scriptलैंगिक समानता की पैरोकार बनी थीं मैरी रॉय | Mary Roy, who fought a long legal battle for gender equality | Patrika News
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लैंगिक समानता की पैरोकार बनी थीं मैरी रॉय

‘मैरी रॉय’ मुकदमे की योद्धा मैरी रॉय का 1 सितंबर 2022 को निधन हो गया। उनका एक परिचय यह भी है कि वे प्रख्यात लेखिका अरुंधति राय की मां थीं किन्तु इससे भी बड़ा उनका परिचय यह है कि उन्होंने अकेले अपने दम पर लम्बी लड़ाई लड़ी और केरल के ईसाई समुदाय की महिलाओं को पिता की सम्पत्ति में भाइयों के बराबर हक दिलाया। उस मुकदमे को आम बोलचाल की भाषा में अभी भी ‘मैरी रॉय केस’ के ही नाम से जाना जाता है।

Sep 05, 2022 / 09:12 pm

Patrika Desk

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‘मैरी रॉय’ मुकदमे की योद्धा मैरी रॉय का 1 सितंबर 2022 को निधन हो गया। उनका एक परिचय यह भी है कि वे प्रख्यात लेखिका अरुंधति राय की मां थीं किन्तु इससे भी बड़ा उनका परिचय यह है कि उन्होंने अकेले अपने दम पर लम्बी लड़ाई लड़ी और केरल के ईसाई समुदाय की महिलाओं को पिता की सम्पत्ति में भाइयों के बराबर हक दिलाया। उस मुकदमे को आम बोलचाल की भाषा में अभी भी ‘मैरी रॉय केस’ के ही नाम से जाना जाता है। मैरी रॉय सीरियन क्रिश्चियन परिवार से थीं जो केरल में रहने वाले ईसाई मतावलम्बियों का समुदाय है और आध्यात्मिक रूप से पहली शताब्दी के ईसाई संत थॉमस से सम्बन्धित हैं। शुरू में पूर्वी सीरियन चर्च से सम्बद्धता के कारण उन्हें सीरियन क्रिश्चियन कहा जाता है।
सीरियन ईसाइयों में उत्तराधिकार कानून महिलाओं के लिए अत्यन्त भेदभावपूर्ण था। त्रावणकोर रियासत के तत्कालीन कानून के अनुसार किसी सीरियन ईसाई की मृत्यु होने पर उसकी मां या विधवा को उनके जीवनकाल तक भरण-पोषण का अधिकार हासिल था जो पुनर्विवाह करने की दशा में उसके पहले भी समाप्त हो जाता था।
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