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patrika opinion स्वस्थ व सुरक्षित भविष्य की चिंता करने का समय

जागरूक लोग ही सरकार को ऐसी नीतियां बनाने के लिए बाध्य कर सकते हैं जो ऐसी हानिकारक वस्तुओं पर रोक लगा सके। विडंबना यह भी है कि जिन वस्तुओं पर साफ-साफ लिखा होता है- ‘यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है’, उन वस्तुओं के निर्माण और इस्तेमाल को भी हम रोक नहीं पा रहे हैं।

जयपुरSep 19, 2024 / 09:50 pm

MUKESH BHUSHAN

खान-पान की गड़बडिय़ों की वजह से हमारे स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान की मोटे तौर पर दो वजह है। पहली, जान-बूझकर उन वस्तुओं का सेवन करते रहना, जो हानिकारक हैं। दूसरी वजह है, अनजाने में हानिकारक चीजें हजम करते रहना। दिनचर्या में सुविधाजनक होने के कारण हम अनायास अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।
एक नई रिसर्च से पता चला है कि खाने की पैकेजिंग और उसकी तैयारी में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं के माध्यम से हमारे शरीर में करीब 3600 प्रकार के हानिकारक रसायन पहुंच रहे हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हैं। ऐसी वस्तुओं के माध्यम से ‘परफ्लुओरोएल्किल’ और ‘पोलिफ्लुओरोएल्किल’ समूह के रसायन भी पहुंच रहे हैं जिन्हें ‘फॉरएवर केमिकल’ भी कहा जाता है। इन्हें आसानी से खत्म नहीं किया जा सकता। ज्यूरिख के फूड पैकेजिंग फोरम फाउंडेशन के विशेषज्ञों ने शोध में बताया है कि बिस्फेनॉल-ए नाम का रसायन मानव शरीर में पाया गया है जो हार्मोन में रुकावट पैदा करता है। शोधकर्ताओं ने 14 हजार ऐसे रसायनों की सूची बनाई है जो फूड पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक, कागज, कांच, धातु या अन्य सामान के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंच रहे हैं। इसके कारण प्रजनन समस्याएं, मोटापा और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों में इन रसायनों का अधिक प्रभाव हो सकता है, जिससे विकास में बाधा आ सकती है। लंबे समय तक इन रसायनों के संपर्क में रहने से दिल की बीमारियों, मधुमेह और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। इन आशंकाओं को हम अपने आसपास हकीकत में तब्दील होते देख सकते हैं। लेकिन, हमें एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की दिशा में आगे बढऩे की आवश्यकता है।
जागरूक लोग ही सरकार को ऐसी नीतियां बनाने के लिए बाध्य कर सकते हैं जो ऐसी हानिकारक वस्तुओं पर रोक लगा सके। विडंबना यह भी है कि जिन वस्तुओं पर साफ-साफ लिखा होता है- ‘यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है’, उन वस्तुओं के निर्माण और इस्तेमाल को भी हम रोक नहीं पा रहे हैं। उद्योग-व्यापार की जरूरतें और आर्थिक सेहत की चिंता हमारे स्वास्थ्य की चिंताओं पर भारी पड़ रही है। जान-बूझकर मौत को आमंत्रित करने वाले नशीले पदार्थों पर भी हम लगाम नहीं लगा पा रहे हैं। इसकी वजह से हो रही बीमारियां हेल्थ सेक्टर की आर्थिक उन्नति के नित नए द्वार जरूर खोल रही हैं। सही जानकारी, उपयुक्त विकल्प और जिम्मेदारी तय करके हम अपने और भावी पीढ़ी के स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं।

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