चीन को सभी क्षेत्रों से पीछे हटना है बता दें कि 30 जून को कमांडर स्तर और 5 जुलाई को एनएसए डोभाल की चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई समझौता वार्ता की शर्तों के मुताबिक चरणबद्ध तरीके से पीएलए को लद्दाख में 1,597 किलोमीटर एलएसी ( LAC ) के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश ( Arunachal Pradesh ) में 1,126 किमी एलएसी के साथ सभी क्षेत्रों से अपने सैनिकों को वापस लेने की आवश्यकता है।
जानकारी के मुताबिक चीनी PLA ने गैल्वेन सेक्टर ( Galwan Sector ) में लगभग 1.5 किमी की दूरी पर अपने टेंट को हटा दिया है। चीनी सेना ने बख्तरबंद कर्मियों के वापस बुला लिया है और स्थायी निर्माण को ढहा दिया गया है। वापसी की प्रक्रिया के तहत पैट्रोलिंग प्वाइंट 14 और 15 गोगर में भी शुरू हो गई है। पैट्रोलिंग प्वाइंट 17 हॉट स्प्रिंग्स और फिंगर फोर से चीनी सेनाओं ने वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके बदले भारतीय सेनाओं को भी गलवान में 1.5 किलोमीटर पीछे हटने की सूचना है। बताया जा रहा है कि पूरी तरह से सेना को हटाने की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद भारतीय सेना पहले की तरह पेट्रोलिंग शुरू कर देगी।
डेप्सांग मैदान ( Depsang Plain ) या राकी नाला क्षेत्र में चीनी सेना ( Chinese Army ) अभी भी आक्रामक मुद्रा में है। इसी तरह तिब्बत और शिनजियांग क्षेत्रों की गहराई वाले क्षेत्रों में पीएलए हाई अलर्ट पर है।
RSS से जुड़े सहयोगी संगठनों ने स्किल मैपिंग का काम किया शुरू, बेरोजगारों को दिलाएंगे रोजगार पैंगोंग त्सो में चीन का अड़ियल रुख बरकरार लेकिन पैंगोंग त्सो ( Pangong Tso ) के फिंगर चार से आठ के इलाकों से बलों की वापसी की प्रक्रिया अभी नहीं हो पाई है। हालांकि इस क्षेत्र से भी वापसी के संकेत मिलने लगे हैं। इस क्षेत्र में चीन हार्ड टॉक करने की मुद्रा में है। लेकिन भारतीय सेना ने साफ कह दिया है कि पांच से पहले की स्थिति में हर हाल में वापसी करने की जरूरत है।
इस बात की संभावना है कि गलवान, गोगरा, हॉट स्प्रिंग से वापसी के बाद पैंगोंग सो और डीबीओ के डेपसांग इलाके में पूर्व की स्थिति बहाल करने पर जोर दिया जाएगा। सैन्य सूत्रों ने बताया कि जब तक चीन एलएसी के पास पीछे वाले सैन्य अड्डों से अपनी मौजूदगी में कटौती नहीं करता है, तब तक भारतीय सेना ( Indian Army ) आक्रामक रुख बनाए रखेगी। दोनों पक्षों ने पांच मई को शुरू हुए गतिरोध के बाद सैन्य मौजूदगी बढ़ाने के लिए अपने अग्रिम मोर्चों से दूर स्थित पीछे के सैन्य अड्डों पर हजारों अतिरिक्त बलों और टैंकों एवं तोपों समेत हथियारों को लाना शुरू कर दिया है।
India-China Tension : राष्ट्र हित के मुद्दे पर कैसे नेहरू से अलग है पीएम मोदी की नीति संयुक्त दल तय करेगी कि सेना पीछे हटी या नहीं शर्तों के मुताबिक इस बार भारत और चीन की सेनाएं संभवतः संयुक्त रूप से पूर्वी लद्दाख में उन इलाकों का दौरा कर यह देखेंगी कि दोनों देशों के सैनिक पीछे हट गए या नहीं। दोनों सेनाओं का संयुक्त दल यह सुनिश्चित भी करेगा कि विभिन्न जगहों पर अस्थाई निर्माण को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया है।
इन बातों की पुष्टि होने के बाद दोनों सेनाएं सामान्य स्थिति की बहाली और इलाके में दोबारा शांति एवं सौहार्द कायम करने के तरीकों पर भी गहन बातचीत करेंगी। सूत्रों ने कहा कि सैनिकों को विवादित स्थल से पीछे हटाने के बाद पूरा ध्यान 5 मई से पूर्व की स्थिति को बहाल करने पर होगा। दोनों देशों के बीच बनी पारस्परिक सहमति के मुताबिक, किसी भी देश के सैनिक तब तक विवादित स्थल तक पेट्रोलिंग करने नहीं जाएंगे जब तक कि सामान्य हालात की बहाली करते हुए शांति स्थापित करने के तौर-तरीके नहीं ढूंढ लिए जाएं।
