भूकंप के प्रभाव को कम करने के लिये आपातकालीन योजना महत्त्वपूर्ण है। इसमें निकासी योजना विकसित करना, आपातकालीन आश्रयों की स्थापना और भूकंप का सामना करने के तरीके पर कर्मियों को प्रशिक्षित करना शामिल है।
—राहुल कुमार पालीवाल, राजसमंद
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भूकंप संभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अपने भवनों के निर्माण में मजबूत संरचनाओं को शामिल करना चाहिए। भूकंप आने पर सर्वप्रथम अपने सिर को बचाएं। अगर आप घर से बाहर है तो किसी खुली जगह पर जाने की कोशिश करें।
-ज्योति अभिषेक शर्मा, जयपुर
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देश में कई स्थानों पर भूकंप के खतरे मौजूद है। कई जगह इनकी आवृत्ति बढ़ गई है। इसके लिए भूकंप अवरोधी आवासों का निर्माण हो, आधुनिक तकनीकी के इस्तेमाल से भूकंप की चेतावनी मिल सके। बहुमंजिला भवनों में भूकंप अवरोधी, खतरे के समय आपातकाल निकासी मार्ग, डबल सीढ़ियां, पर्याप्त मात्रा में बहुमंजिली भवनों के मध्य खुली जगहों की कमी आपातकाल में बचाव में अवरोध बन जाता है।
— हरिप्रसाद चौरसिया, देवास, मध्यप्रदेश
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भूकंप का पूर्वानुमान लगाना संभव नहीं है। लेकिन कुछ एहतियात के उपायों को अपना कर इसकी विभीषिका को काम किया जा सकता है। इसमें भूकंप रोधी तकनीक से भवनों का निर्माण सबसे महत्वपूर्ण है। साथ ही आपदा प्रबंधन के गुर लोगों को सिखा कर, आपातकालीन संसाधनों का प्रयोग करके, भारी भरकम विस्फोट से परहेज कर के एवं बड़े बांधों के निर्माण को हतोत्साहित करके भी भूकंप आने की संभावनाओं को कम किया जा सकता है।
— ललित महालकरी, इंदौर
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भूकम्प एक प्राकृतिक आपदा है इसे रोका नहीं जा सकता। प्रकृति से छेड़छाड़ बंद कर इसे कुछ हद तक कम किया जा सकता है । संवेदनशील क्षेत्रों में बहुमंजिला इमारतों के निर्माण पर प्रतिबंध और भूकम्प रोधी मकानों का निर्माण किया जाए। भूकम्प आने का पूर्वानुमान लगाने वाले सैंसर को अधिक उन्नत बनाने और अनुसंधान की आवश्यकता है
— संजय डागा, हातोद
भूकम्प के प्रति सतर्कता रखना आवश्यक है। तभी इसके नुकसान से बचा जा सकता है। भूकम्प के प्रति संवेदनशील स्थानों पर अधिक सतर्कता बरतनी जरूरी है।
– प्रियव्रत चारण, जोधपुर
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