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आपकी बातः ‘वोकल फॉर लोकल’ अर्थव्यवस्था के लिए कितना प्रभावी सिद्ध होगा?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

Jan 25, 2022 / 06:30 pm

Gyan Chand Patni

vocal for local

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जमीनी स्तर पर प्रोत्साहन नगण्य

‘वोकल फॉर लोकल’ आज सिर्फ एक नारा रह गया है। इसकी शुरुआत स्वदेशी आंदोलन से ही हो गई थी, पर तब और अब में काफी अंतर है। आज भारत विश्व में सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है। लोकल को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है कि स्वदेशी उत्पाद भी बढ़ाए जाएं। सिर्फ आस-पास की छोटी दुकानों से सामान खरीद कर इसे बढ़ाया नहीं जा सकता। जबकि चीन से आयात बढ़ रहा है, हम स्वदेशी को बढ़ावा किस प्रकार दे पाएंगे? निर्यात को प्रोत्साहन देना व स्वदेशी अपनाना देश की उत्पादन क्षमता पर निर्भर करता है, जो कि हमारे आयात के आंकड़े स्वतः ही स्पष्ट करते हैं। लोकल को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है कि कुछ छोटी उत्पादन इकाइयों को आरंभ किया जाए व कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिले। ये सभी योजनाएं जमीनी स्तर पर नगण्य हैं।
– नटेश्वर कमलेश, चांदामेटा, मध्यप्रदेश
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नेता त्यागें विदेशी वस्तुओं का मोह
महामारी के दौरान देश की डगमगाती अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने के लिए ‘वोकल फॉर लोकल’ अर्थात देश में निर्मित वस्तुओं को खरीदें और स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करें। इससे लघु उद्योगों तथा कुटीर उद्योगों का विस्तार होगा। देश का पैसा बाहर न जाकर देश के विकास में काम आएगा। किसानों और मज़दूरों के हाथ मजबूत होंगे। स्वरोजगार से भारत आत्मनिर्भर बनेगा लेकिन ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान तभी सफल हो सकेगा जब नेतागण विदेशी वस्तुओं का त्याग करें। मध्यमवर्गीय और निम्न वर्गीय परिवार न तो विदेशी गाड़ियों में घूमते हैं और न ही उनके बच्चे विदेशी स्कूलों में पढ़ने जाते हैं। आम आदमी तो अपनी आमदनी में नीम से दातुन करके, दाल-रोटी खाकर तथा बच्चों को सरकारी विद्यालय में पढ़ाकर खुश है। नेताओं के घरों में कलम से लेकर बच्चों की चॉकलेट तक विदेशी हैं। स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग वे लोग करें, तभी ‘वोकल फॉर लोकल’ से अर्थव्यवस्था में सुधार होगा, तभी देश आत्मनिर्भर हो सकेगा।
– विभा गुप्ता, बेंगलूरु
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सभी क्षेत्रों में होगा विकास

‘वोकल फॉर लोकल’ से उत्पादन केंद्र पर ही उपभोग होने से, रोजगार बढ़ेंगे, आधारभूत संसाधनों सड़क, परिवहन अन्य पर दबाव कम होगा, उत्पादित माल खराब कम होगा और विकास केंद्रित न होकर सभी क्षेत्रों में समान रूप से होगा। परिणामतः देश में सरकार को अन्य विकास कार्यों के लिए अधिक धन, आधारभूत संसाधन व समय भी मिलेगा।
– नमन कासलीवाल, भजन नगर, ब्यावर
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देशभक्ति की भावना होना जरूरी

‘वोकल फॉर लोकल’, अर्थव्यवस्था के लिए तब ही प्रभावी सिद्ध हो सकता है जब देश-प्रदेश के नागरिकों में देशभक्ति की भावना भरी हो, जापान के नागरिकों के समान। स्वदेशी चीजें अपनाने से यदि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है तो सबका कर्त्तव्य बनता है कि स्वदेशी चीजें ही खरीदें। जहां बागड़ ही खेत को खाने लग जाए तो अर्थव्यवस्था कैसे मजबूत होगी? अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए लोगों को जापान के नागरिकों जैसी देशभक्ति की शिक्षा देनी जरूरी है।
– रणजीत सिंह भाटी, राजाखेड़ी, मंदसौर (मप्र)

