जी-20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है। पूरे देश में इस समय भारत की अध्यक्षता को लेकर उत्साह है। इसी सन्दर्भ में एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य अत्यंत उपयोगी मंत्र है, जो हमें विश्व कल्याण की ओर ले जा सकता है। यदि जी-20 के एजेंडे का अवलोकन किया जाए, तो पता लगेगा कि इसमें से ‘उपभोक्ता कल्याण’ करीब-करीब नदारद है। उपभोक्ता संरक्षण को प्राथमिकता दिए बिना जी-20 एजेंडा सम्पूर्ण नहीं होगा।
इस वर्ष जी-20 बैठक के लिए भारत का लक्ष्य सभी की भलाई के लिए व्यावहारिक वैश्विक समाधान खोजना और वैश्वीकरण को जन-साधारण के लिए कारगर बनाना है। विश्व के नेता अब इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि किस प्रकार से आर्थिक और विकास की प्राथमिकताओं और समकालीन वैश्विक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सतत विकास का लक्ष्य प्राप्त किया जाए। वर्ष 1999 में स्थापना से लेकर वर्ष 2007 तक जी-20 ने कभी भी उपभोक्ता संरक्षण को महत्त्व नहीं दिया। लेकिन, 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट की शुरुआत के साथ ही उपभोक्ता संरक्षण धीरे-धीरे जी-20 के लिए एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा बन गया। वर्ष 2011 में फ्रांसीसी सरकार द्वारा आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन ने उपभोक्ताओं को जी-20 के कार्य को केंद्र में रखने के महत्त्व पर प्रकाश डाला। शिखर सम्मेलन के दौरान जी-20 के नेताओं ने वित्तीय उपभोक्ता संरक्षण पर उच्च स्तरीय सिद्धांतों को अपनाया।
2013 में जी-20 ने उपभोक्ता संरक्षण के क्षेत्र में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए उपभोक्ता संरक्षण कार्य दल की स्थापना की। अपनी स्थापना के बाद से इस कार्य दल ने उपभोक्ता संरक्षण से सम्बन्धित कई पहलों पर काम किया है, जिसमें प्रभावी उपभोक्ता विवाद समाधान के लिए सिद्धांत विकसित करना और ई-कॉमर्स और डिजिटल अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित उपभोक्ता संरक्षण मुद्दों पर जानकारी साझा करना शामिल है। बाद के जी-20 शिखर सम्मेलनों ने उपभोक्ता संरक्षण नीतियों पर ध्यान देना शुरू किया और उपभोक्ता संरक्षण को आगे बढ़ाने के लिए पहल की।
इस तरह 2008 से लेकर 2022 तक जी-20 ने सदैव सदस्य देशों को उपभोक्ता संरक्षण नीतियों को मजबूत करने, प्रभावी प्रवर्तन तंत्र विकसित करने और उपभोक्ता शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया है। लेकिन, वर्तमान में उपभोक्ता संरक्षण को दरकिनार सा कर दिया गया है। भारत को उपभोक्ता संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए। इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जी-20 को जन-आंदोलन बनाने के प्रेरणादायी सूत्र को बल मिलेगा। आर्थिक इंजन को ठीक तरह से चलाने के लिए इसकी धुरी ‘उपभोक्ताओंÓ पर चर्चा आवश्यक है।
उपभोक्ता संरक्षण को प्राथमिकता देने से स्थायी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने और वैश्विक मुद्दों का समाधान करने में मदद मिल सकती है। जी-20 के प्लेटफॉर्म पर उपभोक्ता संरक्षण को प्राथमिकता देकर भारत एक नई ‘टोन’ सेट कर सकता है। उपभोक्ता संरक्षण मुद्दे को शमिल किए बिना जी-20 एजेंडा अपनी उपयोगिता सिद्ध करने में असमर्थ रहेगा। भारत के बाद ब्राजील (2024) एवं दक्षिण अफ्रीका (2025), उपभोक्ता संरक्षण को केन्द्र में रख कर जी20 को प्रासंगिक बना सकते हैं।
इस वर्ष जी-20 बैठक के लिए भारत का लक्ष्य सभी की भलाई के लिए व्यावहारिक वैश्विक समाधान खोजना और वैश्वीकरण को जन-साधारण के लिए कारगर बनाना है। विश्व के नेता अब इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि किस प्रकार से आर्थिक और विकास की प्राथमिकताओं और समकालीन वैश्विक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सतत विकास का लक्ष्य प्राप्त किया जाए। वर्ष 1999 में स्थापना से लेकर वर्ष 2007 तक जी-20 ने कभी भी उपभोक्ता संरक्षण को महत्त्व नहीं दिया। लेकिन, 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट की शुरुआत के साथ ही उपभोक्ता संरक्षण धीरे-धीरे जी-20 के लिए एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा बन गया। वर्ष 2011 में फ्रांसीसी सरकार द्वारा आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन ने उपभोक्ताओं को जी-20 के कार्य को केंद्र में रखने के महत्त्व पर प्रकाश डाला। शिखर सम्मेलन के दौरान जी-20 के नेताओं ने वित्तीय उपभोक्ता संरक्षण पर उच्च स्तरीय सिद्धांतों को अपनाया।
2013 में जी-20 ने उपभोक्ता संरक्षण के क्षेत्र में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए उपभोक्ता संरक्षण कार्य दल की स्थापना की। अपनी स्थापना के बाद से इस कार्य दल ने उपभोक्ता संरक्षण से सम्बन्धित कई पहलों पर काम किया है, जिसमें प्रभावी उपभोक्ता विवाद समाधान के लिए सिद्धांत विकसित करना और ई-कॉमर्स और डिजिटल अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित उपभोक्ता संरक्षण मुद्दों पर जानकारी साझा करना शामिल है। बाद के जी-20 शिखर सम्मेलनों ने उपभोक्ता संरक्षण नीतियों पर ध्यान देना शुरू किया और उपभोक्ता संरक्षण को आगे बढ़ाने के लिए पहल की।
इस तरह 2008 से लेकर 2022 तक जी-20 ने सदैव सदस्य देशों को उपभोक्ता संरक्षण नीतियों को मजबूत करने, प्रभावी प्रवर्तन तंत्र विकसित करने और उपभोक्ता शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया है। लेकिन, वर्तमान में उपभोक्ता संरक्षण को दरकिनार सा कर दिया गया है। भारत को उपभोक्ता संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए। इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जी-20 को जन-आंदोलन बनाने के प्रेरणादायी सूत्र को बल मिलेगा। आर्थिक इंजन को ठीक तरह से चलाने के लिए इसकी धुरी ‘उपभोक्ताओंÓ पर चर्चा आवश्यक है।
उपभोक्ता संरक्षण को प्राथमिकता देने से स्थायी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने और वैश्विक मुद्दों का समाधान करने में मदद मिल सकती है। जी-20 के प्लेटफॉर्म पर उपभोक्ता संरक्षण को प्राथमिकता देकर भारत एक नई ‘टोन’ सेट कर सकता है। उपभोक्ता संरक्षण मुद्दे को शमिल किए बिना जी-20 एजेंडा अपनी उपयोगिता सिद्ध करने में असमर्थ रहेगा। भारत के बाद ब्राजील (2024) एवं दक्षिण अफ्रीका (2025), उपभोक्ता संरक्षण को केन्द्र में रख कर जी20 को प्रासंगिक बना सकते हैं।