भारत में संख्यात्मक दृष्टि से उच्च शिक्षण संस्थाएं और इनमें पढऩे वालों की तादाद भले ही उल्लेखनीय हो लेकिन गुणात्मक दृष्टि से इनकी तस्वीर उजली नहीं है। शायद यही वजह है कि कुछ पड़ोसी देशों के विद्यार्थियों को छोड़ दें तो दुनिया के दूसरे देशों के विद्यार्थियों के लिए हमारे उच्च शिक्षा केंद्रों का आकर्षण […]
भारत में संख्यात्मक दृष्टि से उच्च शिक्षण संस्थाएं और इनमें पढऩे वालों की तादाद भले ही उल्लेखनीय हो लेकिन गुणात्मक दृष्टि से इनकी तस्वीर उजली नहीं है। शायद यही वजह है कि कुछ पड़ोसी देशों के विद्यार्थियों को छोड़ दें तो दुनिया के दूसरे देशों के विद्यार्थियों के लिए हमारे उच्च शिक्षा केंद्रों का आकर्षण नहीं बन पाया है। भारत को दुनिया में उच्च शिक्षा का हब बनाने के लिए भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश चाहने वाले विदेशी विद्यार्थियों व उनके परिजनों के लिए दी जाने वाली वीजा की विशेष व्यवस्था को इसी आकर्षण को बढ़ाने की दिशा में सकारात्मक पहल कहा जा सकता है। भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के इच्छुक विदेशी विद्यार्थी अब स्टडी इन इंडिया (एसआइआइ ) पोर्टल पर वीजा के लिए आवेदन कर सकेंगे। ई-स्टूडेंट वीजा विद्यार्थियों के लिए होगा जबकि ई-स्टूडेंट-एक्स वीजा उनके साथ आने वाले माता-पिता या जीवन साथी को मिल सकेगा।
यह सच है कि पिछले वर्षों में देश में बेहतर उच्च शिक्षा और बेहतर शिक्षा केंद्र बनाने की दिशा में प्रयास हुए हैं। इसी का नतीजा है कि देश के कुछ शहरों की पहचान शिक्षा हब के रूप में बनी है। फिर भी भारत को उच्च शिक्षा का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में अभी ठोस काम करने की जरूरत है। न केवल गुणवत्ता युक्त उच्च शिक्षा केंद्र बनाने होंगे बल्कि ये प्रयास भी करने होंगे कि विदेशी विद्यार्थियों को आकर्षित करने के साथ-साथ उन भारतीय विद्यार्थियों को भी देश में ही रोका जाए जो उच्च शिक्षा की राह दुनिया के दूसरे देशों में देखते हैं। विदेश में 13 लाख से ज्यादा भारतीय विद्यार्थियों का पढ़ाई के लिए जाना बताता है कि ये विद्यार्थी भी भारत में बेहतर शिक्षण संस्थान के उपलब्ध न होने पर ही वहां जा रहे हैं। चिंता इस बात की भी है कि इनमें से अधिकांश बाद में अपनी रोजी-रोटी भी वहीं या दुनिया के किसी दूसरे देश में तलाश लेते हैं। यहीं से प्रतिभा पलायन की समस्या भी हमारे देश के सामने दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।
ऐसे में बड़ी जरूरत इस बात की भी है कि हम इस प्रतिभा पलायन को रोकने के सख्ती से प्रयास करें। कहा तो यह भी जा रहा है कि वर्ष 2030 तक दुनिया को सबसे ज्यादा स्किल्ड मैनपावर उपलब्ध कराने वाला देश भारत ही होगा। यह भी तब ही संभव होगा जब हम अपने देश में ही प्रतिभाओं को तराशने का काम करें। संतोषजनक तथ्य यह जरूर है कि विदेशी पेशेवरों में इस बात के लिए आकर्षण बढ़ा है कि वे भारत में काम करें। विदेशी विद्यार्थी भारतीय उच्च शिक्षण केंद्रों में दाखिला लेंगे तो यह आकर्षण और बढ़ेगा, इतना तय है।
Hindi News / Prime / Opinion / Patrika Opinion : पलायन रोक देश में ही तराशनी होंगी प्रतिभाएं