ओपिनियन

New Marriage Bill 2021: महात्मा गांधी का सपना अब होगा साकार

आधी आबादी: विवाह की उम्र बढ़ने से निश्चित रूप से लाभ होगा। विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ाने से महिलाओं में शिक्षा और नवाचार की संभावनाएं बढ़ेगी। जिन बच्चियों का विवाह 18 वर्ष या उससे पूर्व ही कर दिया जाता था, अब वे भी उच्च शिक्षा की ओर बढ़ सकेंगी।

Dec 27, 2021 / 11:27 am

Patrika Desk

New Marriage Bill 2021

प्रियंक कानूनगो
(अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग)

बाल विवाह निषेध (संशोधन) बिल-2021 के जरिए केंद्र सरकार ने देश की बेटियों के भविष्य को एक नई राह देने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। यह उस सपने को साकार करने की दिशा में उठाया गया कदम है, जो महात्मा गांधी ने देश की बेटियों के लिए संजोया था। जिस भी समाज में महिला और पुरुष समान अधिकार और अवसरों का लाभ ले रहे हैं, वह विकास की दिशा में आगे बढ़ा है।

संविधान जेंडर के आधार पर भेद नहीं करता, किंतु जब विवाह की बात आती है, तो समानता का अधिकार प्रभावित होता है। महिलाओं के लिए भी विवाह की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष करने संबंधी बिल अभी स्थाई समिति को भेज दिया गया है। यदि यह कानून में तब्दील हो गया, तो विवाह की न्यूनतम उम्र के मामले में पुरुषों और महिलाओं में भेदभाव खत्म हो जाएगा। महिलाएं भी पुरुषों के समक्ष आ जाएंगी।

कम उम्र में विवाह के कारण महिलाएं जिन अवसरों से वंचित रह जाती थीं, वे समान अवसरों का लाभ लेकर पुरुषों की भांति समाज के विकास में अपना योगदान दे पाएंगी। महात्मा गांधी ने कहा था कि यदि बाल विवाह जैसी कुरीतियां समाज में हैं, तो वह स्वराज नहीं है, खास तौर पर लड़कियों के लिए स्वराज बिल्कुल नहीं है।

इस विषय की महत्ता को समझते हुए केंद्र सरकार ने देश की स्वतंत्रता के करीब 75 वर्ष बाद लड़कियों को स्वराज देने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है। बाल विवाह से उत्पन्न चुनौतियों पर गांधीजी ने बहुत ही स्पष्ट तरीके से 26 अगस्त 1926 के यंग इंडिया में प्रकाशित एक लेख में लिखा कि कैसे देश में बाल विवाह के चलते कमजोर बच्चे जन्म ले रहे हैं। बाल विवाह के असर की बात करें, तो यह एक दुश्चक्र है।

यह भी पढ़ेें: शरीर ही ब्रह्माण्ड : ज्ञान-कर्म-अर्थ हमारे अन्न


इसको हम इस तरीके से समझ सकते हैं कि गरीबी के चलते बाल विवाह होता है और वह आगे भी गरीबी को जन्म देता है। जब हम 100 जिलों का डेटा देखते हैं, जहां पर बाल विवाह की संख्या ज्यादा है, तो समस्या की गंभीरता का पता चलता है। इन जिलों में सीजनल माइग्रेशन करने वाली जनसंख्या भी ज्यादा है। यानी कि अगर बाल विवाह होता है, तो वह असुरक्षित माइग्रेशन को भी जन्म दे सकता है। हालांकि यह एक शोध का विषय है।

निश्चित रूप से बाल विवाह के साथ ही आय बढ़ाने की जरूरत भी होती है। अल्प शिक्षित और अकुशल व्यक्ति का कम उम्र में विवाह हो जाता है, तो निश्चित रूप से उसे बाल मजदूरी के लिए मजबूर होना पड़ता है। ये कुछ ऐसी चिंताएं हैं, जिनका समाधान मोदी सरकार के इस निर्णय से निस्संदेह निकल पाएगा।

यह भी पढ़ेें: घृणा फैलाने वालों पर अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा है?

विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ाने से महिलाओं में शिक्षा और नवाचार की संभावनाएं बढ़ेगी। जिन बच्चियों का विवाह 18 वर्ष या उससे पूर्व ही कर दिया जाता था, अब वे भी उच्च शिक्षा की ओर बढ़ सकेंगी। इस कानून के बाद निश्चित रूप से लड़कियों को ज्यादा अच्छे अवसर मिल सकेंगे और वे अपने विकास के अवसरों का लाभ लेकर देश के विकास को गति देने में सक्षम हो पाएंगी।

Hindi News / Prime / Opinion / New Marriage Bill 2021: महात्मा गांधी का सपना अब होगा साकार

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.