किसी भी शासन व्यवस्था में जवाबदेही का अहम स्थान है। लेकिन जब प्रशासन इस जवाबदेही से विमुख होने लगता है तो इसका सीधा असर जनजीवन पर पड़ता है। पिछले दिनों ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जिनसे लगता है कि सरकारी तंत्र सिर्फ लकीर पीटने में विश्वास रखता है। तब ही तो प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत यानी विधानसभा में माननीयों के सवालों के जवाब तक समय पर नहीं पहुंच पाते। विधानसभा का तीसरा सत्र आने वाला है और दूसरे सत्र में विधायकों की ओर से विधानसभा में 8000 सवाल लगाए गए थे। इनमें 30 प्रतिशत सवालों के कोई जवाब नहीं आए हैं। करीबन ढाई हजार सवालों के जवाबों का अभी इन्तजार हैं। शासन तंत्र में लापरवाही का एक उदाहरण दौसा जिले केबांदीकुई गुढ़ाकटला निवासी सिलिकोसिसपीड़ित व्यक्ति का रहा। उसे ऑक्सीजन सपोर्ट पर एंबुलेंस में मां के साथ कलक्ट्रेट पहुंचकर जिला कलक्टर के समक्ष खुद के जिंदा होने की गुहार लगानी पड़ी। उस जीवित व्यक्ति को जनाधार पोर्टल पर मृत बताया जा रहा जिसके कारण सरकारी मदद उससे कोसों दूर होती जा रही थी। जयपुर केसर नगर में गत एक वर्ष से बंद पेयजल टंकी निर्माण कार्य शुरू करने की मांग व शिकायत लोगों की और से की जाती है तो अधीक्षण अभियंता की और से कार्य प्रगति पर होना बताया जाता है, जिसे सोशल मीडिया पर वायरल कर लोग हास्यास्पद बताते है।
सरकारी संवेदनहीनता ऐसे अनगिनत मामले हैं, जहां आमजन अपने हक व अधिकार के लिए पिस रहा है। चाहे जमीन में नामांतकरण मामला हो, पेंशन शुरू करवानी हो, सीवरेज कार्य हो या और कोई सरकारी योजना का लाभ लेना हो। प्रशासन में अक्सर निर्णय लेने की प्रक्रिया बहुत धीमी होती है। किसी समस्या का समाधान निकालने में समय लगने से स्थिति और जटिल हो जाती है। प्रशासन में भ्रष्टाचार की समस्या भी लापरवाही को बढ़ावा देती है। जब अधिकारी रिश्वत लेते हैं या कागजी कार्यवाही में गड़बड़ी करते हैं, तो नागरिकों को सही समय पर और उचित सुविधाएं नहीं मिल पातीं। इससे सिस्टम में विफलता होती है और जनता का विश्वास प्रशासन से टूटता है। प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी के प्रति सजग और जवाबदेह बनना होगा। अधिकारियों को अपनी कार्यक्षमता और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना होगा। प्रशासन में पारदर्शिता लाने के लिए तकनीकी उपायों का उपयोग किया जा सकता है। ऑनलाइन सेवाएं और सिस्टम डिजिटलीकरण प्रशासन को ज्यादा प्रभावी बना सकते हैं।
-महेश कुमार जैन mahesh.jain1@in.patrika.com