सात चरणों में अलग-अलग भौगोलिक परिस्थितियों वाले देश में मतदान का बंदोबस्त करने के लिए चुनाव आयोग बधाई का पात्र है, वहीं देश की जनता को भी इस बात का श्रेय दिया जाना चाहिए कि उसने भीषण गर्मी के दौर में भी वोट के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया। छिटपुट हिंसक घटनाओं को छोड़ दें तो देश भर में मतदान प्रक्रिया शांतिपूर्ण तरीके से हुई। इसके बावजूद यह खबर चौंकाने वाली है कि अकेले उत्तरप्रदेश और बिहार में 25 मतदान कर्मियों की लू के कारण मौत हो गई। इसे देखते हुए भविष्य में मतदान कार्यक्रम मौसम की अनुकूलता को देखते हुए तय करने की आवश्यकता है। मतदाताओं के साथ-साथ मतदानकर्मियों की सुरक्षा भी अनदेखी नहीं होनी चाहिए।
विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले देश में इतने बड़े पैमाने पर चरणबद्ध चुनाव कराने की मजबूरी हो सकती है, लेकिन चुनाव प्रक्रिया की लम्बी अवधि को कम भी किया जाना चाहिए। फिर भी कहना न होगा कि हमारी चुनाव प्रक्रिया दुनिया के सामने भारतीय लोकतंत्र की मजबूती रखती आई है। दूसरे देश भारतीय लोकतंत्र की मिसाल भी देते हैं। इसका कारण भी है कि हमारे यहां जनादेश का सम्मान कर नेता व दल अपनी हार-जीत को सिर माथे लेने में देर नहीं लगाते। केन्द्र व राज्यों में चुनावों के बाद लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता का हस्तांतरण बिना किसी बाधा के होता रहा है। आपातकाल के दौर को छोड़ दें तो लोकतंत्र की इसी खूबसूरती को लेकर कहा जा सकता है कि लोकतंत्र भारत के लिए सिर्फ व्यवस्था ही नहीं बल्कि इसका स्वभाव बन गया है।
जनता अपना फैसला सुना देगी। इसके बाद यह उम्मीद की जानी चाहिए कि आम आदमी की समस्याओं के समाधान के लिए सत्ता पक्ष व विपक्ष मिलकर काम करेंगे। इसके लिए यह भी जरूरी है कि राजनीतिक दल आरोप-प्रत्यारोपों के बजाय एक दूसरे से संवाद करने की