नोएडा। आज के समय में जिस लोग बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। साथ ही बच्चों द्वारा बुढ़ापे में सहारा नहीं बनने और सभी जायदाद अपने नाम कराने के बाद बुजुर्गों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके चलते ऐसे लोगों में अपनी वसीयत को लेकर भी कई तरह के सवाल रहते हैं। आज हम आपको वसीयत से जुड़ी सभी अहम बातों के बारे में बताने जा रहे हैं। जिन्हें जानकर आपको जिंदगी भर समस्या नहीं होगी।
क्या होती है वसीयत सबसे पहले यह जान लें कि वसीयत होती क्या है। दरअसल, किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसे संपूर्ण संपत्ति पर किसका हक होगा इसे लेकर वसीयत बनाई जाती है। इसे अंग्रेजी में विल भी कहा जाता है। इसके बनने के बाद संपत्ति के बंटवारे को लेकर किसी तरह का पारिवारिक झगड़ा भी नहीं रहता।
वसीयत नहीं बनी तो क्या? अगर किसी व्यक्ति ने अपनी वसीयत नहीं बनवाई है और उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसकी संपत्ति सक्सेशन एक्ट 1956 के तहत परिवार में बराबर तौर पर उत्तराधिकारियों को बांट दी जाती है। हालांकि लोगों को समय रहते ही वसीयत बनवा लेनी चाहिए।
वसीयत बनवाने के लिए वकील की जरूरत नहीं यदि आप भी अपनी वसीयत बनवाने का प्लान कर रहे हैं तो बता दें कि इस काम के लिए आपको किसी वकील की जरूरत नहीं होगी। देश में आप किसी भी कागज के टुकड़े पर वसीयत लिख सकते हैं। इसपर दो गवाहों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं। इसकी एक कॉपी आपको कोर्ट में भी जमा करनी होती है और साथ ही स्थानीय समाचार पत्र में भी प्रकाशित करना होता है। ताकि कोई भी रिश्तेदार आपत्ति होने पर उसे चुनौती दे सके। वहीं एक अनुभवी वकील की मदद से आप बेहतर प्लानिंग कर वसीयत बना सकेंगे।
कौन हो सकते हैं गवाह अपनी वसीयत बनाते समय आप किसी भी भरोसेमंद व्यक्ति को गवाह बना सकते हैं। साथ ही वसीयत को नोटराइज करने की जरूरत नहीं होती। बस आप किसी भी दो व्यक्तियों को गवाह बनाकर उसपर उनके हस्ताक्षर करा सकते हैं।
इन स्थितियों में वसीयत को दी जा सकती है चुनौती – अगर विल/वसीयत सामान्य भाषा ने नहीं लिखी हो – अगर उसमें लिखा गया कंटेंट स्पष्ट न हो – अगर विल ड्रग या अल्कोहोल के बाद बनाई गई हो
– अगर वसीयत जबरन या फिर कमजोर मानसिक स्थिति में बनवाई गई हो तो – पति और पत्नी चाहें तो ज्वाइंट विल भी बनवा सकते हैं। यह दोनों की मृत्यु होने की स्थिति में भी वैलिड मानी जाएगी।
क्या कहते हैं वकील गौतमबुद्ध नगर जिला कोर्ट के वकील संतोष बंसल ने बताया कि वसीयत को रजिस्ट्रेशन एक्ट के सेक्शन 18 के अंतर्गत रजिस्टर कराना अनिवार्य नहीं है। यदि कोई सामान्य कागज पर भी वसीयत लिखकर बनाता है तो वह भी 100 फीसद कानूनी रुप से मान्य होती है। हालांकि अगर वसीयत को रजिस्टर करा दिया जाता है तो भविष्य में कानूनी विवाद से बचा जा सकता है।
Hindi News / Noida / वसीयत बनवाने से पहले जान लें ये महत्वपूर्ण बात, जिंदगी भर नहीं होगी समस्या