Happy Birthday Sourav Ganguly: दादा के पांच बड़े फैसले, जिन्होंने पलटी भारतीय क्रिकेट की काया

पूर्व भारतीय कप्तान Sourav Ganguly का 48वां जन्म दिन
1992 में इंटरनैशनल क्रिकेट में डेब्यू किया था, 113 टेस्ट और 311 वनडे इंटरनैशनल मैच खेले
दोनों फॉर्मैट में क्रम से 7212 और 11363 रन बनाए, 16 टेस्ट और 22 वनडे इंटरनैशनल सेंचुरी दर्ज

Jul 08, 2020 / 10:07 am

धीरज शर्मा

पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली

नई दिल्ली। टीम इंडिया ( Team India ) में नए जोश और जज्बे को भरने वाले पूर्व कप्तान और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ( BCCI ) के मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली ( Sourav Ganguly )अपना 48वां जन्मदिन मना रहे हैं। भारत के सफल कप्तानों में गिने जाने वाले गांगुली का जन्म 8 जुलाई 1972 को कोलकाता में हुआ था।
गांगुली ने बतौर कप्तान ना सिर्फ भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाईयां दीं बल्कि अपने फैसलों से इंडियन क्रिकेट का चेहरा बदलने में भी अहम भूमिका निभाई। वो दादा ही थे जिन्होंने लॉर्ड्स के मैदान मे जर्सी घुमाकर टीम इंडिया में जीतने का जज्बा भर दिया था। आईए जानते हैं सौरव गांगुली ऐसे पांच फैसले जिन्होंने भारतीय क्रिकेट की काया ही पलट दी।
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1. सहवाग के जरिये पारी की विस्फोटक शुरुआत
सौरव गांगुली ने टीम इंडिया को एक नए आयाम पर लाकर खड़ा किया। इसके लिए उन्होंने कुछ बेहतरीन फैसले लिए। जैसे वीरेंद्र सहवाग के जरिये पारी की विस्फोटक शुरुआत करना। दरअसल सहवाग मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी करते थे। सहवाग ने नंबर-6 पर बल्लेबाजी करते हुए सेंचुरी ठोकी थी। गांगुली ने सहवाग के हुनर को पहचाना और उनसे ओपनिंग करवाई। गांगुली का यह फैसला टीम इंडिया के लिए मास्टर स्ट्रोक बन गया। सहवाग ने टेस्ट क्रिकेट में ही पारी का आगाज करते हुए दो ट्रिपल सेंचुरी अपने नाम दर्ज करवा लीं।
2. कोलकाता टेस्ट में बदला लक्ष्मण का बैटिंग ऑर्डर
भारतीय क्रिकेट के सबसे अहम टेस्ट मैचों में वर्ष 2001 का कोलकाता टेस्ट गिना जाता है। दरअसल इस मैच में भारत ने फॉलोऑन झेलने के बाद ऑस्ट्रेलिया को हराया था। पहली पारी में सिर्फ वीवीएस लक्ष्मण ही थे जो ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों का ठीक से सामना कर पा रहे थे।
दूसरी पारी में गांगुली ने उन्हें बैटिंग ऑर्डर में तीसरे नंबर पर खेलने के लिए भेजा। गांगुली का यह फैसला ऐतिहासिक साबित हुआ। लक्ष्मण ने 281 रनों की यादगार पारी खेली और भारत ने कोलकाता टेस्ट मैच अपने नाम किया। इस जीत के साथ ऑस्ट्रेलिया के लगातार 16 मैच जीतने के तिलिस्म को भी भारत ने रोका था।
3. राहुल द्रविड़ से विकेटकीपिंग
सौरव की कप्तानी के समय टीम इंडिया को एक ऐसा बल्लेबाज चाहिए था जो विकेटकीपिंग पर कर सके। ऐसे में वो सौरव गांगुली ही थे जिन्होंने राहुल द्रविड़ जो भारतीय टीम की दीवार के नाम से जाने थे उन्हें विकेटकीपिंग के लिए मनाया।
द्रविड़ के विकेटकीपिंग करने से टीम का संतुलन और बेहतर हो गया। 2002 से 2004 के बीच में इस तरह से टीम इंडिया को ऐसा विकेटकीपर मिला, जो बल्लेबाजी में भी टीम के लिए किसी वरदान से कम नहीं था।
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4. महेंद्र सिंह धोनी का चयन
सौरव गांगुली के ऐतिहासिक फैसलों में महेंद्र सिंह धोनी का टीम इंडिया में चयन भी शामिल है। दरअसल 2004 में गांगुली ने ही चयनकर्ताओं से धोनी पर दांव लगाने की बात कही थी। इसके बाद उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ धोनी को बैटिंग ऑर्डर में नंबर-3 पर भेजा था।
इस मैच में धोनी ने धमाकेदार पारी खेली थी। 2005 वाइजैग वनडे इंटरनैशनल में धोनी ने नंबर तीन पर बल्लेबाजी करते हुए 148 रन बना डाले।

5. युवा खिलाड़ियों पर भरोसा, विदेशी धरती पर जीत
टीम इंडिया में युवा खिलाड़ियों पर भरोसा दिखाना सौरव गांगुली ने सिखाया। उन्होंने वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, हरभजन सिंह, जहीर खान और महेंद्र सिंह धोनी जैसे युवाओं के लिए हमेशा फ्रंट पर रहे। नतीजा इन युवाओं ने उन्हें बेहतर परिणाम दिए।
यही नही दादा ने युवा क्रिकेटरों में यह भरोसा भी जगाया कि हम भारत के बाहर भी जीतने में सक्षम हैं। यही वजह रही कि गांगुली की कप्तानी में भारत ने 28 ओवरसीज टेस्ट खेले, जिसमें से 11 जीते।

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