कुलभूषण जाधव रिव्यु पेटिशन के बजाय मर्सी पिटीशन ( Mercy Petition ) पर विचार करने पर जोर दे रहा है। अब उसे दया याचिका पर फैसले आने का इंतजार है। प्रकाश जावड़ेकर बोले – कैबिनेट ने पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को मंजूरी दी, अब नवंबर तक जारी रहेगी
पाक मीडिया के मुताबिक कुलभूषण यादव के इस रुख के बाद पाक सरकार ( Pakistan Government ) ने भारत को इस मामले में दूसरा काउंसलर एक्सेस का प्रस्ताव ( Counselor access proposal ) दिया है। इससे पहले मई, 2020 में पाकिस्तान ने कहा था कि वह अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ( International Court ) का पालन करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
इस समय भारतीय नौसेना (Indian Navy ) के रिटायर्ड अधिकारी कुलभूषण जाधव ( Kulbhushan Jadhav ) पाकिस्तान ( Pakistan ) की जेल में बंद हैं। भारत ने कुलभूषण जाधव को रिहा कराने के मकसद से पाकिस्तान को राजी करने के लिए ‘बैक चैनल’ ( back channel ) का इस्तेमाल किया था। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने तत्कालीन पाकिस्तानी NSA नासीर खान जंजुआ से अनुरोध किया था कि पाकिस्तान कुलभूषण जाधव को रिहा कर दे।
India-China Tension : राष्ट्र हित के मुद्दे पर कैसे नेहरू से अलग है पीएम मोदी की नीतिबैक चैनल नहीं बात हरीश साल्वे ने कहा था कि हम उम्मीद कर रहे थे कि बैक-चैनल का इस्तेमाल करने से पाकिस्तान उन्हें रिहा करने को राजी हो जाएगा। वो इसे मानवता के आधार पर उठाया कदम या कुछ भी कह सकते हैं। हम उम्मीद कर रहे थे कि वो उन्हें जाने देंगे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। पाकिस्तान ने इसे ईगो का मामला बना लिया है। हम लोगों ने पाकिस्तान को कई खत लिखे हैं वे हमेशा इनकार करते रहते हैं।
भारत के पास है आईसीजे में अपील का विकल्प हरीश साल्वे ने कहा कि मुझे लगता है कि हम उस प्वाइंट पर पहुंच गए हैं जहां हमें ये तय करना पड़ सकता है कि क्या हमें फिर से अंतरराष्ट्रीय अदालत जाना चाहिए। ताकि एक बार फिर से पाकिस्तान को दिशा-निर्देश दिया जा सके। पाकिस्तान पिछले आदेश पर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा है।
आईसीजे ने भारत के हक में दिया था फैसला बता दें कि भारतीय नौसेना (Indian Navy) के अवकाश प्राप्त अधिकारी कुलभूषण जाधव (Kulbhushan Jadhav) को पाकिस्तान (Pakistan) की सैन्य अदालत ने अप्रैल, 2017 में साजिश रचने और आतंक फैलाने के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद भारत सरकार की ओर से अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में अपील के बाद जुलाई, 2019 में नीदरलैंड स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने करीब 26 महीने चली सुनवाई के बाद दिए भारत के हक में फैसला सुनाते हुए कुलभूषण जाधव के लिए कौंसुलर संपर्क की इजाजत देने को कहा था। साथ ही जाधव के मामले की सिविलियन अदालत में सुनवाई के लिए भी अवसर मुहैया कराने को कहा था।