंभीर और जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। कैंसर के अलावा हृदय रोग और इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी बीमारियां भी इसी की देन हंै। धूम्रपान से धमनियां कमजोर होने लगती है़ और कोरोनरी हार्ट डिजीज और ब्रेन स्ट्रोक भी हो सकता है। कुछ अध्ययन में बढ़ रहे हार्ट अटैक के लिए धूम्रपान को भी एक संभावित कारण बताया गया है। इसके अलावा अस्थमा, प्रजनन संबंधी समस्या, अंधापन, मोतियाबिंद आदि की वजह भी इसे माना जाता है।
वैसे तो सरकार ने राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत की थी।
यही नहीं कई अभियान भी चलाए जिसका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना, तंबाकू उत्पादों के उत्पादन और आपूर्ति को कम करना था। इनका व्यापक असर नहीं दिखा। बच्चों को स्कूली किताबों के माध्यम से तंबाकू के दुष्परिणामों की अधिक से अधिक जानकारी दी जाए। नेता, सेलिब्रिटी और रोल मॉडल, तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन से दूर रहें। सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करने वालों पर चालान किया जाए। तंबाकू के विज्ञापनों पर सख्ती से रोक लगे। तंबाकू छुड़ाने के लिए चिकित्सकों को सक्रिय किया जाए। व्यक्ति को को भी इसके लिए मन से पक्का होना होगा।
निकोटीन के लिए रिप्लेसमेंट दवा का उपयोग करें, थोड़ा खुद की इच्छा पर कंट्रोल करें या फिर शुगर फ्री गम चबाकर इससे दूर रहने का प्रयास करें। इसे छोडऩे के फायदे हजार हैं। इसलिए इससे दूर ही रहें।
— डॉ. ईश मुंजाल