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आपकी बात, अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती ताकत से क्या भारत को खतरा है?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

Jul 08, 2021 / 08:08 pm

Gyan Chand Patni

आपकी बात, अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती ताकत से क्या भारत को खतरा है?

अफगानिस्तान पर कमजोर होगी भारत की पकड़
तालिबान की बढ़ती ताकत के कारण अफगानिस्तान पर भारत की पकड़ कमजोर होने का खतरा है। अफगानिस्तान के विकास में भारत सहयोग कर रहा है। इसका परिणाम यह है कि दोनों के संबंध अच्छे हंै। पाकिस्तान समर्थित आतंकियों के साथ लड़ाई में अक्सर अफगानिस्तान भारत के साथ खड़ा नजर आता है। इसका परिणाम यह है कि पाकिस्तान खुद को दोनों के बीच फंसा हुआ महसूस करता रहा है। तालिबान की बढ़ती ताकत के कारण पाकिस्तान को आतंकवाद को पोषित करने में मदद मिलेगी, जो भारत के लिए चिंता का विषय है।
-सरिता प्रसाद, पटना, बिहार
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भारतीय हित प्रभावित होंगे
अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती ताकत भारत के हितों को प्रभावित करेगी। अमरीका की रणनीतिक भूल हम पर भारी पडऩे वाली है। तालिबान का इसी प्रकार बढऩा पूरे अफगानिस्तान पर अधिकार स्थापित करने जैसा होगा, जिससे वहां भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे प्रोजेक्ट बाधित हो सकते हैं। अफगानिस्तान के रास्ते तस्करी बढ़ेगी। जम्मू-कश्मीर, लद्दाख जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकवाद बढऩे की भी आशंका है।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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तालिबान मुस्लिम कट्टरवाद का पोषक
अफगानिस्तान से अमरीकी सेना की वापसी और वहां तालिबानी ताकत बढऩा भारत सहित जितने भी पड़ोसी गैर-मुस्लिम देश है उनके लिए चिंतनीय और खतरनाक है। तालिबान और पाकिस्तान मिलकर भारत की शांति में खलल भी डाल सकते हैं। तालिबान मुस्लिम कट्टरवाद का पोषक है। वह भारत में भी धार्मिक भावनाओं को भड़का सकता है। भारत को अपनी सुरक्षा पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा। इससे जरूरी विकास कार्यों का प्रभावित होना स्वाभाविक है।
-भगवान प्रसाद गौड़, उदयपुर
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तालिबान की बढ़ती ताकत चिंताजनक
अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती ताकत से भारत को खतरा है। पाकिस्तान जहां कश्मीर मसले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाता रहा है, वहीं तालिबान जैसे आतंकी संगठनों को मदद पहुंचाने, सीमा पार से घुसपैठ कराने, युद्धविराम उल्लंघन का दुस्साहस करता रहा है। अफगानिस्तान से अमरीका की सेना के हटने से तालिबान के हौसले बुलंद होंगे।
-शिवजी लाल मीना, जयपुर
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अफगानिस्तान में अस्थिरता
अमरीकी सेना की वापसी के बाद जिस तरह से अफगानिस्तान में अस्थिरता फैली है, उसे देखते हुए भारत ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि वह अफगानिस्तान में शांति के लिए लगातार कोशिश करता रहेगा। भारत प्रारम्भ से ही अफगानिस्तान का मददगार रहा है, लेकिन वर्तमान में तालिबान के बढ़ते प्रभाव के कारण भारत की भविष्य की भूमिका अनिश्चितता में डूबी हुई है।
-डॉ. अजिता शर्मा, उदयपुर
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बढ़ सकता है आतंकवाद
अफगानिस्तान में तालिबान की पैठ मजबूत होने से भारत पर असर पडऩा निश्चित है, क्योंकि तालिबान पाकिस्तान के साथ है। तालिबानी पड़ोसी देशों में हलचल पैदा करना चाहेगा। आने वाले समय में हो सकता है कि भारत में आतंकी गतिविधियां बढ़ जाएं और कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान फिर से उग्र हो।
-हिमांशु अंगिरा, महवा, दौसा
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भारत के लिए मुश्किल
अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती ताकत से भारत को खतरा स्वाभाविक है। भारत अफगानिस्तान में बड़ा निवेश किया जा चुका है। कई योजनाएं वहां भारत के सहयोग से आज भी चल रही हैं। भारत के पेशेवर वहां दिल लगाकर इन कार्यों को संपादित कर रहे हैं । इसलिए अगर अफगानिस्तान में तालिबान की ताकत बढ़ेगी, तो भारत के लिए उपयुक्त नहीं होगा।
-अशोक, पटना, बिहार