यूएन में भारत ने पाकिस्तान को किया बेनकाब, लादेन पर इमरान खान के बयान को बताया ‘भद्दा मजाक’ विश्वास का संकट एलएसी पर दो महीने के ज्यादा समय से जारी तनाव के बाद अब सबसे बड़ी समस्या चीन पर भरोसा करने को लेकर है। ऐसा इसलिए कि चीन ने बार-बार धोखा दिया है। इस बार की उसकी मंशा साफ नहीं है। ऐसा इसलिए कि भारतीय वार्ताकारों के सामने वो कठिन शर्त भी रख रहा है। इसलिए भारतीय सेना एलएसी पर अपना आक्रामक रुख कायम रखेगी। जब तक कि चीन की तरफ से सैनिक जमावड़ा खत्म नहीं किया जाता है। एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा, अब विश्वास का मुद्दा सबसे बड़ा है। अब हम अपनी गश्ती में कोई कमी नहीं करने वाले। जब तक पूरी तरह से यह तय नहीं हो जाता है कि चीन वादों के मुताबिक पीछे हटा या नहीं।
पीछे हटने की प्रक्रिया जल्द पूरा होने की उम्मीद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ( NSA ) अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच रविवार को बिल्कुल स्पष्ट और गंभीर बातचीत के बाद चीनी सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया जल्द पूरी होने की उम्मीद है। सोमवार सुबह से चीन की पीपल्स लिब्रेशन आर्मी ( PLA ) ने संघर्ष वाली कई जगहों से अपने सैनिकों को वापस बुलाना शुरू कर दिया। चीनी सैनिक गलवान घाटी, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स से पीछे हट चुके हैं। हालांकि गोगरा से गुरुवार तक सैनिकों के हटने की प्रक्रिया पूरी हो जाने की उम्मीद है।
ड्रैगन पर ड्रोन से रखी जा रही है नजर सेना के पीछे हटने की प्रक्रिया दो महीने तक चले सैन्य गतिरोध के बाद शुरू हुई है। विवादित क्षेत्र से सेना की वापसी कोर कमांडरों की बैठक में सहमत शर्तों के मुताबिक वास्तविक नियंत्रण रेखा के दोनों ओर कम से कम 1.5 किलोमीटर का एक बफर जोन बनाया जाना है। गलवान घाटी में बर्फ पिघलने के कारण गलवान नदी का जल स्तर अचानक बढ़ गया है, जिसकी वजह से चीन इस क्षेत्र से पीछे हटने को मजबूर हुआ हो। भारतीय सेना फिलहाल चीनी सैनिकों की वापसी की पुष्टि के लिए ड्रोन ( Drone ) का इस्तेमाल कर रही है क्योंकि गलवान नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण फिजिकल वेरिफिकेशन में बाधा पैदा हुई है।
चीन की कूटनीतिक घेरेबंदी को जारी रखेगा भारत भारत सीमा पर तनाव कम करने के लिए लिए उठाए गए कदमों के साथ चीन की कूटनीतिक घेरेबंदी जारी रखेगा। व्यापार के मोर्चे पर चीन का दबदबा कम करने के लिए उठाए गए कदमों पर आगे काम जारी रहेगा। कूटनीतिक स्तर पर बनाए गए दबाव के चलते ही चीन फिलहाल कदम पीछे खींचने को मजबूर हुआ है। अमरीका, रूस, जापान, ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों से भारत को सीमा तनाव मुद्दे पर समर्थन मिला। इतना ही नहीं अमेरिका लगातार भारत से खुफिया सूचनाएं साझा कर रहा है।
पीएम मोदी ( PM Modi ) की लेह यात्रा के बाद स्थिति तेजी से बदली। चीन ने विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता की पेशकश की। कई राउंड बातचीत विभिन्न स्तरों पर पर्दे के पीछे हुई। तनाव कम करने के लिए दोनों देशों ने कदम उठाए हैं। लेकिन भारत का रुख काफी सतर्क है। भारत लगातार स्थिति पर नजर बनाए रखेगा और सहयोगी देशों से भी संपर्क भी बना रहेगा।