सवाल….
संसद की कार्यवाही में लगातार बाधा डालने के लिए किसे जिम्मेदार माना जाए, विपक्ष को या सरकार को?
जवाब…
मनीष तिवारी-
बहस से भाग रही सरकार -: संसद में तीन सप्ताह में जो हुआ है, वह अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण व निंदनीय है। सरकार मुद्दों से भाग कर बहस से बचने की कोशिश कर रही है। पेगेसस जासूसी मामले में सांसदों के पास भी जानकारियां हैं, बहस हुई तो उनके सार्वजनिक होने की उम्मीद है। इससे सरकार के परखच्चे उड़ जाएंगे। विधेयक बिना बहस के पारित करवाए जा रहे।
राकेश सिन्हा –
गैर-सरकारी काम में भी बाधा -: लोकतंत्र में विपक्ष की बड़ी अहमियत है। सरकार से सवाल करने की ताकत प्रश्न काल सभी सांसदों को देता है। सांसद अपने क्षेत्र के किसी ज्वलंत मुद्दे पर शून्य काल के दौरान सरकार का ध्यान खींच सकते हैं। विपक्ष ने तो शुक्रवार दोपहर बाद के गैर-सरकारी कामकाज को भी ठप कर दिया। मैं निजी विधेयक भी पेश नहीं कर पाया।
सवाल….
क्या विपक्ष की ओर से उठाए जा रहे जासूसी के मुद्दे में महंगाई और कोरोना जैसे जरूरी मुद्दे पीछे रह गए?
जवाब…
मनीष तिवारी-
सभी मुद्दों को मिले बराबर तवज्जो – : मैंने व्यक्तिगत तौर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को केन्द्रीय मंत्री व राज्यसभा में भाजपा के नेता पीयूष गोयल की मौजूदगी में सुझाव दिया था कि सरकारी कार्य समाप्त होने के बाद हर दिन एक मुद्दे पर शाम 6 से रात 9 बजे तक नियम 193 में चर्चा करा ली जाए। सामूहिक विपक्ष की मांग भी यही है। हम मुद्दों को बराबर तवज्जो दे रहे हैं।
राकेश सिन्हा –
विदेशी एजेंडा थोपने की कोशिश -: पहले कोरोना पर घेरने की कोशिश हुई, जब विपक्ष के सदस्यों ने सरकार का काम देखा तो हैरानी जताई। जहां तक जासूसी का सवाल है, सच है कि किसी की निजता का हनन नहीं होना चाहिए। लेकिन किसी विदेशी अखबार की अपुष्ट खबर पर 20 दिन तक कार्यवाही रोकना विदेशी एजेंडे को भारतीय संसद पर थोपने की कोशिश है।
सवाल…
क्या राजनेताओं, पत्रकारों आदि की जासूसी मामले की जांच न करवा कर सरकार आशंका को बल दे रही है?
जवाब…
मनीष तिवारी-
संविधान के साथ खिलवाड़ -: सरकार संविधान का मजाक उड़ा कर इससे खिलवाड़ कर रही है। उच्चतम न्यायालय के नौ जजों की खंडपीठ ने कहा है कि निजता का अधिकार, मौलिक अधिकार है। यह स्वाभाविक बात है कि सरकार खुद अपने क्रिया- कलापों से जासूसी मामले में लोगों के बीच आशंका को बल दे रही है।
राकेश सिन्हा –
सरकार बहस से नहीं भाग रही -: यह आशंका कहां से आई? इसका स्रोत क्या है? किसी को लगता है कि उसकी निजता का हनन हुआ है तो सरकार जांच को तैयार है। बहस से भाग नहीं रही है। तृणमूल के नेता हिंसा-मारपीट की स्थिति लाना चाहते हैं। हमें पीएम की ओर से हिदायत है कि विपक्ष हिंसा भड़काना चाहेगा, लेकिन हमें उनकी चाल में नहीं आना है।
सवाल…
क्या बर्फ पिघलने की कोई उम्मीद नजर आ रही है? आप क्या चाहते हैं और क्या प्रयास कर रहे हैं?
जवाब…
मनीष तिवारी-
पेगेसस मामले में बहस हो -: देखिए, हम संसद चलाने के लिए तैयार हैं। पेगेसस जासूसी मामले में बहस हो, गृह मंत्री अमित शाह जवाब दें। साथ ही इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट जज की अध्यक्षता में होनी चाहिए। इसके बाद किसान आंदोलन, कोरोना महामारी और तबाह की गई अर्थव्यवस्था के चलते आसमान छूती महंगाई पर बहस होनी चाहिए।
राकेश सिन्हा –
तर्कों के आधार पर हों दो-दो हाथ -: सरकार लगातार कोशिश कर रही है। मैंने सत्तारूढ़ दल का सदस्य होते हुए नियम 176 के अंतर्गत समकालीन आर्थिक स्थिति पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है। तर्कों के आधार पर दो-दो हाथ कर लीजिए। शोरगुल से भ्रम पैदा करने की कोशिश कामयाब नहीं होगी। राजनीतिक रूप से अल्पसंख्यक हो कर भी विपक्ष बाज नहीं आ रहा।