महामारी के दौरान देश की डगमगाती अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने के लिए ‘वोकल फॉर लोकल’ अर्थात देश में निर्मित वस्तुओं को खरीदें और स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करें। इससे लघु उद्योगों तथा कुटीर उद्योगों का विस्तार होगा। देश का पैसा बाहर न जाकर देश के विकास में काम आएगा। किसानों और मज़दूरों के हाथ मजबूत होंगे। स्वरोजगार से भारत आत्मनिर्भर बनेगा लेकिन ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान तभी सफल हो सकेगा जब नेतागण विदेशी वस्तुओं का त्याग करें। मध्यमवर्गीय और निम्न वर्गीय परिवार न तो विदेशी गाड़ियों में घूमते हैं और न ही उनके बच्चे विदेशी स्कूलों में पढ़ने जाते हैं। आम आदमी तो अपनी आमदनी में नीम से दातुन करके, दाल-रोटी खाकर तथा बच्चों को सरकारी विद्यालय में पढ़ाकर खुश है। नेताओं के घरों में कलम से लेकर बच्चों की चॉकलेट तक विदेशी हैं। स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग वे लोग करें, तभी ‘वोकल फॉर लोकल’ से अर्थव्यवस्था में सुधार होगा, तभी देश आत्मनिर्भर हो सकेगा।
– विभा गुप्ता, बेंगलूरु
– नमन कासलीवाल, भजन नगर, ब्यावर
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रोजगार की कमी भी होगी दूर
लोकल उत्पादन में अच्छी गुणवत्ता होने के बावजूद भी उसे अच्छा मूल्य नहीं मिल पा रहा है। एक कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाता है, गुणवत्ता अच्छी है पर अच्छा मूल्य नहीं मिल पाता है। खेती करने वाले किसान को अच्छा मूल्य नहीं मिल पाता है, उसकी आने वाली पीढ़ियां खेती से मुंह मोड़ रही है। लोकल उत्पाद को उचित मूल्य मिलेगा तभी यह अर्थव्यवस्था के लिए प्रभावी होगा। यह रोजगार व नौकरियों की कमी को भी दूर करेगा।
-राजू कुड़ी, ज्ञानदासपुरा, सीकर
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– बालकिशन अग्रवाल, सूरत, गुजरात
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छोटे एवं लघु उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा
‘वोकल फॉर लोकल’ की व्यवस्था से अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा। लघु एवं छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे गरीब व मध्यम वर्ग तथा मजदूर वर्ग के लोगों को आगे बढ़ने में प्रोत्साहन मिलेगा यह अर्थव्यवस्था के लिए कारगर सिद्ध होगा।
– बिहारी लाल बालान, लक्ष्मणगढ़, सीकर
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‘वोकल फॉर लोकल’ का मंत्र देश की अर्थव्यवस्था और स्वदेशी से स्वावलम्बन का प्रभावी तंत्र साबित हुआ है। स्वदेशी आह्वान के माध्यम से हैंडलूम-हैंडीक्राफ्ट के क्षेत्र में भारत की पुश्तैनी विरासत को प्रोत्साहन मिला है और ‘हुनर हाट’ के जरिये दस्तकारों, शिल्पकारों, कारीगरों ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को शक्ति दी है। इसका सबसे अधिक प्रभाव कोरोना काल में विश्व की आर्थिक तंगी के दौरान पड़ा, जब स्वदेशी उत्पादनों ने भारतीय जरूरतों और अर्थव्यवस्था के ‘सुरक्षा कवच’ का काम किया। साथ ही इसके माध्यम से दस्तकारों, शिल्पकारों और उनसे जुड़े लोगों को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर मुहैया कराने में सफलता मिली है।
– डॉ. अजिता शर्मा, उदयपुर
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आधार स्तंभ का काम करेगा ‘वोकल फॉर लोकल’
