बात सिर्फ कोचिंग संस्थानों की ही नहीं, सार्वजनिक आवाजाही वाले सभी केन्द्रों पर सुरक्षा मानदण्डों की अनदेखी कभी भी जानलेवा साबित हो सकती है। बाहर से आलीशान-सी दिखने वाली इमारतें भीतर से मौत का साजो-सामान लिए हों तो दोष किसे दें? बड़ा सवाल इस बात का भी है कि हादसे के बाद दिखाई जाने वाली सक्रियता आखिर ऐसे किसी भी संस्थान के संचालन की अनुमति देते वक्त क्यों नहीं दिखाई जाती?