ट्विटर और लेबल जारी करेगा, भारत शामिल नहीं : ट्विटर का कहना है कि वह सरकारी संस्थाओं और नेताओं की पहचान के लिए और लेबल जारी करेगा। 17 फरवरी से शुरू होने वाली इस कार्रवाई का उद्देश्य फर्जी अकांउट्स से यूजर्स को सचेत करना है। कनाडा, क्यूबा, ईरान, स्पेन, इंडोनेशिया जैसे 16 देशों में नई व्यवस्था लागू की जाएगी। लेकिन ट्विटर ने फिलहाल भारत को इसमें शामिल नहीं किया है। उल्लेखनीय है कि अभी ट्विटर पर वेरिफाइड अकाउंट पर ब्लू टिक का निशान होता है।
हैशटैग ट्विटर बनाम सरकार दोनों ओर से सवाल-जवाब –
1- सरकार ने ट्विटर को 1300 अकाउंट को डिलीट करने के लिए निर्देश दिए थे। ट्विटर ने इस पर आनाकानी की तो केंद्र सरकार ने फटकार लगाई।
2- ट्विटर ने अपने जवाब में कहा था कि वो सूची में शामिल सभी अकाउंट्स को ब्लॉक नहीं करेगा, क्योंकि ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा मामला है।
3- किसान आंदोलन को लेकर विदेशी हैंडल से किए गए ट्वीट को लेकर सरकार की ओर से सख्ती बरती गई।
बड़ी कवायद के संकेत…
सूत्रों के अनुसार सरकार आइटी एक्ट 2000 में बड़े संशोधनों की कवायद में है।
इन संशोधनों से सोशल मीडिया पर प्रभावी अंकुश लगेगा। जिम्मेदारी तय हो सकेगी।
ट्विटर ने बंद किए 97 प्रतिशत आपत्तिजनक अकाउंट: ट्विटर ने बयान जारी कर बताया है कि सरकार की ओर से आपत्तिजनक अकाउंट्स के बारे में दी गई सूची में से 97 फीसदी को बंद कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने इस मामले में सख्त रवैया अपनाया है। इस क्रम में केंद्र के आला अधिकारियों ने ट्विटर प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर स्पष्ट किया था कि सूची में दिए गए अकाउंट्स को हटाना ही पड़ेगा।
ट्विटर को मानने होंगे निर्देश-
साइबर सिक्युरिटी विशेषज्ञों का मानना है कि ट्विटर और सरकार के बीच फ्री स्पीच ( अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) से ज्यादा ये कानून के शासन का मुद्दा है। किसी भी कंपनी को संबंधित देश की सरकार के आदेश हर हाल में मानने ही पड़ते हैं। इस मामले में ट्विटर को भारत में भी ऐसा ही होगा।
चीन ने बीबीसी न्यूज पर लगाई रोक-
चीन ने बीबीसी वल्र्ड न्यूज पर नियमों का उल्लंघन करने का हवाला देकर अपने यहां प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया। सूत्रों के अनुसार बीबीसी द्वारा कोरोना और लोकतंत्र समर्थकों की रिपोटिंग पर चीन नाराज था। उधर, चीन के इस फैसले पर अमेरिका ने कड़ा विरोध जताया है।
गूगल-फेसबुक करेगा भुगतान-
ऑस्ट्रेलिया में सीनेट की एक समिति ने गूगल और फेसबुक पर समाचार देने के बदले भुगतान करने की अनुशंसा में कोई बदलाव नहीं किया। सीनेट की आर्थिक मामलों की विधायी समिति दिसंबर में विधेयक संसद में पेश किए जाने के बाद से इस पर गौर कर रही है।