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रोजगार की कमी भी होगी दूर
लोकल उत्पादन में अच्छी गुणवत्ता होने के बावजूद भी उसे अच्छा मूल्य नहीं मिल पा रहा है। एक कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाता है, गुणवत्ता अच्छी है पर अच्छा मूल्य नहीं मिल पाता है। खेती करने वाले किसान को अच्छा मूल्य नहीं मिल पाता है, उसकी आने वाली पीढ़ियां खेती से मुंह मोड़ रही है। लोकल उत्पाद को उचित मूल्य मिलेगा तभी यह अर्थव्यवस्था के लिए प्रभावी होगा। यह रोजगार व नौकरियों की कमी को भी दूर करेगा।
-राजू कुड़ी, ज्ञानदासपुरा, सीकर
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भविष्य में दिखेगा लोकल पर फोकस का असर

जिस तरह देश में आज बहुत से स्टार्टअप और लोकल वस्तुओं का चलन हो रहा है इसका असर भविष्य में देखने को मिलेगा। अगर सभी भारतीय लोकल वस्तुओं का इस्तेमाल करने लग जाएं तो जो विदेशी कंपनियां कमाई का एक हिस्सा ले जाती हैं वह हिस्सा अपने देश में रह जाएगा। इससे आने वाले समय में देश की अर्थव्यवस्था को काफी फायदा होगा।
– बालकिशन अग्रवाल, सूरत, गुजरात
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छोटे एवं लघु उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा
‘वोकल फॉर लोकल’ की व्यवस्था से अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा। लघु एवं छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे गरीब व मध्यम वर्ग तथा मजदूर वर्ग के लोगों को आगे बढ़ने में प्रोत्साहन मिलेगा यह अर्थव्यवस्था के लिए कारगर सिद्ध होगा।
– बिहारी लाल बालान, लक्ष्मणगढ़, सीकर
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जीडीपी का उत्प्रेरक है ‘वोकल फॉर लोकल’

स्थानीय कच्चे माल का उपभोग कर विभिन्न नए-नए उत्पादों के निर्माण और उनकी मार्केटिंग से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती जाएगी और देश की जीडीपी में निश्चित ही वृद्धि होगी। विकसित ई-मीडिया के दम पर त्वरित गति विज्ञापन से स्थानीय उत्पादों की खपत भी गांवों-शहरों में बढ़ेगी। नई सरकारी उत्पादन इकाइयों की स्थापना बहुत कम हो रही है। निजी क्षेत्र की उत्पादन इकाइयों से ही देश की अर्थव्यवस्था को ‘वोकल फॉर लोकल’ का सम्बल मिल सकता है।
– मुकेश भटनागर, वैशालीनगर, भिलाई

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पुश्तैनी विरासतों को मिला बढ़ावा
‘वोकल फॉर लोकल’ का मंत्र देश की अर्थव्यवस्था और स्वदेशी से स्वावलम्बन का प्रभावी तंत्र साबित हुआ है। स्वदेशी आह्वान के माध्यम से हैंडलूम-हैंडीक्राफ्ट के क्षेत्र में भारत की पुश्तैनी विरासत को प्रोत्साहन मिला है और ‘हुनर हाट’ के जरिये दस्तकारों, शिल्पकारों, कारीगरों ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को शक्ति दी है। इसका सबसे अधिक प्रभाव कोरोना काल में विश्व की आर्थिक तंगी के दौरान पड़ा, जब स्वदेशी उत्पादनों ने भारतीय जरूरतों और अर्थव्यवस्था के ‘सुरक्षा कवच’ का काम किया। साथ ही इसके माध्यम से दस्तकारों, शिल्पकारों और उनसे जुड़े लोगों को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर मुहैया कराने में सफलता मिली है।
– डॉ. अजिता शर्मा, उदयपुर
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आधार स्तंभ का काम करेगा ‘वोकल फॉर लोकल’
‘वोकल फॉर लोकल’ भारतीय अर्थव्यवस्था के वृक्ष के लिए आधार स्तंभ का काम करेगा, भारत की विकासशील अर्थव्यवस्था को अग्रणी बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ‘वोकल फॉर लोकल’ का मतलब यह है कि जहां जो चीज आवश्यक हो वही बनाई जाए और जो वस्तु जहां बन रही हो वही काम में भी ली जाए। ‘वोकल फॉर लोकल’ अर्थव्यवस्था का पुराना पैमाना है परंतु आधुनिक युग में भी सबसे सरल और सर्वोत्तम है। दूसरे देश की आर्थिक नीतियों के दबाव से बचने के लिए ‘वोकल फॉर लोकल’ न केवल कारगर है, बल्कि इसके दम पर सारी समस्याओं से निजात पाकर आगे बढ़ा जा सकता है।
– डॉक्टर माधव सिंह. एमएस अस्पताल, श्रीमाधोपुर, सीकर, राजस्थान

