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आज की बात, स्वदेशी वस्तुओं को कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

Nov 04, 2020 / 03:40 pm

Gyan Chand Patni

आज की बात, स्वदेशी वस्तुओं को कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है?

स्वदेशी वस्तुओं को प्रोत्साहन जरूरी
स्वदेशी वस्तुओं के ज्यादा से ज्यादा प्रयोग के लिए सरकार को इन उद्योगों को प्रोत्साहित करना होगा, ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा इन स्वदेशी वस्तुओं को खरीदें। सरकार को इन वस्तुओं के प्रसार-प्रचार का कार्य करना चाहिए ,ताकि लोगो तक इनकी पहुंच बढ़े।
-हनुमान बिश्नोई, धोरीमन्ना, बाड़मेर
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भारत में बनी वस्तुएं ही खरीदें
स्वदेशी उद्योग आत्मनिर्भरता की नींव हैं। सरकार को नए और उन्नत उद्योगों और तकनीक की स्थापना की ओर ध्यान देना चाहिए। सरकार के साथ-साथ भारत जैसे प्रगतिशील देश के लोगों का भी कर्तव्य है कि वे इन भारत में बनी वस्तुएं खरीद कर भारत की उन्नति और आत्मनिर्भरता में अपना योगदान दें। आजकल ऑनलाइन शॉपिंग का जमाना है। हर छोटी से छोटी चीज ऑनलाइन खरीदते वक्त हम ध्यान ही नहीं रखते कि ये वस्तुएं कहां बनी हैं।
-दीप्ति जैन, उदयपुर
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स्वदेशी का महत्व पहचानना होगा
स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने का सबसे आसान और कारगर तरीक यही है कि रोजमर्रा की उपयोगी वस्तुओं में हम अधिक से अधिक स्वदेशी वस्तुओं का स्वयं उपयोग करें और दूसरों को भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित करें। प्रशासन, मीडिया आदि के द्वारा भी स्वदेशी वस्तुओं का अधिक-से-अधिक प्रचार-प्रसार किया जाए और स्वदेशी के महत्व को जन-जन तक पहुंचाया जाए।
-कुशल सिंह राठौड़, कुड़ी भगतासनी, जोधपुर
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प्रचार में पिछड़ जाती हैं स्वदेशी वस्तुएं
किसी भी वस्तु के उपयोग एवं उपभोग के प्रयोग के लिए सर्वाधिक आवश्यकता है, उस वस्तु की सुलभ उपलब्धि, गुणवत्ता एवं जानकारी। स्वदेशी वस्तुओं का ज्यादा प्रचार नहीं होता। हमारे यहां लोकलुभावन एकल विंडो व्यवस्था हैं किन्तु नए उद्योग लगाने वालों को चक्कर ही लगाने पड़ते हैं। लाइसेंस प्रक्रिया जटिल है। पेटेंट प्रक्रिया जटिल है। ऐसे में सीमित संसाधनों में अपने उत्पाद बनाने वाले निर्माता विकट स्थितिसे गुजरते हैं। गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने पर वस्तु मंहगी पड़ती हैं और गुणवत्ता से समझौता करने पर वस्तुएं बिकती नहीं हैं।
-डॉ. लोकमणि गुप्ता, कोटा
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स्थानीय उत्पादों की बिक्री के लिए जगह दी जाए
स्थानीय उत्पादों की जानकारी एवं उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अलग से कोई मिनी माल-शॉपिंग मॉल की ही तरह स्थान हो। साथ ही शासकीय, धार्मिक, सामाजिक आयोजन में ऐसे उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए । स्थानीय उत्पाद में प्रिंट हो कि ये वे किस स्थान पर बने हैं।
-रंजीत कछवाहा, मण्डला, मध्य प्रदेश
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देश के विकास में योगदान दें
यदि कोई भी व्यक्ति स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करता है तो वह देश के विकास में योगदान देता है। किसी भी वस्तु की बिक्री बढ़ाने के लिए उसका प्रचार-प्रसार किया जाता है। स्वदेशी वस्तुओं की तरफ अभी लोगों का कम आकर्षण है । इसलिए इनका प्रचार-प्रसार जरूरी है। स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम में भी इनका उल्लेख होना चाहिए। स्वदेशी वस्तुओं को खरीदने से होने वाले फायदे जनता तक पहुंचाना अति आवश्यक हैं। हम स्वयं इनको खरीदें एवं अन्य को भी जागरूक कर देश के विकास में अपना योगदान निभाएंं।
-शिवजीत परमार, धौलपुर
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राष्ट्र निर्माण में योगदान
स्वदेशी वस्तुओं के जो उत्पाद हम खरीदते हैं उसका बड़ा हिस्सा राष्ट्र निर्माण में लगता है। इससे देश को मजबूती मिलती है। स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए यह जरूरी है कि भारत सरकार भी सपोर्ट करे। साथ ही स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने के लिए उपभोक्ताओं को समझाइश की जाए। स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देना हर दृष्टि से अच्छा है।
-सतीश उपाध्याय, मनेंद्रगढ़ कोरिया
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गुणवत्ता पर ध्यान देना जरूरी
