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उपयोगी साबित हो रहे हैं राज्यों के निवेशक सम्मेलन

9 से 11 दिसम्बर तक राजस्थान सरकार प्रदेश में निवेशक सम्मेलन ‘राइजिंग राजस्थान’ का आयोजन कर रही है। विकसित भारत का लक्ष्य पाने की दिशा में ऐसे आयोजन मौजूदा अर्थजगत में काफी महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं।

जयपुरNov 28, 2024 / 09:16 pm

Gyan Chand Patni

भागीरथ चौधरी
संस्थापक निदेशक, साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर
पिछले तीन दशकों में आर्थिक उदारीकरण के दौर में विभिन्न राज्यों ने निवेशक सम्मेलनों से जहां कर्नाटक और तेलंगाना ने आइटी सर्विसेज और फार्मास्यूटिकल सेक्टर में अपनी पकड़ मजबूत की है, वहीं गुजरात ने जेम्स-ज्वेलरी व रसायन उद्योग, तमिलनाडु ने ऑटो मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को मजबूत किया। अब आंध्र प्रदेश ने औद्योगिक और आर्थिक विकास को गति देने, निर्यात बढ़ाने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए छह परिवर्तनकारी नई नीतियों से इंडस्ट्रियल रेवोलूशन 4.0 का आगाज किया है। इसी लीक पर चलते हुए आगामी 9 से 11 दिसम्बर तक राजस्थान सरकार प्रदेश में निवेशक सम्मेलन ‘राइजिंग राजस्थान’ का आयोजन कर रही है। विकसित भारत का लक्ष्य पाने की दिशा में ऐसे आयोजन मौजूदा अर्थजगत में काफी महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं।
विविधता समृद्ध देश भारत आज विश्व में अपनी नई पहचान बना रहा है। देश की विविधतापूर्ण संस्कृति के साथ प्राकृतिक संसाधन देश के विभिन्न राज्यों में नवीन आर्थिक संभावनाएं प्रस्तुत करते हैं। राजस्थान क्षेत्रफल के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य है। यहां औद्योगिक विकास की खूब संभावनाएं हैं।
धरती धोरां री के धोरों में जहां अपार खनिज एवं तेल भंडार हैं तो वहीं रंग-बिरंगे परिधानों के लिए कपास व ऊन भी यहां खूब है। हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट के हुनर के साथ मिलेट और मसालों से बने यहां के स्वादिष्ट व्यंजन देश ही नहीं दुनियाभर में मशहूर हैं। कृषि योग्य जमीन भी यहां खूब है तो सौर व पवन ऊर्जा के लिए भी संभावनाओं की कमी नहीं है। जब प्रकृति का आशीर्वाद मिले तो बस उद्यमियों का साथ आना जरूरी है, फिर उस क्षेत्र की प्रगति को कोई नहीं रोक सकता। इसी उद्यमशीलता को नई ऊर्जा देने के लिए निवेश, आर्थिक प्रोत्साहन, व्यावसायिक कौशल, सुशासन और सबसे अधिक जिस चीज की आवश्यकता है, वह है ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’। प्रदेश में व्यापारियों-उद्यमियों को अगर अनुकूल परिस्थितियां मिलती हैं तो निवेशक स्वयं आकर्षित होंगे।
वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। देश के बाकी राज्य भी विकसित भारत और मेक इन इंडिया कार्यक्रमों के तहत अपने-अपने प्रदेश में नवाचार व औद्योगिक क्रांति को बढ़ावा दे रहे हैं। गुजरात, तेलंगाना और तमिलनाडु के बाद अब देश -दुनिया के समक्ष राइजिंग राजस्थान मॉडल को पेश करने की बारी है। इसके लिए घरेलू स्तर पर या यूं कहें कि जमीनी स्तर पर कुछ कार्य करने होंगे, कुछ चुनौतियों का सामना करना होगा। अपार संभावनाओं को ऐसे परिणामों में बदलना होगा कि निवेशक स्वयं यहां निवेश करने के लिए आएं, उनको बुलाने की जरूरत नहीं पड़े। ऐसा माहौल बने कि उद्योगपति राजस्थान में निवेश के लिए लालायित नजर आएं। इसके लिए स्थानीय इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर तो ध्यान देना ही होगा, बोझिल और कष्टदायी सरकारी प्रक्रिया का सरलीकरण और व्यवस्था को लालफीताशाही से छुटकारा दिलाना इस दिशा में पहला कदम होना चाहिए।
उद्योग लगाने से जुड़ी प्रक्रिया जटिल नहीं होनी चाहिए और न ही उद्योगपतियों में कोई डर होना चाहिए। इंद्रधनुषी संस्कृति वाले राजस्थान के शहर पिंक सिटी, ब्लू सिटी, सन सिटी, लेक सिटी के नाम से देश-विदेश में जाने जाते हैं। कितने ही पर्यटन स्थलों को विश्व विरासत में स्थान मिल चुका है। इनके सतत संरक्षण व संवर्धन ने पर्यटन उद्योग के लिए संजीवनी बूटी का काम किया और राज्य ने विश्व पर्यटन मानचित्र पर विशिष्ट पहचान बनाई। बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग और फिल्मी सितारों की डेस्टिनेशन वेडिंग ने प्रदेश के कई स्थलों को पर्यटन मानचित्र पर नई ऊंचाइयां प्रदान की हैं। हालांकि पर्यटन काफी महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है, लेकिन राइजिंग राजस्थान निवेशक सम्मेलन को राजस्थान की कृषि, हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट, खनिज, सौर व पवन ऊर्जा, कौशल, उद्यमशीलता और क्लस्टर मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में निवेश जुटाने की दिशा में प्रयास करने चाहिए जिससे अधिक रोजगार पैदा करने वाली कंपनियों के लिए विशेष प्रोत्साहन और निवेश का रास्ता बने। इस संबंध में आंध्र प्रदेश का संदर्भ देना प्रासंगिक होगा। आंध्र प्रदेश और राजस्थान, निवेश और औद्योगिक क्रांति के द्वार पर खड़े हैं। पिछले दिनों आंध्र सरकार ने राज्य में नई औद्योगिक नीति की घोषणा की। इससे राज्य के उद्योग जगत को काफी लाभ मिलेगा। उन्हें ‘र्ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति का लाभ मिलने के साथ रोजगार सृजन को बढ़ावा भी मिलेगा।
इन नीतियों के जरिए संदेश दिया गया है कि व्यवसाय जगत को जितना अधिक भ्रष्टाचार मुक्त और निर्बाध स्वीकृति वाला बनाया जाएगा, वहां उतना ही अधिक विपणन होगा और उतनी ही अधिक आनुपातिक निवेश और प्रगति होगी। राजस्थान को भी ऐसी ही नीतियां और औद्योगिक व्यवस्था लागू करने की कोशिश करनी होगी। प्रदेश के विकास का मॉडल ऐसा बने कि बाहर जा कर बसे मारवाड़ी, शेखावाटी सहित सभी प्रवासी राजस्थानी और विदेशी उद्यमी प्रदेश में निवेश के लिए किसी औपचारिक आमंत्रण की प्रतीक्षा न करें।

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