ओपिनियन

डेंगू के डंक का कहर

डेंगू की स्थिति भयावह होती जा रही है। अगर समय पर नहीं संभले तो परिणाम बेहद गंभीर होंगे। पूरे राजस्थान के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डेंगू जांच की कोई सुविधा नहीं है।

Dec 08, 2022 / 11:44 am

Sandeep Purohit

डेंगू के डंक का कहर

संदीप पुरोहित
कस्बाई व ग्रामीण क्षेत्रों में तो हालत दिन-ब-दिन बिगड़ रहे हैं। डेंगू की पुष्टि करने के लिए एलाइजा टेस्ट होता है। पर यहां कोई सुविधा नहीं है। ग्रामीण तो ऐसी स्थिति में शहर के लिए पलायन कर रहे हैं। प्राइवेट अस्प्तताल आज भी उन्हें अपने अंदाज में हांक रहे हैं।सरकार भले स्वास्थ्य के क्षेत्र में दावे कितने ही करे, पर अभी भी बहुत काम होना बाकी है।
चिकित्सा विभाग की बानगी देखें तो पूरे राजस्थान में चिकित्सा अधिकारियों के विभिन्न संवर्ग में 16300 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें भी 4000 डॉक्टर्स के पद खाली पड़े हैं। डेंगू जांच व्यवस्था की बात करें तो 6373 लैब टेक्निशियन के पद स्वीकृत हैं, जिनमें से लगभग दो हजार खाली पड़े है। ऐसे में सरकार को डेंगू की बिगड़ती हालत को देखते हुए इन पदों पर तुरंत भर्ती करनी चाहिए। प्राथमिक स्वास्थ्य स्वास्थ्य केंद्रों पर रोजमर्रा में दो-तीन सौ आउटडोर वाली जगहों पर भी एक लैब टेक्निशियन से काम चलाया जा रहा है। जबकि इन सेंटर्स पर नि:शुल्क जांच योजना के बाद कार्यभार तक बढ़ा है। इन पदों के सृजन को लेकर लैब टेक्निशियन संवर्ग ने कई बार प्रदर्शन कर सरकार तक बात पहुंचाई, लेकिन समस्या अभी तक जस की तस है।
प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर-सीनियर प्रोफेसर रैंक के डॉक्टर तो आउटडोर तक में नहीं बैठते। ज्यादातर डॉक्टर्स प्राइवेट प्रेक्टिस की ओर अधिक ध्यान देते हैं, सरकारी अस्पतालों में मरीज देखने ही इनकी रुचि कम ही रहती है। रेजिडेंट डॉक्टर्स के भरोसे आउटडोर में मरीजों की सारसंभाल दशकों से हो रही है। इस बात को कौन नहीं जानता। इस आलम में सुबह 8 बजे आने वाले मरीजों को पहले पर्ची बनवाने के लिए कतार, फिर डॉक्टर को दिखाने की कतार और फिर जांच व नि:शुल्क दवा काउंटर पर घंटों खड़े रहना पड़ता है। अस्पताल में व्यवस्थाओं से थक कर कई मरीज जमीन पर सो जाते है और फर्श पर बैठे मिलना आम बात है।
आज आवश्यकता इस बात की है कि सरकार डेंगू के लिए विशेष व्यवस्था करे ताकि दर-दर भटक रहे मरीजों के मर्ज का हल हो सके। नगर निकायों को भी अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा, जहां भी गंदगी है वहां तुरंत प्रभाव से सफाई व छिड़काव इत्यादि करे। खाली निगम पर डालने से कुछ नहीं होगा, हमें अपने घरों को भी ठीक रखना होगा, यह काम सरकार का नहीं है, हमारा है।
ध्यान रहे डेंगू का मच्छर सुबह शाम काटता है और घुटने के नीचे काटता है। डेंगू होने की अवस्था में प्लेटलेट्स गिरते हैं, इससे घबराने की जरूरत नहीं है, जैसा चिकित्सक कहे, उसी अनुसार हमें इलाज करवाना चाहिए। जिस तरह सरकार ने कोरोना के लिए टीमें भेजी, ठीक उसी तरह जहां डेंगू के डंक का कहर बरप रहा है वहां सरकार को तुरंत प्रभाव से टीमें भेजनी चाहिए।

Hindi News / Prime / Opinion / डेंगू के डंक का कहर

Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.