स्वदेशी वस्तुओ को जरूर बढ़ावा मिलना चाहिए। इससे देश की अर्थव्यस्था को मजबूती मिलेगी। सरकार को स्वेदशी वस्तुओ पर कर का भार कम करना चाहिए। साथ ही जन जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए, ताकि जनता स्वेदेशी वस्तुओं को खरीदने के लिए प्रोत्साहित हो। स्वेदेशी वस्तुओं की गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
-अरविंद भंसाली, जसोल
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स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा मिले
कई लोग विदेशी चीजों का इस्तेमाल करना बहुत अच्छा मानते हैं, लेकिन इन विदेशी चीजों के आकर्षण ने देश में निर्मित चीजों को गर्त में धकेल दिया है। अब भी समय है कि हम अपने देश की बनी वस्तुओं पर भरोसा रखें, उनका उपयोग करें, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था में भी सुधार हो और लोगों को रोजगार भी मिले। सरकार को भी चाहिए कि वह लघु और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दे। निश्चित ही ये हमें आत्मनिर्भर बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। सभी लोग इन उद्योगों से बनी वस्तुओं को अपनाएं।
-साजिद अली इंदौर
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महंगी हैं स्वदेशी वस्तुएं
भारत में बनी कई गुणवत्तापूर्ण वस्तुओं के दाम विदेशी वस्तुओं की अपेक्षा काफी महंगे होते हैं। सरकार सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योगों को बढ़ावा दे। उपभोक्ता तथा उत्पादक के बीच आने वाले बिचौलियों को कम करंे। इससे चीजें अपेक्षाकृत सस्ती उपलब्ध हो जाएंगी। लोगों को जागरूक कर विदेशी वस्तुओं के स्थान पर स्वदेशी अपनाने पर जोर दिया जाए।
-विष्णु कांत, बारां
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स्वदेशी वस्तुओं पर विश्वास बढ़ा
कोरोना काल के दौरान हम सभी ने अपनी संस्कृति और संस्कारों का महत्त्व पुन: जाना है। आज देश की सरकार के साथ-साथ आम जन ने भी स्वदेशी वस्तुओं को महत्त्व समझ लिया है। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर बॉयकॉट मेड इन चाइना के समर्थन में हजारों युवा आगे आए हैं। विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने से पूर्व स्वदेश में निर्मित वस्तुओं के प्रति निष्ठा और विश्वास की नितांत आवश्यकता है। आज सभी प्रण लें कि सदैव देशी उत्पादों का ही प्रयोग करेंगे तभी चाइना उत्पादों को हम देश से बाहर निकाल सकते हंै तथा स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा दे सकते है।
-डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
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उत्पादकों को अनुदान दिया जाए
स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए सरकार को इनके उत्पादकों को अनुदान देने के साथ-साथ व्यापक प्रचार-प्रसार में मदद करनी होगी। इससे आम जनता को ऐसी वस्तुओं की उपयोगिता का ख्याल आएगा, वहीं अपेक्षाकृत सस्ती होने से उनकी बिक्री बढ़ेगी। युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर राष्ट्र की समृद्धि में सहायक बना सकते हैं।
-छगन लाल व्यास, खंडप, बाड़मेर
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कम ब्याज पर ऋण दिया जाए
स्वदेशी वस्तुओं के निर्माताओं को सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जानी चाहिए तथा उन्हें बैंक से कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराए जाएं। राष्ट्रीयता की भावना और सरकारी नीतियां स्वदेशी वस्तुओ के व्यापार को बढ़ाकर भारत को आत्मनिर्भर बना सकती हैं।
-विषेक फौगाट, झुंझुनूं
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जरूरी है प्रचार
स्वदेशी वस्तुएं एवं उत्पाद किसी भी मामले में विदेशी वस्तुओं से कम नहीं हैं। स्वदेशी को बढ़ावा देने का सबसे प्रभावी तरीका है आधुनिक तकनीकों से उनका प्रचार। अगर स्वदेशी वस्तुओं को सही तरीके से जनता के बीच लाया जाएगा तो निश्चित तौर पर स्वदेशी को बढ़ावा मिलेगा। सोशल मीडिया एवं प्रिंट मीडिया का सही इस्तेमाल उपभोक्ताओं को जागरूक करने में मदद करेगा।
-जितेश माथुर, उदयपुर
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स्वदेशी को अपनाने का संकल्प लिया जाए
विदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल को स्टेटस सिंबल ना मानकर, स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल की ठान लें तो विदेशी कंपनियों की दुकानें बंद हो जाएंगी और स्वदेशी वस्तुएं बाजार में स्थापित हो जाएंगी। स्वदेशी निर्माता को भी चाहिए कि वस्तुओं की गुणवत्ता इतनी उच्च स्तर की हो कि विदेशी वस्तुओं को टक्कर मिल सके। हम स्वदेशी अपनाने के प्रति मन में दृढ़ संकल्प पर अमल कर भारत को आत्मनिर्भर बना सकते हैं।
-रमेश भाखर, फागलवा, सीकर

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