पहचान मुश्किल क्यों
सामान्यत: दिमाग के टीबी में लक्षणों की पहचान मुश्किल होती है। रोगी का इलाज न्यूरोलॉजिकल गड़बड़ी समझकर चलता रहता है। यही कारण है कि टीबी की पहचान गंभीर अवस्था में हो पाती है। दिमागी परेशानी से जुड़े अन्य लक्षणों के अलावा व्यक्ति को ध्यान केंद्रित करने में तकलीफ होना, हर बात पर विचार करने में जरूरत से ज्यादा समय लगाना, कुछ विशेष परिस्थितियों में संवेदनशीलता लगभग खत्म होने जैसी दिक्कतें होने लगती हैं।
सामान्यत: दिमाग के टीबी में लक्षणों की पहचान मुश्किल होती है। रोगी का इलाज न्यूरोलॉजिकल गड़बड़ी समझकर चलता रहता है। यही कारण है कि टीबी की पहचान गंभीर अवस्था में हो पाती है। दिमागी परेशानी से जुड़े अन्य लक्षणों के अलावा व्यक्ति को ध्यान केंद्रित करने में तकलीफ होना, हर बात पर विचार करने में जरूरत से ज्यादा समय लगाना, कुछ विशेष परिस्थितियों में संवेदनशीलता लगभग खत्म होने जैसी दिक्कतें होने लगती हैं।
इन्हें ज्यादा खतरा
फेफड़ों के टीबी के मरीजों में इसके दिमाग तक फैलने की आशंका ज्यादा रहती है। ऐसे मरीजों को समय पर इलाज या दवाओं का पूरा कोर्स लेना चाहिए। पहले से किसी रोग से पीड़ित, कमजोर इम्यूनिटी या संक्रमण, मधुमेह, किडनी फेल्योर, चार साल से कम उम्र के बच्चे, शराब पीने वाले व जिन्हें पहले भी टीबी हो चुकी है, उन्हें खतरा रहता है।
फेफड़ों के टीबी के मरीजों में इसके दिमाग तक फैलने की आशंका ज्यादा रहती है। ऐसे मरीजों को समय पर इलाज या दवाओं का पूरा कोर्स लेना चाहिए। पहले से किसी रोग से पीड़ित, कमजोर इम्यूनिटी या संक्रमण, मधुमेह, किडनी फेल्योर, चार साल से कम उम्र के बच्चे, शराब पीने वाले व जिन्हें पहले भी टीबी हो चुकी है, उन्हें खतरा रहता है।
बचाव
दिमागी कार्यप्रणाली के अलावा रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ाने के लिए मरीज को कैल्शियमयुक्त चीजें जैसे दूध या दूध से बने उत्पाद, मौसमी फल जैसे सेब, अनार, संतरा, अंगूर, तरबूज आदि खाने चाहिए। खानपान में चाय, कॉफी, अचार या सॉस आदि से परहेज करना चाहिए।
दिमागी कार्यप्रणाली के अलावा रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ाने के लिए मरीज को कैल्शियमयुक्त चीजें जैसे दूध या दूध से बने उत्पाद, मौसमी फल जैसे सेब, अनार, संतरा, अंगूर, तरबूज आदि खाने चाहिए। खानपान में चाय, कॉफी, अचार या सॉस आदि से परहेज करना चाहिए।