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आपकी बात, क्या धर्म के नाम पर दिखावे की प्रवृत्ति बढ़ रही है?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

Oct 05, 2022 / 04:34 pm

Patrika Desk

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धर्म के नाम पर दिखावा
कथा और भजन के कार्यक्रमों में देर रात तक लाउडस्पीकर का प्रयोग होता है। लोग मंदिर शांति के लिए जाते हैं। लोगों को वहीं शांति नहीं मिलेगी तो फिर कहां जाएंगे? यह भी देखा गया है कि धर्म के नाम पर चंदा वसूल करके कुछ लोग शराब पीते हैं, जुआ खेलते हैं और पैसे उड़ाते हैं। धार्मिक कार्यक्रमोंं में फूहड डांस होते हैं और फिल्मी गाने गाए जाते हैं। नवरात्र के दौरान होने वाले डांडिया के कार्यक्रमों में भी कहीं धार्मिक माहौल नजर नहीं आता।
-आरपी विजयवर्गीय, उदयपुर
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न करें दिखावा
धर्म का कभी दिखावा नहीं किया जाना चाहिए। जब धर्म का दिखावा करने वाले मनुष्य की समस्त धार्मिक प्रवृत्तियों का स्वत: ही लोप हो जाता है।
-अनोप भाम्बु, जोधपुर
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दिखावे से धर्म का मूल उद्देश्य गौण
निश्चित रूप से धर्म के नाम पर दिखावा ही हो रहा है। धर्म का मूल उद्देश्य और सामाजिक समरसता का भाव विलोपित हो रहा है। लोग धर्म के मूल लक्ष्य को भूलकर साज- सजावट ,लाउड स्पीकर, नृत्य जैसे कार्यों में उलझ रहे हैं। धर्म के नाम पर दान भी दिखाने के लिए होता है।
-देव हिंदुस्तानी, घाटोल, बांसवाड़ा
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सत्ता के लिए भी इस्तेमाल
धर्म के नाम पर दिखावा तो किया ही जा रहा है, इसका सत्ता पाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है। लोग अपने हिसाब से धर्म का स्वरूप बदल लेते हैं। धर्म के नाम पर दिखावा नहीं होता तो आज देश में जाति-धर्म के नाम पर इतनी लड़ाई नहीं होती।
– नीरू हजारिका, असम
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ठीक नहीं दिखावा
धर्म ईश्वर से मिलने का रास्ता हैं। लोग रास्ते में ही दिखावा करने लगे है। इसलिए मंजिल तक नहीं पहुंच पा रहे हंै। धर्म अंतरात्मा से जुड़ा है। इसके लिए दिखावे की जरूरत नहीं।
-फजल अकबर, सतना, मप्र
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अवांछित गतिविधियों को बढ़ावा
वर्तमान समय में धर्म के नाम पर दिखावे का प्रचलन ज्यादा ही बढ़ रहा है। धर्म के नाम पर अवांछित गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
-कुमार जितेन्द्र, मोकलसर, बाड़मेर
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अनेक विसंगतियां पनपीं
धर्म के नाम पर समाज में अनेक विसंगतियों ने भी जन्म ले लिया है,जबकि धर्म का अर्थ है निस्वार्थ भाव से असहायों की मदद करना। सभी को लोगों की भलाई के लिए काम करना चाहिए, लेकिन आज धर्म केवल दिखावा भर रह गया है।
-हरिप्रसाद चौरसिया, देवास, मध्यप्रदेश
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धर्म का वास्तविक स्वरूप
धर्म के नाम पर दिखावे का पाखंड बहुत ज्यादा बढ़ गया है। लोगों को धर्म का वास्तविक स्वरूप पता नहीं है। धार्मिक संगठन जुलूस के लिए भीड़ का प्रबन्ध करके अपनी ताकत का लोहा मनवाते हैं।
-अशौक जैन भीन्डर
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बढ़ रही है दिखावे की प्रवृत्ति
धर्म के नाम पर दिखावे की प्रवृत्ति बढ़ रही है। साथ ही खुद को धार्मिक बताने या दिखाने के लिए नए-नए तरीके भी अपना जा रहे हैं।
-महेश कुमार, रानीतराई, दुर्ग
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दान देकर प्रतिष्ठा की चाह
यह बात सही है कि धर्म के नाम पर दिखावा ही दिखावा हो रहा है। कुछ दान भी दिया तो भी दिखावा के लिए दिया जाता है। धर्म स्थल पर अपना नाम भी अंकित करवा दिया जाता है।
-अर्पित जैन, भैंसलाना

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