हम बात कर रहे हैं – 9 दिसंबर से शुरू होने वाले निवेश (इन्वेस्टमेंट) समिट की । इस बार इसे नाम दिया गया है- ‘राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट ग्लोबल समिट। पहली बार राजस्थान के सामने बहुत अच्छा मौका है। डबल इंजन सरकार है- यानी केंद्र और राज्य, दोनों जगह एक ही पार्टी की सरकार है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसका उद्घाटन करने आ रहे हैं। राज्य सरकार के पास काम करने को बहुत समय है। सम्मेलन के बाद तुरंत कदम उठाने लग जाएं तो चार साल में बहुत बड़ी छलांग लगाई जा सकती है। राजस्थान को देश के अग्रणी चार-पांच राज्यों की कतार में खड़ा किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस बार स्वयं कमान संभाल रखी है। उपमुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और अफसरों के साथ जापान, दक्षिणी कोरिया, इंग्लैंड, जर्मनी, अमरीका, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात आदि देशों में जाकर राजस्थान में दुनियाभर से निवेश लाने की आधारभूमि भी तैयार कर चुके हैं। देश के भीतर भी विभिन्न राज्यों में रोड शो कर वातावरण बनाया गया है। निवेश सम्बन्धी नई नीतियां भी समिट से पहले लाने की तैयारी है।
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तैयारी पूरी है, पर परीक्षा का असली समय अब शुरू होगा। 2011, 2015 और 2018 में भी निवेश सम्मेलन हो चुके हैं। इन सम्मेलनों में जो एमओयू हुए, उनमें से 20 प्रतिशत निवेश भी धरातल पर नहीं आया। ऐसी स्थिति फिर नहीं आनी चाहिए। सरकार ने विभिन्न अफसरों को अलग-अलग देशों की जिम्मेदारी दी है। पर वे गंभीरता से जिम्मेदारी निभाते हैं या नहीं, इस बात पर कड़ी नजर रखनी होगी। ऐसा ना हो जिम्मेदारी के नाम पर सैर-सपाटा तो हो जाए, पर वांछित परिणाम निकले ही नहीं। उन कारणों में भी जाना होगा, जिनके कारण पिछले वर्षों में ज्यादातर निवेशक लौट गए हैं। जबकि गुजरात जैसे पड़ोसी राज्य में निवेश के लिए लोग कतार लगा कर खड़े हैं। ‘सिंगल विंडो’ जैसी प्रक्रियाएं हमारे यहां हाथी के दिखाने के दांत बन कर रह गए। खाने के दांत ‘कमीशनखोरी’ ही बने रहे। ऐसा भी ना हो कि निवेश के मामले में सिर्फ जयपुर और भिवाड़ी को ही ध्यान में रखा जाए। राजस्थान बहुत बड़ा राज्य है। निवेश भी हर जगह होना चाहिए। केंद्र ने जी-20 करवाया था तो देश में जगह-जगह बैठकें हुई थीं। ऐसा ही कार्यक्रम इस समिट में भी बनाना चाहिए। सौर ऊर्जा, पर्यटन, कृषि आधारित उद्योग, चिकित्सा, शिक्षा, पेट्रोकेमिकल, खान व खनिज, वस्त्र, हैंडीक्राफ्ट – जैसे बीसियों संभावनाओं वाले क्षेत्र हैं, जो पूरे राज्य में बिखरे हुए हैं। सब पर ध्यान देना जरूरी है।
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निवेश के लिए राज्य में अच्छा वातावरण बनाना है तो स्थानीय उद्योग-धंधों की भी खैर-खबर लेनी होगी। क्या कोई भी स्थानीय उद्योग ऐसा नहीं है, जिसे बड़ा बनाया जा सकता था। ये उद्योग किस तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं उन्हें हल करने में हमारी सरकारों ने कितनी रुचि दिखाई? जब घर में असंतोष झलकेगा, तो मेहमान क्यों आएंगे। निवेशकों को बिजली, पानी, जमीन, परिवहन के साधन आदि सुलभ कराने के लिए कितने प्रयास हुए? निवेश सम्मेलन की सफलता के लिए शुभकामनाएं। तैयारी अच्छी है, पर स्वागत की जाजम के नीचे भी अच्छी तरह सफाई हो। वरना जाजम उठते ही दीमक बाहर आ जाएगी।