बाघ प्रजनन ही कारण नहीं-
कुछ पर्यावरणविदों के दावों के विपरीत पर्यवेक्षण के आधार पर जुटाए गए साक्ष्य बताते हैं कि भारत में बाघों के प्रजनन के लिए सबसे अच्छा मौसम शरद-वसंत ऋतु का होता है, बारिश का नहीं। हाथी प्रजनन बारिश पैटर्न से जुड़ा है। राजाजी टाइगर रिजर्व में हाथियों के व्यवहार पर 2009 में प्रकाशित एक शोध में कहा गया था कि मई से जुलाई शुरू की अवधि हाथियों के प्रजनन का पीक सीजन है। चिंता का विषय बाघ प्रजनन ही नहीं है। बारिश के दौरान कई अन्य प्रजातियां प्रजनन करती हैं जो पारिस्थितिकी तंत्र या खाद्य शृंखला के संतुलन के लिए अहम है। इसके अलावा पर्यटन के चलते शोर व प्रदूषण से भी वन्यजीवन को अवकाश की दरकार होती है। ऐसे में बारिश का मौसम इस अवकाश को सुनिश्चित करने के लिए सबसे सुविधाजनक समय है।
बंद रखने के हैं ठोस कारण-
इंसानी गतिविधियों और उनसे उत्पन्न खतरों के मद्देनजर वन्यजीव पार्कों को बंद करना जरूरी समझा जाता है। दुनियाभर में वाइल्डलाइफ पार्क मौसम के मुताबिक बंद रखे जाते हैं। उष्णकटिबंधीय वनों में मानसून की वजह से रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं। भारत में पुराने समय में शिकारियों ने भी बरसात के महीनों को ऑफ-सीजन के रूप में चुना था। जानवरों की आबादी बढ़े, यह भी उद्देश्य था। कर्नाटक के नागरहोल व बांदीपुर टाइगर रिजर्व शुष्क गर्मी में जानवरों को तनाव और जंगलों को आग से बचाने के लिए बंद रखे जाते हैं। उत्तर में, बरसात के महीने सबसे चुनौतीपूर्ण होते हैं। मौसमी नालों से पुलिया और सड़कें भी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
जोखिमपूर्ण हो सकता है कदम-
बारिश के महीनों में पर्यटकों के लिए नेशनल पार्क खोलने से बाघ प्रजनन की संभावनाओं में भले ही बाधा न आए, पर राष्ट्रीय पशु की जान खतरे में पड़ सकती है। प्रोजेक्ट टाइगर के तहत मानसून के दौरान अधिक निगरानी ‘ऑपरेशन मानसून’ पर जोर दिया जाता है। यदि इससे हटाकर वन कर्मियों को पर्यटन संबंधी जिम्मेदारियां दी जाएंगी तो बाघ निगरानी कमजोर पड़ेगी और शिकारी इसका फायदा उठा सकते हैं। मानसूम के महीनों में, जबकि निगरानी में लगे गार्डों के लिए टाइगर रिजर्व के ज्यादातर क्षेत्रों की पेट्रोलिंग मुश्किल हो जाती है, तब पर्यटन जारी रखना बाघों के शिकार के लिए शिकारियों को न्योता देने जैसा हो सकता है।