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कृषि क्षेत्र का कायाकल्प करने की दिशा में उठाए कदम

इस बजट में भारतीय कृषि के संरचनात्मक परिवर्तन पर जोर दिया गया है, ताकि टिकाऊ और जलवायु- सुदृढ़ कृषि-खाद्य प्रणाली की ओर तेजी से आगे बढ़ा जा सके।

जयपुरJul 25, 2024 / 09:50 pm

Gyan Chand Patni

विनायक निकम
किरण कुमार टीएम
अमित गोस्वामी
भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि और विकास में कृषि की भूमिका को ध्यान में रखते हुए, इस बजट ने कृषि क्षेत्र पर अधिक जोर दिया गया है। कृषि में उत्पादकता और सुदृढ़ता को बढ़ाना बजट द्वारा निर्धारित शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है। उल्लेखनीय है कि बजट में नौ प्राथमिकताएं शामिल हैं। कृषि और संबंधित गतिविधियों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जो 2023-24 के संशोधित अनुमान से 8 प्रतिशत अधिक है। मछली पालन क्षेत्र में पिछले साल के संशोधित अनुमान की तुलना में बजट में 54 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि पशुपालन और डेयरी उद्योग में 15.5 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। प्राथमिक ध्यान कृषि अनुसंधान, सांख्यिकीकरण, सहयोग, उन्नत मूल्य शृंखलाओं और विविधीकरण पर दिया गया है। कृषि अनुसंधान में परिवर्तन: बजट में उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन चुनौतियों का सामना करने के लिए कृषि अनुसंधान की समीक्षा का प्रस्ताव है।
सार्वजनिक और बाहरी संस्थानों के विशेषज्ञ इस अनुसंधान की निगरानी करेंगे। इस वर्ष 32 क्षेत्रीय और बागवानी फसलों की 109 उच्च-उपज और जलवायु-संवेदनशील किस्मों को लक्षित किया गया है। कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग का बजट बढ़ाकर 9941 करोड़ रुपए किया गया है। सतत कृषि-खाद्य प्रणाली के लिए प्राकृतिक खेती: एक सतत कृषि-खाद्य प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए, प्राकृतिक खेती पर मुख्य जोर दिया गया है। इसके लिए, एक करोड़ किसानों को दो वर्ष में प्रमाणन और विपणन चिह्न के समर्थन से प्राकृतिक खेती में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा 10000 आवश्यकता-आधारित जैव- सामग्री संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इस कार्यक्रम को वैज्ञानिक संस्थानों और इच्छुक ग्राम पंचायतों की मदद से लागू किया जाएगा। राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत आवंटन को पिछले वर्ष (2022-23) के संशोधित अनुमान 100 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 365 करोड़ रुपए कर दिया गया है। दालों, तिलहन और सब्जियों पर ध्यान : दालों और तिलहनों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के साथ खाद्य और पोषण सुरक्षा की चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकार ने दालों और तिलहनों के उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रस्ताव रखा है। आत्मनिर्भरता उत्पादन, भंडारण और विपणन पहलुओं पर फोकस किया गया है।
सब्जी उत्पादन में सुधार और संतुलित आपूर्ति शृंखलाओं के लिए, बजट ने प्रमुख उपभोग केंद्रों के पास सब्जी समूह स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है। मूल्य शृंखला संचालन को मजबूत करने के लिए किसान उत्पादक संगठन और कृषि उद्यमिता परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जाएगा। कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना: पायलट परियोजना की सफलता से उत्साहित होकर, केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर अगले तीन वर्षों में कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना को लागू करेगी। इस अवधि के दौरान 6 करोड़ किसानों का विवरण प्राप्त किया जाएगा। पांच राज्यों में जन समर्थ-आधारित किसान क्रेडिट कार्ड पेश किए जाएंगे। बजट ने भूमि सुधारों के हिस्से के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों की भूमि के लिए एक विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या या ‘भू-आधार’ आवंटित करने की भी घोषणा की है, जिसमें भू मानचित्र का डिजिटलीकरण, मानचित्र उपखंडों का सर्वेक्षण, भूमि रजिस्ट्री की स्थापना और इसे किसानों की रजिस्ट्री से जोडऩा शामिल है। मत्स्य क्षेत्र: झींगा पालन को बढ़ावा देने के लिए, बजट में झींगा प्रजनन स्रोत के लिए न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटरों का नेटवर्क स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है।
झींगा पालन, प्रसंस्करण और निर्यात के वित्तपोषण के लिए नाबार्ड समर्थन करेगा। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत आवंटन को पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान 1500 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 2352 करोड़ रुपए कर दिया है। राष्ट्रीय सहकारिता नीति: सहकारी क्षेत्र के व्यवस्थित और सर्वांगीण विकास के लिए, एक राष्ट्रीय सहकारिता नीति विकसित की जाएगी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था की तेजी से वृद्धि और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न करना है। प्राथमिक कृषि ऋण समितियों के कंप्यूटरीकरण और सूचना प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप योजनाओं के माध्यम से सहकारी समितियों को मजबूत करने के लिए अधिक धन भी आवंटित किया गया है। कुल मिलाकर, इस बजट में भारतीय कृषि के संरचनात्मक परिवर्तन पर जोर दिया गया है, ताकि टिकाऊ और जलवायु- सुदृढ़ कृषि-खाद्य प्रणाली की ओर तेजी से आगे बढ़ा जा सके।

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