एससी-एसटी की 114 हॉस्टलों में 5,783 छात्र अध्ययनरत, सर्द हवा में बच्चे ठिठुर रहे, संभागायुक्त के आदेश के एक साल बाद भी शत प्रतिशत हॉस्टलों में गीजर तक नहीं लगाए जा सके। जिन हॉस्टलों में गीजर लगे हैं वहां भी गर्म पानी के लिए बच्चों को चूल्हे पर जद्दो जहद करना पड़ रहा है। कई हॉस्टलों में तो लकड़ी से चूल्हे पर गर्म पानी के लिए बच्चे घेर कर बैठे हुए हैं।
80 % आश्रम व हॉस्टलों में सिर्फ खानापूर्ति जनजातीय कार्य विभाग के मंत्री विजय शाह के गृह जिले के हॉस्टलों में शासन के आदेश की औपचारिकता की जा रही है। अधिकतर हॉस्टलों में अव्यवस्था के चलते सर्द हवा में बच्चे ठिठुर रहे हैं। शासन ने सर्द के समय हॉस्टलों में बच्चों को गर्म पानी उपलब्ध कराने को कहा है। शासन के आदेश के बावजूद 80 % आश्रम व हॉस्टलों में बच्चों को गर्म पानी उपलब्ध कराने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। जनजातीय कार्य विभाग के अनुसार 114 संस्थाएं संचालित हैं। पांच हजार 783 बच्चे अध्ययनरत हैं। सिर्फ 25 हॉस्टलों में गीजर से पानी गर्म किया जा रहा है। शेष में गैस चूल्हे का उपयोग किया जा रहा है।
आदेश के एक साल बाद भी गीजर नहीं लगे संभागायुक्त के आदेश के एक साल बाद भी शत प्रतिशत हॉस्टलों में गीजर तक नहीं लगाए जा सके। जिन हॉस्टलों में गीजर लगे हैं वहां भी गर्म पानी के लिए बच्चों को चूल्हे पर जद्दो जहद करना पड़ रहा है। कई हॉस्टलों में तो लकड़ी से चूल्हे पर गर्म पानी के लिए बच्चे घेर कर बैठे हुए हैं। जनजातीय कार्य विभाग के प्रभारी सहायक आयुक्त विवेक पांडेय ने बताया कि हॉस्टलों में बच्चों को गर्म पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। पच्चीस हॉस्टलों में गीजर से पानी गरम हो रहा है। शेष में गैस चूल्हे पर गरम किया जा रहा है। गीजर लगाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है।
100 सीटर हॉस्टल में 15 लीटर के दो गीजर पुराने डीइओ कार्यालय के बगल में 100 सीटर संयुक्त बालक छात्रावास है। पचास सीट पर बच्चों को प्रवेश दिया है। यहां पर 15-15 लीटर के दो गीजर लगे हैं। गीजर का पानी महज खानापूर्ति है। सुबह सभी बच्चे छह बजे उठते हैं। गर्म पानी के लिए जद्दो जहद करना पड़ता है। गर्म पानी कम हो जाता है। अधीक्षक राधेश्याम चौधरी का कहना है कि पानी पर्याप्त है। बच्चों को उपलब्ध रहता है।
चूल्हे के चहुंओर गर्म पानी के इंतजार में बैठे बच्चे एसएन कॉलेज के पीछे स्थित सीनियर अनुसूचित जाति बालक छात्रावास 50 सीटर है। यहां गीजर नहीं लगा है। ठंड में लकड़ी के चूल्हे पर गर्म पानी के लिए बच्चों को जद्दो जहद करना पड़ता है। सुबह लकड़ी के चूल्हे पर भगोने में पानी गर्म हो रहा था। बच्चे चूल्हे के चहुंओर बैठकर पानी गर्म होने का इंतजार कर रहे थे। अधीक्षक रमेश जठरे ने बताया गीजर के लिए विभाग को बीस दिन पहले पत्र लिखा है।
पंधाना के बिलूद में गीजर लगा शहर की तरह ग्रामीण क्षेत्र में भी गर्म पानी की खानापूर्ति है। पंधाना के बिलूद में गीजर लगा है। बच्चों को पर्याप्त मात्रा में गर्म पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है। इसी तरह खालवा के धावड़ी छात्रावास में चूल्हे पर पानी गर्म किया जा रहा है। चूल्हे पर बच्चों को स्वयं पानी गर्म करना पड़ रहा है। ये कहानी ग्रामीण क्षेत्र के ज्यादातर हॉस्टलों की है।