करोड़ों की कॉलोनी हो रही खंडहर नगरीय प्रशासन ने आईएचएसडीपी योजना के तहत वर्ष 2015-16 में नींव रखी गई। योजना के तहत 768 आवासों की कॉलोनी बनाई। झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीबों को बसाने से पहले ही कॉलोनी खंडहर हो रही है। कॉलोनी निर्माण के नौ साल बीतने के बाद भी 270 से अधिक आवास खाली पड़े हैं। इस योजना में लाभार्थियों से तत्कालीन समय 25-25 हजार रुपए से पंजीयन किया गया। इसके बाद शासन ने डेढ़ लाख रुपए लगाकर गरीबों को आवास बनाए। प्रति आवास की कीमत एक लाख 75 हजार रुपए लागत के बनाए गए हैं।
खाली आवासों की जर्जर हो रही दीवारें कॉलोनी में खाली आवासों की दीवारें जर्जर हो गई हैं, सीमेंट का प्लास्टर टूट कर जमीन पर गिर रहा है। कॉलोनी के भीतर कटीले घास-फूस का जंगल खड़ा हो गया है। कॉलोनी की सुरक्षा नहीं होने से खिड़की, दरवाजे टूट गए हैं। ज्यादातर के दरवाजे गायब हैं। प्रत्येक आवास में दो कमरे, किचन, टॉयलेट के निर्माण कराए गए हैं। आईएचएसडीपी की कॉलोनी में खाली आवासों के आस-पास रहने वाले परिवार भी भयभीत रहते हैं।
शिवराज नगर में 35 लाभार्थियों के घर में बैंक का ताला शिवराज नगर यानी चीरा खदान में प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत 480 आवास की मल्टी बनी है। निगम का सभी हितग्राहियों को चाबी देने का दावा है। किश्त नहीं जमा करने पर 35 लाभार्थियों के आवास में बैंक ने ताला लगा दिया है। हितग्राहियों से प्रारंभ में 20-20 हजार रुपए जमा कराए। शेष राशि बैंक से एक लाख 80 हजार रुपए प्रति लाभार्थी के नाम फाइनेंस है। ऐसे लाभार्थी जिनकी बैंक किश्त नहीं जमा हो पा रही है। बैंक ने उनके घर में ताला लगा दिया है।
इनका कहना, नगर निगम के उपायुक्त एसआर सिटोले का कहना है कि कार्यापालन यंत्री को भेजकर आवासों का परीक्षण कराएंगे। जिन आवासों का आवंटन नहीं हुआ या क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इसकी कार्रवाई शीघ्र कराई जाएगी।