मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019 लागू होने के बाद भी सड़क हादसों में वृद्धि हो रही है। बढ़ाए गए जुर्माने की राशि द्वारा मनचाहा परिणाम नहीं मिलने की स्थिति ने केंद्रीय परिवहन मंत्री भी यह सोचने को विवश हुए हैं कि जुर्माना राशि बढ़ा देने मात्र से इस समस्या को निपटने में आंशिक मदद ही मिल पाएगी। साफ है कि सड़क हादसे रोकने और यातायात नियमों प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए सामाजिक एवं शैक्षणिक संगठनों की मदद लेनी चाहिए। लोगों के व्यवहार परिवर्तन लाना चाहिए। इसके लिए एआइ जैसी तकनीक के इस्तेमाल को भी बढ़ावा दिया जा सकता है।
फारूक आफरीदी
वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार
बेंगलूरु ऐसा महानगर है जो सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर रहा है। यह प्रयोग पूरे देश के लिए अनुकरणीय हो सकता है। एआइ का सही तरीक से उपयोग करके मानव जीवन को सुरक्षित किया जा सकता है। एआइ को लेकर अनेक धारणाएं हैं। इस तकनीक को लेकर लोग सशंकित भी नजर आते हैं, लेकिन इसका सही इस्तेमाल फायदेमंद साबित हो सकता है। बेंगलूरु में इसका रचनात्मक उपयोग कर यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अब यदि आप बेंगलूरु में यातायात नियमों के उल्लंघन के मामलों के दोषी हैं तो ऑटोमेटिक चालान घर पर पहुंच जाएगा और आपको जुर्माना अदा करना होगा।
वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात कर रहे हैं, बाइक पर तीन सवारियां बैठी हैं, हेलमेट पहना हुआ नहीं है, कार चला रहे हैं और सीट बेल्ट नहीं लगा रखी है, लाल बत्ती को क्रॉस कर निकल रहे हैं, निर्धारित गति सीमा का उल्लंघन किया है, गैर कानूनी नंबर प्लेट लगा रखी है, रॉन्ग साइड ड्राइविंग और ओवर लोडिंग कर रहे हैं अथवा सड़क सुरक्षा के नियमों का किसी भी तरह से उल्लंघन कर रहें हैं तो आपको इसके लिए जुर्माना अदा करना होगा। बेंगलूरु में अब तक ऐसे 12 हजार मामलों में कार्रवाई हुई है। इससे पुलिस के अनुचित हस्तक्षेप और ट्रैफिक के नाम पर होने वाले उत्पीडऩ और भ्रष्टाचार में भी कमी आई है, वहीं अब ट्रैफिक पुलिस का भारी अमला लगाने से भी छुटकारा मिल जाएगा।
यदि बेंगलूरु की भांति देश के सभी महानगरों में एआइ का उपयोग करके यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होने लगे तो वाहन चालकों में यातायात नियमों की पालना को लेकर सजगता बढ़ेगी और हादसों में कमी आएगाी। सड़क हादसों में बड़ी संख्या में लोगों की जान जा रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया भर में मोटर वाहन दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या, जिसमें कार दुर्घटनाएं भी शामिल हैं, चौंका देने वाली है। हर साल लगभग 1.19 मिलियन मौतें होती हैं। वर्ष 2022 में भारत में कुल 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1,68,491 लोगों ने अपनी जान गंवाईं और कुल 4,43,366 लोग घायल हो गए। विगत वर्ष की तुलना में दुर्घटनाओं में 11.9 प्रतिशत, मृत्यु में 9.4 प्रतिशत और घायलों की संख्या में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस तरह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय भारत के मिलियन प्लस शहरों में होने वाली दुर्घटनाओं के आंकड़े जारी करता है। इसके अनुसार, सभी मिलियन प्लस वाले शहरों का सड़क दुर्घटनाओं में योगदान 46 प्रतिशत है। दिल्ली ने सड़क दुर्घटनाओं की सूची में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन वैश्विक स्थिति रिपोर्ट जारी करती है। ताजा रिपोर्ट में सड़क दुर्घटनाओं के कारणों में प्रमुख रूप से तीव्र गति से वाहन चलाना, शराब या फिर अन्य साइको-एक्टिव पदार्थों के सेवन, हेलमेट के बिना मोटरसाइकिल चलाना, सीट-बेल्ट के बिना कार चलाना, गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल, सड़कों का असुरक्षित ढांचा, असुरक्षित वाहन, दुर्घटना के बाद अपर्याप्त देखभाल एवं ट्रैफिक नियमों को सही तरीके से लागू न किया जाना शामिल है।
मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019 लागू होने के बाद भी सड़क हादसों में वृद्धि हो रही है। बढ़ाए गए जुर्माने की राशि द्वारा मनचाहा परिणाम नहीं मिलने की स्थिति ने केंद्रीय परिवहन मंत्री भी यह सोचने को विवश हुए हैं कि जुर्माना राशि बढ़ा देने मात्र से इस समस्या को निपटने में आंशिक मदद ही मिल पाएगी। साफ है कि सड़क हादसे रोकने और यातायात नियमों प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए सामाजिक एवं शैक्षणिक संगठनों की मदद लेनी चाहिए। लोगों के व्यवहार परिवर्तन लाना चाहिए। इसके लिए एआइ जैसी तकनीक के इस्तेमाल को भी बढ़ावा दिया जा सकता है।
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