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पर्वतारोहण: उपयोगी है सिचुएशनल लीडरशिप

चाहे किसी जटिल परियोजना के माध्यम से कॉर्पोरेट टीम का मार्गदर्शन करना हो, छात्रों को उनकी शैक्षणिक यात्रा में मदद करना हो, या चुनौतीपूर्ण इलाके में पर्वतारोहण समूह का नेतृत्व करना हो, सभी की सफलता अनुकूलनशीलता और सहानुभूति के साथ नेतृत्व करने की क्षमता पर निर्भर करती है।

जयपुरOct 21, 2024 / 09:49 pm

Gyan Chand Patni

प्रो. हिमांशु राय निदेशक, आइआइएम इंदौर
पिछले कुछ आलेखों में सिचुएशनल लीडरशिप के बारे में बात की थी। यानी अलग-अलग स्थितियों के अनुसार बदलने वाली नेतृत्व शैली। इसे हिंदी में परिस्थितिजन्य नेतृत्व कहा जाता है। पर्वतारोहण के दौरान भी अलग-अलग प्रकार की नेतृत्व शैली अपनाई गई हैं। आप विचार कर रहे होंगे कि पर्वतों पर चढ़ाई करते समय नेतृत्व का क्या लेना-देना? पर्वतारोहण के दौरान चुनौतियां अधिक होती हंै और सुरक्षा और सफलता अक्सर टीम लीडर की हालत पहचानने, टीम की ताकत को समझने और वास्तविक समय में निर्णय लेने की क्षमता पर निर्भर करती है। चढ़ाई की शारीरिक और मानसिक चुनौतियां अक्सर व्यक्ति की वास्तविक क्षमताओं को प्रकट करती हैं, जिससे परिस्थितिजन्य नेतृत्व का अनुप्रयोग तत्काल और आवश्यक दोनों हो जाता है।
एक बार एक खास चुनौतीपूर्ण अभियान का नेतृत्व कर रहा था। टीम में अनुभवी पर्वतारोही और कम अनुभवी व्यक्ति दोनों शामिल थे। इस उच्च जोखिम वाले वातावरण में, मुझे विभिन्न नेतृत्व शैलियों के बीच जल्दी और प्रभावी ढंग से परिवर्तन करना पड़ा। नौसिखिए पर्वतारोहियों के लिए, मैंने एक निर्देशन शैली अपनाई – चढ़ाई तकनीकों, सुरक्षा प्रोटोकॉल और प्रतिकूल मौसम की स्थिति को संभालने के तरीके पर विस्तृत निर्देश प्रदान किया। उनका उत्साह और प्रतिबद्धता स्पष्ट थी, लेकिन उनके पास स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की तकनीकी क्षमता का अभाव था। यहां मेरी भूमिका उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना और उनका आत्मविश्वास बढ़ाना था। साथ ही हमारे आगे के मार्ग के बारे में महत्त्वपूर्ण, समय-संवेदनशील निर्णय लेना भी आवश्यक था। इसके विपरीत, समूह में अनुभवी पर्वतारोहियों को बहुत कम दिशा-निर्देश की आवश्यकता थी, लेकिन उन्हें प्रतिनिधि दृष्टिकोण से लाभ हुआ। मैंने भरोसा किया और उन्हें समूह के निर्णयों में योगदान की अनुमति दी। पहाड़ों में उनके गहन अनुभव का अर्थ था कि वे मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकते थे, जिसने टीम की समग्र सफलता को बढ़ाया। मेरी टीम का सामूहिक अनुभव और ज्ञान किसी एक व्यक्ति के दृष्टिकोण से कहीं अधिक था।
जैसे-जैसे हम शिखर के करीब पहुंचे और खराब मौसम की स्थिति का सामना किया, मैंने सभी के लिए प्रशिक्षण देने वाले नेतृत्व की भूमिका निभाई। चढ़ाई मानसिक रूप से अधिक थकाऊ हो गई और अनुभवी पर्वतारोहियों को भी प्रोत्साहन की आवश्यकता थी। टीम को थकावट के बावजूद आगे बढऩे के लिए प्रेरित करना और उन्हें विश्वास और टीमवर्क के महत्त्व की याद दिलाना आवश्यक था। मैंने न केवल अपने शब्दों के माध्यम से, बल्कि प्रतिकूल परिस्थितियों में शांत और संयमित व्यवहार का प्रदर्शन करके समर्थन दिया। पर्वतारोहण में, परिस्थितिजन्य नेतृत्व अस्तित्व का मामला है। यह पहचानना कि कब आगे बढ़कर नेतृत्व करना है और कब दूसरों को नियंत्रण सौंपना है, सफलता और विफलता के बीच का अंतर हो सकता है, जीवन और मृत्यु का मामला भी।
कॉर्पोरेट, शिक्षा जगत और पर्वतारोहण- में परिस्थितिजन्य नेतृत्व का सामान्य सूत्र मेरी उस समय की जरूरतों का आकलन करने और उसके अनुसार अपने दृष्टिकोण को समायोजित करने की क्षमता रही है। चाहे किसी जटिल परियोजना के माध्यम से कॉर्पोरेट टीम का मार्गदर्शन करना हो, छात्रों को उनकी शैक्षणिक यात्रा में मदद करना हो, या चुनौतीपूर्ण इलाके में पर्वतारोहण समूह का नेतृत्व करना हो, सभी की सफलता अनुकूलनशीलता और सहानुभूति के साथ नेतृत्व करने की क्षमता पर निर्भर करती है।

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