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स्वस्थ-समृद्ध भारत की पहल है ‘प्रकृति परीक्षण’

इस सर्वेक्षण की प्रश्नावली को आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के तत्वावधान में जीनोमिक और समवेत विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ मुख्य वैज्ञानिक द्वारा तैयार किया गया है।

जयपुरDec 09, 2024 / 12:11 pm

Hemant Pandey

हर घर आयुर्वेद : 25 दिसंबर तक एक करोड़ परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य, 4.70 लाख स्वयंसेवक जुड़े


आयुर्वेद ही नहीं आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि हर व्यक्ति की एक प्रकृति होती है। अगर उस प्रकृति के अनुसार खानपान और दिनचर्या नहीं होती है तो हम बार-बार या अधिक बीमार होते हैं। गंभीर बीमारियों की भी आशंका होती है। प्रकृति परीक्षण अभियान हर व्यक्ति को उसके प्रकृति को जानने अवसर दे रहा है।
नौवें आयुर्वेद दिवस (29 अक्टूबर) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रव्यापी अभियान ‘देश का प्रकृति परीक्षण अभियान’ की शुरुआत की। यह अभियान आयुर्वेद को घर-घर पहुंचाने और भारत में स्वास्थ्य सेवा को समग्र और सुदृढ़ करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इसका उद्देश्य नागरिकों को उनकी अपनी आयुर्वेदिक प्रकृति (मन-शरीर संरचना) के बारे में जागरूक करना और उनके दैनिक जीवन में समग्र स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देना है। आयुर्वेद के अनुसार हर व्यक्ति की प्रकृति अलग होती है। अगर व्यक्ति अपनी प्रकृति के अनुसार जीवनशैली को अपनाए तो सदैव निरोगी रह सकता है। अभियान का मुख्य लक्ष्य भी यही है कि लोग अपनी प्रकृति को जानें और सुखी एवं निरोगी रहें।

आयुष मंत्रालय के नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (एनसीआइएसएम) का यह अभियान न केवल स्वास्थ्य जागरूकता के लिए महत्त्वपूर्ण ह,ै बल्कि भारत को आयुर्वेद की मदद से स्वस्थ और समृद्ध बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल भी है। इसके पहले चरण में 26 नवंबर से 25 दिसंबर तक एक करोड़ परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें परीक्षण के बाद उस व्यक्ति को प्रकृति के आधार पर सलाह भी दी जा रही है ताकि बीमारियों से बचाव व बेहतर जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित हो सके। इससे न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा मिलेगा। यह अभियान आयुर्वेद को हर घर तक पहुंचाने का माध्यम बनेगा और नागरिकों को उनकी स्वयं की प्रकृति को समझने व व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए लाभकारी उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा। आयुष मंत्रालय ने इस अभियान को व्यापक स्तर पर क्रियान्वित करने के लिए 4.70 लाख से अधिक स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया है। इनमें आयुर्वेद के वैद्य-डॉक्टर और शोधकर्ता शामिल हैं। ये स्वयंसेवक घर-घर जाकर नागरिकों का प्रकृति परीक्षण करेंगे। इसके लिए एक विशेष मोबाइल एप्लीकेशन ‘प्रकृति परीक्षण’ बनाया गया है जिससे लोग अपनी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी साझा कर सकेंगे। इसमेेंं एक क्यूआर कोड स्कैन करने की सुविधा होगी, जिससे व्यक्ति को उनके प्रकृति की जानकारी होगी।

‘प्रकृति परीक्षण’ एक समग्र सर्वेक्षण-आधारित मोबाइल एप्लीकेशन है जो उपयोगकर्ताओं को पारंपरिक आयुर्वेदिक सिद्धांतों के आधार पर उनकी प्रकृति निर्धारित करने में मदद करता है। इस सर्वेक्षण की प्रश्नावली को आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के तत्वावधान में जीनोमिक और समवेत विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ मुख्य वैज्ञानिक द्वारा तैयार किया गया है। यह ऐप नागरिकों को प्रशिक्षित स्वयंसेवकों द्वारा किए गए निर्देशित सर्वेक्षण में भाग लेने में सक्षम बनाता है, जिसके परिणामस्वरूप एक व्यक्तिगत डिजिटल प्रकृति प्रमाण-पत्र प्राप्त होता है। यह पंजीकरण से लेकर प्रमाण-पत्र निर्माण तक की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है। उपयोगकर्ताओं को उनके शरीर के प्रकार के बारे में स्वास्थ्य अंतर्दृष्टि के साथ सशक्त बनाता है। यह ऐप एंड्रॉयड तथा आइओएस दोनों ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। यह अभियान न केवल स्वास्थ्य जागरूकता तक सीमित है, बल्कि यह कई वल्र्ड रिकॉड्र्स बनाने की दिशा में भी अग्रसर है।

इनमें प्रकृति प्रमाण-पत्रों का सबसे बड़ा ऑनलाइन फोटो एलबम बनाना, सबसे अधिक लोगों द्वारा स्वास्थ्य प्रतिज्ञा लेना और स्वास्थ्य संदेश साझा करने वाला सबसे बड़ा वीडियो एलबम बनाना भी शामिल है। अभियान के लिए नागरिकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करते हुए एनसीआइएसएम के नेतृत्व में आयुष मंत्रालय के अधिकारी, कर्मचारी तथा संस्थान जुटे हुए हैं। विश्वास है की यह पहल भारत की समग्र स्वास्थ्य यात्रा में मील का पत्थर साबित होगी। नागरिकों को उनकी प्रकृति के बारे में जानकारी प्रदान करना आयुर्वेद के वैज्ञानिक सिद्धांतों को लोकप्रिय बनाने का एक अभूतपूर्व प्रयास है। प्रकृति की अवधारणा आधुनिक विज्ञान से भी प्रमाणित हो रही है। वैज्ञानिक अनुसंधान, विशेष रूप से सीएसआइआर के जीनोमिक्स के क्षेत्र में दो दशकों के शोध ने आयुर्वेद की अवधारणाओं को मजबूत आधार प्रदान किया है। यह अभियान आयुर्वेद को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ते हुए नागरिकों को सशक्त बनाएगा।

पहले चरण में 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों का प्रकृति परीक्षण किया जाएगा। अब तक करीब 1.22 लाख स्वयंसेवक सक्रिय रूप से इसे आगे बढ़ा रहे हैं। अब तक करीब 15 लाख लोगों का प्रकृति परीक्षण हो भी चुका है और करीब 16 लाख से अधिक लोगों ने आयुर्वेद को जीवनशैली में अपनाने का संकल्प लिया है। अभियान न केवल भारत में आयुर्वेद को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह नागरिकों को उनकी स्वास्थ्य आवश्यकताओं के प्रति जागरूक करने में भी मील का पत्थर साबित होगा। साथ ही गैर-संक्रामक रोगों (एनसीडी) के रोकथाम में भी मददगार होगा। आयुर्वेद भारत की प्रसिद्ध स्वास्थ्य परंपरा है और यह केवल एक चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि एक जीवन शैली भी है। ‘देश का प्रकृति परीक्षण अभियान’ नागरिकों को आयुर्वेद के इस अनमोल ज्ञान से परिचित कराने का एक सार्थक प्रयास है। इससे देश स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकता है। यह अभियान स्वास्थ्य सेवा में भारत की नई यात्रा की शुरुआत है, जो न केवल हमारे वर्तमान को बल्कि आने वाली पीढिय़ों को भी एक स्वस्थ भविष्य प्रदान करेगा।

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