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आपकी बात, क्या आम जनता का लोकतंत्र के प्रति विश्वास कम हो रहा है ?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

Jan 23, 2022 / 09:45 am

Gyan Chand Patni

आपकी बात, क्या आम जनता का लोकतंत्र के प्रति विश्वास कम हो रहा है ?

भ्रष्ट नेताओं का बढ़ गया प्रभाव
यह बात सही है कि आम जनता में लोकतंत्र के प्रति विश्वास कम हो रहा है। इसकी वजह यह है कि राजनीति में भ्रष्ट और आपराधिक प्रवृत्ति के नेताओं का प्रभाव बढ़ रहा है। वे चुनाव से पहले झूठे वादे करते है और चुनाव जीतने के बाद जनता को ठेंगा दिखा देते हैं।
गोविंद यादव, जयुपर
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बढ़ रहा है जन असंतोष
लोकतंत्र में अनेक खामियां होने के बावजूद यह बेहतर शासन प्रणाली मानी जाती है। लोकतंत्र में शासक चुनने का अधिकार जनता के हाथों मे होता है। गरीब जनता से लेकर अमीर तबके तक के लोगों को अपनी पसंद के नेता चुनने की आजादी होती है। चुने गये नेताओं के माध्यम से ही समाज के हर वर्ग का आदमी अपनी आवाजें उठाता है, लेकिन आजकल आम आदमी की आवाज दब कर रह जाती है। इससे आम जन में असंतोष और नाराजगी बढ़ती जा रही है।
-नरेश कानूनगो, बेंगलुरु, कर्नाटक.
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लोकतंत्र बन गया है भ्रष्ट तंत्र
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि आम जनता का लोकतंत्र के प्रति विश्वास कम हो रहा है, क्योंकि हमारे यहां लोकतंत्र भ्रष्ट तंत्र और भीड़तंत्र बन गया है। इसमें बाहुबल, धनबल, जातिवाद, अपराध, भ्रष्टाचार एवं धर्म की भूमिका प्रमुख हो गई है। राजनीति का उद्देश्य जनता की सेवा करना न होकर सत्ता पर कब्जा करना हो गया है। एक बार सत्ता पर कब्जा होने पर अपनी सल्तनत कायम करना, भ्रष्ट तरीकों से बेतहाशा धन अर्जित करना ही मुख्य उद्देश्य हो जाते हैं। अगर जनता का लोकतंत्र के प्रति विश्वास कम हो रहा है, तो इसके परिणाम भयानक हो सकते हैं।
-सुभाष सिद्ध बाना ,श्रीडूंगरगढ़, बीकानेर
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नेताओं की कथनी और करनी में अंतर
आम जनता का लोकतंत्र के प्रति विश्वास कम होने का कारण नेताओं की कथनी और करनी में फर्क है। जब चुनाव नजदीक आते हैं, तो नेता अनेक वादे करते हैं, लेकिन सत्ता में आते ही भूल जाते हंै। वे जनता से सीधे मुंह बात तक नहीं करते। जीतने के बाद अपने क्षेत्र में भी नहीं जाते। इस कारण लोकतंत्र पर भरोसा कम हो रहा है।
-रमेश बीठू, सींथल, बीकानेर
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लोकतंत्र अब लठतंत्र
लोकतंत्र को अब राजतंत्र में परिवर्तित किया जा रहा है। कानून भी आम जनता पर ही कठोरता से लागू होते हैं। नेताओं पर सालों तक कोई कार्रवाई नहीं होती है। सत्ता पक्ष के खिलाफ बोलने पर लोगों को राजद्रोह का मुकदमा लगाकर अंदर डाल दिया जाता है। कोरोना काल में नेता लगातार नियमों का उल्लंघन कर रहे हंै। ऐसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, लेकिन अकेले सफर करने वाले आम व्यक्ति को मास्क न पहनने पर भी लाठी से पीटा जाता है। साफ है कि लोकतंत्र धीरे-धीरे लठतंत्र में बदलता नजर जा रहा है।
-सालूराम सियोल चौधरी, गुड़ामालानी, बाड़मेर
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लोकतंत्र पर बना रहे विश्वास
लोकतंत्र नागरिकों के लिए नागरिकों द्वारा बनाया गया वह तंत्र है, जो कई मजबूत स्तंभों पर खड़ा हुआ है। इस पर विश्वास रखना बहुत आवश्यक है, क्योंकि हमारी सम्पूर्ण प्रगति व उन्नति इसी में निहित है। कोई व्यक्तिगत तौर पर भले ही इसकी विश्वसनीयता पर संदेह रख सकता है, लेकिन लोकतंत्र का विकल्प नहीं है। राष्ट्र व नागरिकों के लिए लोकतंत्र विकास का वह दरवाजा है, जिस पर सभी को विश्वास रखना होगा।
-कुमार कुन्दन, बालगढ़, देवास, मप्र
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सत्ता बेलगाम
जनता अपनी सरकार बनाने के लिए एक प्रतिनिधि को चुनकर भेजती है, वही प्रतिनिधि दल बदल कर लेता है। इससे जनता अपनी मनचाही सरकार नहीं बना पाती है। इससे होता यह है कि संसद और सरकार तो होती है, पर असली सत्ता तो उन लोगों के हाथ में होती है जिन्हें जनता नहीं चुनती
-राजू कुड़ी, दातारामगढ़, सीकर
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जनता का टूट रहा है भरोसा
देश में इतना ज्यादा भ्रष्टाचार बढ़ चुका है कि लोगों का अब विश्वास लोकतंत्र पर से धीरे-धीरे कम होने लगा है। आम जनता का कोई भी सरकारी काम आराम से नहीं होता, क्योंकि आजकल हर जगह भ्रष्ट अफसर ही भरे पड़े हैं। आखिर जनता भरोसा करे भी तो किस पर करे?
-प्रतीक्षा, रायपुर, छत्तीसगढ़
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भ्रष्टाचार को मिल रहा है बढ़ावा
देश में भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है कि कहीं भी जनता के हितों की बात नहीं होती है, जबकि लोकतंत्र जनता के हितों की रक्षा के लिए बना है। देश में अशिक्षा, बदलहाल चिकित्सा और बेरोजगारी जैसी समस्याएं जटिल होती जा रही हैं। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हंै। हर जगह भ्रष्टाचार को महत्व दिया जाता है। इस वजह से जनता का लोकतंत्र पर से विश्वास कम होता जा रहा है।
-गोपाल रैकवार, मनेंद्रगढ़,कोरिया छत्तीसगढ़
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जनहित का नहीं ध्यान
लोकतंत्र का आधार है जनहित। लोकतंत्र धर्म और जाति से ऊपर होता है। लोकतंत्र में जनहित को ध्यान में रखकर योजनाएं बननी चाहिए। रोजगार बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। इसकी बजाय धार्मिक आयोजनों पर सरकारी कोष खर्च किया जा रहा है। इससे लोगों में लोकतंत्र के प्रति विश्वास समाप्त होता जा रहा है।
-विजय गुप्ता, अजमेर

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