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बढ़ेगी आतंकी गतिविधियां
अफगानिस्तान से अमरीकी सेना के पलायन से तालिबान मजबूत हो रहा है। इसके प्रभाव से अन्य आतंकी गिरोहों की गतिविधियां भी प्रारम्भ हो चुकी हैं। हाल ही भारतीय सीमा पर ड्रोन हवाई हमले हुए हैं। ये घटनाएं किसी बड़े हमले की ओर इंगित कर रही हैं। इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है।
-मनु प्रताप सिंह चींचड़ौली, खेतड़ी
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सीमा पर सुरक्षा का ध्यान जरूरी
तालिबान एक कुख्यात आतंकवादी संगठन है। तालिबान के कार्यकलाप विगत में भी भारत के विरुद्ध रहे हैं। भारतीय संसद पर आतंकवादी हमला करने वाले पाकिस्तानी आतंकवादी तालिबान द्वारा प्रशिक्षित थे। यदि तालिबान की ताकत बढ़ती है, तो भारत को खतरा बढ़ेगा। इसलिए भारत को अपनी सीमा की सुरक्षा के लिए नई रणनीति तथा मजबूत इरादों के साथ कार्य करना होगा।
-रवि शर्मा, गंगापुर सिटी
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बढ़ रही है तालिबान की ताकत
इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं होनी चाहिए कि जैसे-जैसे अफगानिस्तान में तालिबान की ताकत बढ़ेगी, वैसे-वैसे भारत के लिए खतरा बढ़ सकता है। अफगानिस्तान के आतंकी समूह अपना खौफ दुनिया में कायम रखने के लिए भारत की सीमा में घुसने की कोशिश करेंगे।
-सुरेन्द्र कड़वासरा, रावतसर
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खतरे में निवेश
दोहा-समझौते के तहत सितंबर माह तक अमरीका सैनिकों के अफगानिस्तान से हटने की घोषणा से तालिबान की सक्रियता बढ़ गई है। तालिबान अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में हिंसा और आतंक का माहौल बना रहा है, ताकि वह सत्ता पर कब्जा कर सके। इन घटनाओं के चलते अफगानिस्तान में भारतीयों और वहां निवेश की गई भारतीय कंपनियों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है।
-नरेश कानूनगो, बेंगलूरू, कर्नाटक
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जरूरी है आतंक के खिलाफ एकजुटता
तालिबान ने कभी भी शांतिपूर्ण समझौतों में कोई रुचि नहीं दिखाई है। अफगानिस्तान में एक बार फिर से तालिबान का राज शुरू होने की संभावना है, जो कि भारत के हित में नहीं है। भारत शुरू से ही अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक तथा स्थायी सरकार के पक्ष में है, लेकिन अब यह आसान नहीं है। जब तक तालिबान का रुख स्पष्ट नहीं हो जाता है, भारत के लिए अच्छा होगा कि मौजूदा हालात को देखते हुए औपचारिक बातचीत बनाए रखे। भारत को कूटनीतिक तरीके से अन्य पड़ोसी देशों के साथ भी क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने की जरूरत है। साथ ही एक बार फिर से आतंकवाद विरोधी वातावरण बनाने के लिए सभी देशों को विश्वास में लेना चाहिए, ताकि पाकिस्तान और चीन जैसे देशों को भारत के खिलाफ खुला मैदान न मिल सके।
-कनिष्क माथुर, जयपुर
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सुरक्षा प्रबंध मजबूत करना जरूरी
विश्व पटल पर आतंकवाद एक नासूर बन चुका है। अफगानिस्तान में बढ़ते तालिबान के दबदबे से भारत को हर हाल में सचेत रहने की जरूरत है। तालिबान आतंकवाद का संरक्षक माना जाता रहा है और भविष्य में अपने आतंकी संगठनों का विस्तार करके दुनिया में अपना वर्चस्व बढ़ाने की फिराक मे है। अत: भारत को इनकी हर छोटी बड़ी आतंकी गतिविधियों पर नजर रखते हुए सुरक्षा प्रबंध मजबूूत रखने होंगे।
-प्रकाश चन्द्र राव, बापूनगर, भीलवाड़ा
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अफगानिस्तान में अस्थिरता से खतरा
हमारे देश की सीमाओं से लगे देशों में अगर किसी कारण से अस्थिरता पैदा होती है, तो निश्चित ही उसका बुरा असर भारत पर पड़ता है। तालिबान बहुत ही खतरनाक संगठन है। उसके पास खतरनाक हथियार हैं। वह आतंक के बल पर अफगानिस्तान को अस्थिर कर अपना शासन कायम करना चाहता है। इसलिए सावधान रहना चाहिए।
-महेश सक्सेना, भोपाल, मप्र
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सावधानी जरूरी
पाकिस्तान हमारा जन्मजात दुश्मन है। चीन उसे शह दे रहा है। तालिबानी आतंकियों से कम नहीं है। अफगानिस्तान में तालिबान को दबाने के लिए अमरीका ने बरसों से अपनी सेना तैनात कर रखी थी, जो अब धीरे-धीरे वापस जा रही है। इसलिए तालिबान से हमें खतरा बना ही रहेगा। अत: सावधानी जरूरी है।
-शकुंतला महेश नेनावा, इंदौर, मप्र

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