ओपिनियन

शिखर सम्मेलन के बहाने पास आए भारत और पाकिस्तान

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे जयशंकर ने अपनी यात्रा से कुछ दिन पहले यह स्पष्ट कर दिया था कि भारत-पाकिस्तान सम्बंधों पर कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी। उन्होंने भाषण में अपनी बात रखी। उन्होंने सीमा-पार आतंकवाद की तरफदारी करने वालों को संदेश दिया कि आतंकवाद क्षेत्रीय सहयोग की राह में सबसे बड़ी बाधा है।

जयपुरOct 20, 2024 / 09:06 pm

Gyan Chand Patni

अरुण जोशी
दक्षिण एशियाई कूटनीतिक मामलों के जानकार
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का शिखर सम्मेलन इस्लामाबाद में बुधवार को सम्पन्न हो गया। एससीओ की यह 23वीं बैठक थी। यह सम्मेलन भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण संदेश लिए रहा। हालांकि, दोनों देशों के बीच कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई लेकिन विदेश मंत्री एस. जयशंकर और मेजबान देश के मुखिया के इशारे भविष्य के लिए सकारात्मक नजर आए।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे जयशंकर ने अपनी यात्रा से कुछ दिन पहले यह स्पष्ट कर दिया था कि भारत-पाकिस्तान सम्बंधों पर कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी। उन्होंने भाषण में अपनी बात रखी। उन्होंने सीमा-पार आतंकवाद की तरफदारी करने वालों को संदेश दिया कि आतंकवाद क्षेत्रीय सहयोग की राह में सबसे बड़ी बाधा है। यह पाकिस्तान को निशाने पर रखते हुए स्पष्ट संदेश था कि वह भारत में विशेषकर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के लिए जिम्मेदार है। वहां हजारों लोगों की जान गई है और सांप्रदायिक सद्भाव के पारंपरिक और सांस्कृतिक लोकाचार को चोट पहुंची है। आतंकवाद को राज्य की नीति बनाने से क्षेत्र में आपसी सहयोग बढऩे की संभावना नहीं है और किसी पुरस्कार की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। इस तरह, विदेश मंत्री का यह संदेश बेहद स्पष्ट और दो टूक था, पर पाकिस्तान का नाम लेने से उन्होंने परहेज किया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को पता है कि सीमापार आतंकवाद कितना खतरनाक है क्योंकि अपने भाषण में उन्होंने अफगानिस्तान का नाम लिया और उस पर अपने देश में आतंकवाद को निर्यात करने का आरोप लगाया। उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में पैठ जमाए आतंकी समूह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान या टीटीपी ने पाकिस्तान की धरती पर नागरिकों और सुरक्षा बलों पर कई हमलों को अंजाम दिया है। बताते चलें कि अंतरसरकारी, अंतरराष्ट्रीय संगठन एससीओ में नौ सदस्य देश- रूस, चीन, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, भारत, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। यह संगठन क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है।
यह लोकतांत्रिक, निष्पक्ष और तर्कसंगत नई अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था की स्थापना की दिशा में काम करता है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत अपनी राजनीतिक स्थिरता और मजबूत अर्थव्यवस्था के चलते अंतरराष्ट्रीय समुदाय में एक नेता के रूप में उभरा है। भारत ब्रिक्स, जी-20 समेत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों का अहम सदस्य है। भारत जी-7 में विशेष आमंत्रित सदस्य भी है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के एक-एक शब्द को ध्यान से सुना जाता है और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की दिशा में उसके अर्थ निकाले जाते हैं। ऐसे समय में जब दुनिया यूक्रेन और रूस, इजरायल और फिलिस्तीन में हिंसक संघर्षों का नजारा देख रही है, भारत की शांतिदूत की भूमिका को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली है। ऐसे माहौल में, एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री के भाषण को स्पष्ट स्वीकार्यता के साथ सुना गया। सीमा-पार आतंकवाद को लेकर भारत की चिंताओं से पाकिस्तान वाकिफ है। पाकिस्तान को कश्मीर का मोह सता रहा है। अनुच्छेद 370 को निरस्त कर देने से यह मुद्दा खत्म हो गया है।
हाल में हुए जम्मू-कश्मीर में निष्पक्ष विधानसभा चुनाव हुए हैं। चुनाव परिणामों को सभी पक्षों ने स्वीकार किया है। जिस समय जयशंकर और इशाक डार लंच पर एक-दूसरे के बगल में बैठे थे, स्वतंत्र, निष्पक्ष और बिना किसी हिंसा और खौफ के संपन्न हुए चुनावों के परिणामस्वरूप उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के नए मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला। जाहिर है, संदेश स्पष्ट है कि कश्मीर मुद्दा खत्म हो गया है। इस्लामाबाद में लंच पर राजनयिक उद्देश्य हासिल हो गया है। जयशंकर भी अपनी यात्रा से खुश थे। इसका प्रमाण तब मिला जब उन्होंने सभी शिष्टाचार और आतिथ्य के लिए पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ व विदेश मंत्री इशाक डार को धन्यवाद दिया। यह रुख भारत और पाकिस्तान के बीच निकटता बढऩे का संकेत माना जा सकता है।

Hindi News / Prime / Opinion / शिखर सम्मेलन के बहाने पास आए भारत और पाकिस्तान

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.