चैत्र शुक्ल पक्ष त्रयोदशी का आरंभः तीन अप्रैल सुबह 6.24 बजे
चैत्र शुक्ल पक्ष त्रयोदशी का समापनः चार अप्रैल 2023 सुबह 8.05 बजे
शुभ मुहूर्त और शुभ योग (दृक पंचांग)
अभिजित मुहूर्तः 11.59 एएम से 12.48 पीएम
रवि योगः चार अप्रैल 9.36 एएम से पांच अप्रैल 6.09 एएम
भगवान महावीर की प्रमुख शिक्षाएं (Mahaveer swami principles) जैन ग्रंथों के अनुसार तीर्थंकरों का जन्म धर्म तीर्थ के प्रवर्तन के लिए होता है। महावीर के जन्म के समय समाज में हिंसा, पशु बलि, जात पात का भेदभाव बढ़ गया था।
1. भगवान महावीर ने दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाया और अहिंसा को उच्चतम नैतिक गुण बताया। हालांकि बौद्ध धर्म में भी इसकी महत्ता बताई गई है, जिसे बाद में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने पूरी दुनिया तक पहुंचाया। महावीर स्वामी मन से भी किसी के प्रति बुरे विचार को हिंसा मानते थे, जिसे गांधीजी ने दुनिया को समझाया।
2. इन्होंने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत (पंच महाव्रत) अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय, ब्रह्मचर्य बताए।
3. इन्होंने अनेकांतवाद, स्यादवाद जैसे सिद्धांत दिए।
4. भगवान महावीर का आत्म-धर्म जगत की प्रत्येक आत्मा के लिए समान था। उनका सिद्धांत था दुनिया की सभी आत्मा एक सी है, दूसरों के लिए वही व्यवहार विचार रखें जो स्वयं के लिए पसंद है। उन्होंने जियो और जीने दो का संदेश दिया।
5. दस धर्मः भगवान महावीर ने दस धर्म भी बताए, जिसका पर्यूषण पर्व के दौरान चिंतन किया जाता है।
क्षमा- भगवान महावीर कहते हैं कि मैं सब जीवों से क्षमा मांगता हूं, जगत के सब जीवों के प्रति मेरा मैत्री भाव है। मेरा किसी से बैर नहीं है, मैं सच्चे हृदय से धर्म में स्थिर हुआ हूं। सब जीवों से सारे अपराधों की क्षमा मांगता हूं और जिन्होंने मेरे प्रति अपराध किए उन्हें मैं क्षमा करता हूं।
धर्म- भगवान महावीर ने बताया कि अहिंसा संयम और तप ही धर्म हैं। उन्होंने अपने प्रवचन में पंच महाव्रत और त्याग संयम प्रेम करुणा शील सदाचार पर जोर दिया।
मोक्ष- भगवान महावीर ने पावापुरी (राजगीर) में मोक्ष प्राप्त किया। राजगीर में एक जलमंदिर है मान्यता है कि यहीं भगवान महावीर मोक्ष को प्राप्त हुए थे।