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अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी
‘वोकल फॉर लोकल’ अर्थव्यवस्था में कुटीर उद्योग धंधों की हिस्सेदारी बढ़ाने का कारगर साधन साबित हो सकता है। सामान्य श्रम शक्ति का उपयोग अर्थव्यवस्था में एक नई ऊर्जा प्रदान कर सकता है। देश का सर्वाधिक श्रम कृषि में लगा हुआ है, इसके बावजूद कृषि का जीडीपी में योगदान अपेक्षित स्तर पर नहीं है। ‘वोकल फॉर लोकल’ से आम स्तर पर विनिर्माण के अवसर पैदा होंगे और रोजगार की ज्वलंत समस्या का समाधान भी होगा। देश में निजी क्षेत्र में रोजगार पैदा होना, जो आज निस्संदेह देश व अर्थव्यवस्था के लिए किसी चमत्कार रूपी संजीवनी से कम नहीं होगा। ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसी अवधारणा अमीर-गरीब की एक असीमित खाई को पाटने का काम भी करेगी। आम जन को महंगाई से निजात मिलेगी और कम समय में उचित कीमत पर सही मूल्य उनको मिल सकेगा।
– गुमान दायमा, हरसौर, नागौर
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कोरोना से उपजे अंधकार को दूर करेगा ‘वोकल फॉर लोकल’
स्वदेशी को प्रोत्साहन देकर देश को आत्मनिर्भर बनाने की रणनीति है ‘वोकल फॉर लोकल’। स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। स्थानीय लोगों के लिये यह रोजगार सृजन का माध्यम है। लघु, कुटीर एंव मध्यम वर्ग के उद्योगों के उत्थान से जहां स्थानीयों को रोजगार मिलेगा, वही स्थानीय अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। उपभोक्ताओं को भी स्थानीय उत्पादों पर विश्वास रखना पड़ेगा, ब्रांडेड के चक्कर में नहीं पड़कर लोकल व्यवसाय को बढ़ावा देना चाहिए। यह आत्मनिर्भरता की ओर साहसिक कदम है। आत्मनिर्भरता का यह मंत्र उद्योग-धंधों और अर्थव्यवस्था के साथ ही पूरे देश को कोरोना से उपजे अंधकार और अनिश्चय की स्थिति से उबार सकता है। यह मंत्र दस्तकारों एंव शिल्पकारों और उनसे जुड़े रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर को उपलब्ध कराने में सहायक सिद्ध होगा।
– खुशवंत कुमार हिंडोनिया, चित्तौड़गढ़ (राज.)
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स्थानीय बाजार विकसित होगा तो कई समस्याएं होंगी दूर

‘वोकल फॉर लोकल’ से रोजगार बढ़ेगा और स्थानीय बाजार विकसित होगा। यदि हम स्थानीय उत्पादों का उपयोग करते हैं, तो यह न केवल स्थानीय पहचान को मजबूत करेगा बल्कि उस क्षेत्र के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा। हम लोगों ने लॉकडाउन के समय में देखा कि किस तरह देश के लोग आत्मनिर्भर बन रहे थे। इस तरह देश की कई समस्याओं जैसे गरीबी, बेरोजगारी को दूर करने में मदद मिलेगी, जल्दी विकास होगा और अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
– प्रतीक्षा, रायपुर, छत्तीसगढ़
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स्वदेशी की खपत बढ़ेगी तो बढ़ेगा रोजगार

‘वोकल फॉर लोकल’ के समर्थन से आयात कम होगा और इससे अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। स्वदेशी वस्तुओं की खपत बढ़ने से उनका उत्पादन बढ़ेगा, जिसका सीधा प्रभाव रोजगार सृजन के रूप में सामने आएगा।
– सुरेंद्र कुमार त्रिपाठी, रतलाम (म.प्र.)
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स्वदेशी अपनाएंगे, तो मजबूत होगी अर्थव्यवस्था

