ब्रसेल्स। आतंकवाद से निपटने में वैश्विक स्तर पर संयुक्त प्रयास की कमी पर निराशा व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई है। तीन देशों की यात्रा के पहले चरण में बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स पहुंचे मोदी ने भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवाद के खात्मे के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की है और न ही उसने अब तक कोई उचित हल बताया है। उन्होंने साथ ही मौजूदा परिदृश्य में संरा के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए कहा कि जो संस्था मौजूदा स्थितियों के अनुकूल व्यवहार नहीं करती और खुद को उसके अनुरूप नहीं ढालती तो उसके असंबद्ध होने का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले 40 साल से आतंकवाद को झेला है, लेकिन जब तक अमरीका पर हमला नहीं हुआ तब तक पूरी दुनिया में कहा जाता रहा कि भारत कानून व्यवस्था की समस्या से जूझ रहा है। भारत ने कभी आतंकवाद के सामने घुटने नहीं टेके। उन्होंने कहा कि आतंकवाद से गंभीर खतरा होने के बावजूद आतंकवाद की परिभाषा के स्पष्ट न होने और उस पर सहमति न बन पाने की वजह से देशों ने इसका समुचित जवाब नहीं दिया है। अच्छा आतंकवाद और बुरा आतंकवाद जैसे शब्दों ने इसे और मजबूती दे दी । धर्म को आतंकवाद से अलग कर देखने की जरूरत पर बल देते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने कई वैश्विक नेताओं से बात की है कि और हाल में भारत की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित वैश्विक सूफी सम्मेलन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सम्मेलन के दौरान उदारवादी इस्लामी विद्वानों ने आतंकवाद को गलत ठहराया है। उन्होंने कहा कि इसी ²ष्टि से कट्टरपंथ पर रोक लगायी जा सकती है और आतंकवाद के खात्मे के लिए सही माहौल बनाने की जरूरत है।