‘वोकल फॉर लोकल’ अर्थव्यवस्था में कुटीर उद्योग धंधों की हिस्सेदारी बढ़ाने का कारगर साधन साबित हो सकता है। सामान्य श्रम शक्ति का उपयोग अर्थव्यवस्था में एक नई ऊर्जा प्रदान कर सकता है। देश का सर्वाधिक श्रम कृषि में लगा हुआ है, इसके बावजूद कृषि का जीडीपी में योगदान अपेक्षित स्तर पर नहीं है। ‘वोकल फॉर लोकल’ से आम स्तर पर विनिर्माण के अवसर पैदा होंगे और रोजगार की ज्वलंत समस्या का समाधान भी होगा। देश में निजी क्षेत्र में रोजगार पैदा होना, जो आज निस्संदेह देश व अर्थव्यवस्था के लिए किसी चमत्कार रूपी संजीवनी से कम नहीं होगा। ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसी अवधारणा अमीर-गरीब की एक असीमित खाई को पाटने का काम भी करेगी। आम जन को महंगाई से निजात मिलेगी और कम समय में उचित कीमत पर सही मूल्य उनको मिल सकेगा।
– गुमान दायमा, हरसौर, नागौर
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कोरोना से उपजे अंधकार को दूर करेगा ‘वोकल फॉर लोकल’
स्वदेशी को प्रोत्साहन देकर देश को आत्मनिर्भर बनाने की रणनीति है ‘वोकल फॉर लोकल’। स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। स्थानीय लोगों के लिये यह रोजगार सृजन का माध्यम है। लघु, कुटीर एंव मध्यम वर्ग के उद्योगों के उत्थान से जहां स्थानीयों को रोजगार मिलेगा, वही स्थानीय अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। उपभोक्ताओं को भी स्थानीय उत्पादों पर विश्वास रखना पड़ेगा, ब्रांडेड के चक्कर में नहीं पड़कर लोकल व्यवसाय को बढ़ावा देना चाहिए। यह आत्मनिर्भरता की ओर साहसिक कदम है। आत्मनिर्भरता का यह मंत्र उद्योग-धंधों और अर्थव्यवस्था के साथ ही पूरे देश को कोरोना से उपजे अंधकार और अनिश्चय की स्थिति से उबार सकता है। यह मंत्र दस्तकारों एंव शिल्पकारों और उनसे जुड़े रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर को उपलब्ध कराने में सहायक सिद्ध होगा।
– खुशवंत कुमार हिंडोनिया, चित्तौड़गढ़ (राज.)
– प्रतीक्षा, रायपुर, छत्तीसगढ़
– सुरेंद्र कुमार त्रिपाठी, रतलाम (म.प्र.)
– शारदा यादव, कोरबा, छत्तीसगढ़
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने हर क्षेत्र में बहुत तरक्की की है। भारत में लोकल उत्पादों को ज्यादा महत्त्व देना होगा, इससे हमारा भारत आत्मनिर्भर होगा और दूसरे देशों से आयात पर निर्भर नहीं होगा। ‘वोकल फॉर लोकल’ आत्मनिर्भर भारत के लिए सही दिशा तय करेगा।
– ज्योति दयालानी, बिलासपुर
देश में कलाकारों व कारीगरों को अवसर मिलेगा, तो नवनिर्मित चीजें भारत में ही नहीं अपितु दूसरे देशों को भी निर्यात की जा सकेंगी जिसका प्रभाव यह पड़ेगा कि दोगुनी कमाई व मुनाफा कमाकर भारत की अर्थव्यवस्था में सुधारात्मक परिवर्तन तेजी से देखने को मिलेगा।
– वंदना दीक्षित, बूंदी, राजस्थान
‘वोकल फॉर लोकल’ का मंत्र देश की अर्थव्यवस्था और स्वदेशी से स्वावलम्बन का प्रभावी तंत्र साबित हो सकता है। इसने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को शक्ति दी है। ‘वोकल फॉर लोकल’ से ही इस वैश्विक महामारी के समय स्वदेशी उत्पादों के प्रति अलख जगी है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है।
– दीपिका पोद्दार, इंदौर
– सरिता प्रसाद, पटना, बिहार
‘वोकल फॉर लोकल’ अर्थव्यवस्था का मॉडल हमारे लगभग टूट चुके कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, मध्यम तथा लघु उद्योग को पुनर्जीवन प्रदान कर स्थानीय भूमि, पूंजी, श्रम व साहस के संतुलन व स्थानीय संसाधनों का उचित विदोहन कर बेरोजगारी के दबाव को दूर कर, स्थानीय जरूरतों की पूर्ति कर प्रदूषण मुक्त भारत की अवधारणा को साकार करने में कारगर होगा।
– शिवराज सिंह, थांदला, झाबुआ, मध्य प्रदेश
‘वोकल फॉर लोकल’ एक नारा नहीं है, यह रोजगार, उद्योग धंधों और अर्थव्यवस्था को बढ़ाने का एकमात्र मंत्र है जो बड़ा प्रभावशाली है। इस दौर में आगे बढ़ने के लिए हमें स्थानीयता पर जोर देना होगा। हम लोकल के लिए वोकल बनेंगे, तो यह अर्थव्यवस्था के लिए सहायक होगा।
– जागृति राय, कोरबा, छत्तीसगढ़