‘वोकल फॉर लोकल’ पहल का एकमात्र उद्देश्य है कि हमारी जनता स्वदेशी सामान खरीद सके। अन्य देशों की कंपनियां हमारे देश में व्यापार करके खूब धन कमा रही हैं, इससे उन देशों की अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो रही है। सरकार का उद्देश्य है कि इन देशों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की जगह क्यों न अपने देश में खुद का उत्पाद कर देश की अर्थव्यवस्था में वृद्धि की जाए।
– शारदा यादव, कोरबा, छत्तीसगढ़
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आत्मनिर्भर होना जरूरी है
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने हर क्षेत्र में बहुत तरक्की की है। भारत में लोकल उत्पादों को ज्यादा महत्त्व देना होगा, इससे हमारा भारत आत्मनिर्भर होगा और दूसरे देशों से आयात पर निर्भर नहीं होगा। ‘वोकल फॉर लोकल’ आत्मनिर्भर भारत के लिए सही दिशा तय करेगा।
– ज्योति दयालानी, बिलासपुर
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अवसर मिलेगा तो निर्यात भी बढ़ेगा
देश में कलाकारों व कारीगरों को अवसर मिलेगा, तो नवनिर्मित चीजें भारत में ही नहीं अपितु दूसरे देशों को भी निर्यात की जा सकेंगी जिसका प्रभाव यह पड़ेगा कि दोगुनी कमाई व मुनाफा कमाकर भारत की अर्थव्यवस्था में सुधारात्मक परिवर्तन तेजी से देखने को मिलेगा।
– वंदना दीक्षित, बूंदी, राजस्थान
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‘वोकल फॉर लोकल’ अर्थव्यवस्था के लिए प्रभावी तंत्र
‘वोकल फॉर लोकल’ का मंत्र देश की अर्थव्यवस्था और स्वदेशी से स्वावलम्बन का प्रभावी तंत्र साबित हो सकता है। इसने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को शक्ति दी है। ‘वोकल फॉर लोकल’ से ही इस वैश्विक महामारी के समय स्वदेशी उत्पादों के प्रति अलख जगी है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है।
– दीपिका पोद्दार, इंदौर
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क्षमता विकास का मौका मिलेगा

‘वोकल फॉर लोकल’ अर्थव्यवस्था के लिए बहुत हद तक प्रभावी सिद्ध होगा। सबसे पहले तो हमें स्थानीय स्तर पर बनी चीजों के लिए कच्चा माल विदेशों से मंगवाना नहीं पड़ेगा। इससे धन की बचत होगी। हमारे देश में एक से बढ़कर एक लोगों में क्षमता है, गुण हैं जिसको विकास करने का मौका मिलेगा। अपने देश में बनी चीजों का खरीददार हम खुद बनेंगे तो हमारे देश का पैसा देश में ही रहेगा, बाहर नहीं जाएगा। रोजगार की संभावनाएं बनेंगी। युवा वर्ग जो आज बेरोजगार घूम रहे हैं उनको काम मिलेगा, गरीबी दूर होगी। युवा कौशल विकास होगा जो हमारे देश की आर्थिक स्थिति को और मजबूत करेगा। अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी और हम आत्मनिर्भर बनेंगे।
– सरिता प्रसाद, पटना, बिहार
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साकार हो सकती है प्रदूषण मुक्त भारत की अवधारणा
‘वोकल फॉर लोकल’ अर्थव्यवस्था का मॉडल हमारे लगभग टूट चुके कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, मध्यम तथा लघु उद्योग को पुनर्जीवन प्रदान कर स्थानीय भूमि, पूंजी, श्रम व साहस के संतुलन व स्थानीय संसाधनों का उचित विदोहन कर बेरोजगारी के दबाव को दूर कर, स्थानीय जरूरतों की पूर्ति कर प्रदूषण मुक्त भारत की अवधारणा को साकार करने में कारगर होगा।
– शिवराज सिंह, थांदला, झाबुआ, मध्य प्रदेश
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‘वोकल फॉर लोकल’ एकमात्र उपाय
‘वोकल फॉर लोकल’ एक नारा नहीं है, यह रोजगार, उद्योग धंधों और अर्थव्यवस्था को बढ़ाने का एकमात्र मंत्र है जो बड़ा प्रभावशाली है। इस दौर में आगे बढ़ने के लिए हमें स्थानीयता पर जोर देना होगा। हम लोकल के लिए वोकल बनेंगे, तो यह अर्थव्यवस्था के लिए सहायक होगा।
– जागृति राय, कोरबा, छत्तीसगढ़

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