ओपिनियन

आपकी बात, जलवायु परिवर्तन की समस्या पर काबू पाने में सफलता क्यों नहीं मिल रही है?

पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं मिलीं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं …..

जयपुरNov 13, 2024 / 06:19 pm

Gyan Chand Patni

सिर्फ होती हैं चर्चाएं
जलवायु परिवर्तन की समस्या पर चर्चाएं होती हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते हैं। समस्या के समाधान के लिए विश्व के हर नागरिक को मदद करनी होगी, उन्हें जागरूक होना पड़ेगा। जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए देश का विकास करना होगा।
-पूजा सिंगार, इंदौर, मप्र
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बढ़ता औद्योगिकीकरण, घटता वन क्षेत्र तीव्र गति से बढ़ते औद्योगिकीकरण के कारण वन काट रहे हैं। यह प्रकृति के साथ खिलवाड़ है। इससे पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन से मौसम का पैटर्न बदल रहा है और प्रकृति असंतुलित हो रही है। इससे मनुष्यों और पृथ्वी पर जीवन के सभी रूपों को कई जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है।.
-अजीतसिंह सिसोदिया, खारा, बीकानेर
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पेड़ों की कटाई
पहाड़ों एवं वृक्षों की अंधाधुंध कटाई चल रही है। आवासीय एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के निर्माण के समय भी पेड़-पौधों की कटाई होती है। इससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है और जलवायु परिवर्तन की स्थिति पैदा हो गई है।
  • आलोक ब्यौहार सिहोरा, मप्र
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  • समस्या पर ध्यान ही नहीं
    जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों को लेकर लोग गंभीर नहीं हैं। इसीलिए इस समस्या के समाधान पर काम नहीं हो रहा। इसके दुष्परिणाम पूरी दुनिया में सामने आ रहे हैं। अगर अब भी हमने इस समस्या के समाधान पर ध्यान नहीं दिया तो हालात विकट हो जाएंगे।
    -डॉ. मदनलाल गांगले जावरा, रतलाम, मप्र
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प्रकृति से खिलवाड़
जंगलों के पेड़ काटे जा रहे हैं और वहां खेती की जा रही है या फिर मकान बनाए जा रहे हैं। आवासीय क्षेत्रों में थोड़े बहुत पेड़ बचे थे, उनकी भी कटाई हो रही है। प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
-लता अग्रवाल, चित्तौडग़ढ़
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जीवाश्म ईंधनों का इस्तेमाल नहीं हो रहा कम
जीवाश्म ईंधनों का अत्यधिक उपयोग तथा वनों का अत्यधिक दोहन जलवायु परिवर्तन की समस्या पर काबू पाने में रुकावट है। समस्या की गंभीरता पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
  • सतवीर प्रजापत, चूरू
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मिलजुल कर काम करने का समय
जलवायु परिवर्तन विकराल समस्या बनती जा रही है। यह गंभीर वैश्विक पर्यावरणीय संकट है, मगर सिर्फ बातें हो रही हंै, धरातल पर काम कम ही हो रहा है। विकसित देश विकासशील देशों पर आरोप लगा रहे हैं कि वे कार्बन उत्सर्जन के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। समय की जरूरत है कि सभी मिलजुलकर इस समस्या का निराकरण करें।
-साजिद अली, इंदौर

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