सात अगस्त 2021 को भारत ने कोरोना को परास्त करने की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए वैक्सीन की 50 करोड़ खुराकों का आंकड़ा पार कर लिया है। 16 जनवरी 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन कार्यक्रम Vaccination campaign की शुरुआत की थी। यह शुरुआत इतनी आसान नहीं थी। मोदी सरकार के दखल से अनिवार्य लाइसेंसिंग की प्रक्रिया आसान की गई, ताकि अन्य वैक्सीन उत्पादक कम्पनियां भी इससे जुड़ सकें और वैक्सीन उत्पादन में तेजी आ सके। कोविशील्ड और कोवैक्सीन के साथ-साथ स्पूतनिक का भी देश में उत्पादन शुरू हुआ। इसी 7 अगस्त को जॉनसन एंड जॉनसन की कोविड वैक्सीन को भी मंजूरी दी गई। 50 करोड़ वैक्सीनेशन डोज लगाने का आंकड़ा निस्संदेह मील का पत्थर है, लेकिन हम इस गति को बनाए रखेंगे और इस वर्ष के अंत तक हर देशवासी को वैक्सीनेट करने में सफल होंगे।
मोदी सरकार 75 प्रतिशत टीके खरीदकर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मुफ्त दे रही है। इतनी बड़ी आबादी को मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराना भी अपने आप में एक रेकॉर्ड है। इस साल के अंत तक हमारे पास लगभग 136 करोड़ वैक्सीन डोज उपलब्ध होंगी। अगस्त में लगभग 25.65 करोड़, सितंबर में 26.15 करोड़, अक्टूबर में कुल 28.25 करोड़, नवंबर में 28.25 करोड़ और दिसंबर में 28.5 करोड़ खुराक का उत्पादन होने वाला है। अन्य वैक्सीन को मान्यता देने की प्रक्रिया भी सरल बनाई गई है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने टीकों की फास्ट ट्रैक मंजूरी के लिए कई कदम उठाए हैं। क्लिनिकल ट्रायल और वैक्सीन के अप्रूवल के लिए फास्ट ट्रैक प्रोसेसिंग सिस्टम बनाया गया है।
भारत की वैक्सीन यात्रा कई अवरोधों को पार करते हुए इस मुकाम तक पहुंची है। प्रधानमंत्री ने 14 अप्रेल 2020 को ही ‘वैक्सीन टास्क फोर्स’ गठित कर दी थी। वैक्सीन टास्क फोर्स गठित होने के 15 दिनों के भीतर ही वैक्सीन निर्माण के मार्ग में आने वाली सभी बाधाओं को दूर किया गया। एक ओर 135 करोड़ लोगों की रक्षा के लिए दिन-रात काम हो रहा था, वैक्सीनेशन कार्यक्रम को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा था, वहीं विपक्ष नकारात्मकता फैलाने में लगा हुआ था और दुष्प्रचार के जरिए जनता को गुमराह कर रहा था। संसद के मौजूदा मानसून सत्र में जब प्रधानमंत्री ने कोविड और वैक्सीनेशन पर सर्वदलीय बैठक बुलाई, तो कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल इस बैठक में आए ही नहीं।
प्रधाानमंत्री ने कोरोना वॉरियर्स का लगातार हौसला बढ़ाया। इस बीच कोरोना से लड़ रही वर्तमान फोर्स को सपोर्ट करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य स्वयंसेवक प्रशिक्षण अभियान शुरू किया है। इस अभियान से हमारी हेल्थ सेक्टर की फ्रंटलाइन फोर्स को नई ऊर्जा भी मिलेगी और ‘मेरा बूथ-कोरोना मुक्त’ अभियान भी सफल होगा। इस अभियान के लिए लगभग 1.5 लाख स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
कोरोना वायरस महामारी के दौरान हमारे डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों ने मानवता की जो सेवा की है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उन्होंने अपनी जान की बाजी लगा दी। ऐसी कई कहानियां हैं, जब हमारे कोरोना वॉरियर्स ने अपनी जान की परवाह न करते हुए भी कोरोना पीडि़तों की सेवा में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। कई महिला डॉक्टर एवं नर्स ने मानवता की सेवा के लिए अपनी ममता को भी दांव पर लगा दिया। कई ने तो गर्भावस्था में रहते हुए भी अपने आपको पीडि़तों की सेवा में समर्पित कर दिया। कई तो महीनों अपने परिवार से नहीं मिल पाए। उनके लिए मरीजों की बेहतरी ही लक्ष्य बन गया। कोरोना से मुक्त होने के बाद जब मरीजों के चेहरे पर मुस्कान खिलती, तो उससे ही उन्हें आत्मसंतोष मिलता था।
ऐसे सभी डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी एवं इस व्यवस्था को सुचारु रूप से संचालित करने में लगे फ्रंटलाइन वर्कर्स को नमन। उन्होंने हर देशवासी में यह जज्बा भरा कि चुनौती कितनी ही कठिन क्यों न हों, लेकिन अगर देशवासी ठान लें, तो हर चुनौती को परास्त किया जा सकता है। यही जज्बा रहा, तो हम इस वर्ष के अंत तक देश के हर नागरिक को वैक्सीनेट करने के लक्ष्य को साकार करने में जरूर सफल होंगे।