अमरीका के एक प्रमुख सिख संगठन ‘सिख ऑफ अमरीका’ के नेता जस्सी सिंह ने हाल ही इन कट्टरपंथियों की पोल खोलते हुए बताया था कि वहां न तो इन्हें सिख समुदाय का समर्थन मिल रहा है, न ही सरकार का। एक अल्पसंख्यक तबका है, जो इनकी तरफदारी करता है। हताश कट्टरपंथी कभी हिंदू मंदिरों को निशाना बनाते हैं तो कभी भारतीय वाणिज्य दूतावास में तोडफ़ोड़ कर बौखलाहट उजागर करते हैं। अमरीका में हिंदू मंदिर पर हमले की ताजा घटना ऐसे समय हुई है, जब वहां अयोध्या के राम मंदिर के उद्घाटन समारोह को लेकर हिंदू मंदिरों में एक हफ्ते के विशेष उत्सव की तैयारियां चल रही हैं। भारत सरकार ने हमले को गंभीरता से लेते हुए अमरीकी सरकार से वाजिब कार्रवाई करने को कहा है। कनाडा में भी कट्टरपंथियों की इसी तरह की हरकतों को लेकर वहां की सरकार से भी कदम उठाने को कहा गया था, लेकिन खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा ने भारत पर ही बगैर सबूत आरोप लगाकर दोनों देशों के राजनयिक संबंध बिगाड़ रखे हैं।
आतंकवाद के खिलाफ सभी देश मिलकर लडऩे का दम भरते हैं, लेकिन अमरीका, कनाडा और ब्रिटेन जैसे कुछ देश अपनी ही जमीन पर आतंकी गतिविधियों पर नकेल कसने से परहेज करते हैं। वहां सरकारें अपने नियमों की दुहाई देते हुए कुतर्क देती हैं कि शांतिपूर्ण विरोध करते हुए संगठन किसी अवैध गतिविधि में लिप्त नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई को नागरिक अधिकारों का उल्लंघन माना जाएगा। सवाल यह है कि क्या हिंदू मंदिरों पर हमला अमरीका और कनाडा की सरकारों की नजर में ‘अवैध गतिविधि’ नहीं है? असल में इन सरकारों की ढिलाई के कारण ही मुुट्ठी भर कट्टरपंथियों को शह मिल रही है। ये कट्टरपंथी इन देशों के लिए ही भस्मासुर साबित होने लगें, इससे पहले इनकी कमर तोडऩे की कार्रवाई शुरू हो जानी चाहिए। भारत सभी देशों के साथ दोस्ताना द्विपक्षीय संबंधों का हिमायती है। इसे देखते हुए कट्टरपंथियों का खतरनाक खेल रोकने में देर नहीं की जानी चाहिए। इस काम में देरी सभी देशों के लिए भारी पड़ेगी।