नोएडा. देशभर में हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया गया है। इस दिन देशवासी शहीदों को याद कर उन्हें श्रद्धांजली अर्पित करते हैं। इस मौके पर आज हम आपको शहर के सेक्टर 29 में बने शहीद स्मारक के बारे में कुछ ऐसी बाते बताने जा रहे हैं जिन्हें आप पहले से नहीं जानते होंगे। 1997 में आया शहीद स्मारक बनाने का विचार अरुण विहार आरडब्लूए के संचालकों ने सबसे पहले 1997 में शहीद स्मारक या मेमोरियल बनाने का प्रस्ताव रखा था। जिससे कि शहर के लोगों को शहीदों से जोड़ा जा सके। इस दौरान कई लोगों ने इसके लिए काम किया। लेकिन इसे बनाने के खर्चे को देख इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। 1999 में फिर की गई कोशिश 1999 में कारगिल की लड़ाई में नोएडा के बेटे कैप्टन विजयंत थापर के शहीद होने पर जब उनका पार्थिव शरीर लाया गया तो पूरा शहर थम गया। थापर के अंतिम दर्शन के लिए सड़कों पर सैंकड़ों लोग उमड़ पड़े थे। शहीद के प्रति शहरवासियों का लगाव और प्रेम देखकर आरडब्लूए के अधिकारियों ने एक बार फिर स्मारक बनवाने की कोशिश की। 2000 में शुरु हुआ स्मारक बनाने का मिशन पूर्व लेफ्टीनेंट जनरल गोरखनाथ, जी.एल बख्शी, सतीश नांबियार, पूर्व बिग्रेडियर एसपीएस श्रीकांत समेत कई लोगों ने शहर में शहीद स्मारक बनाने का मिशन 2000 में शुरु किया। इसके लिए कई संस्था और बिजनेसमैन भी सहयोग करने के लिए आगे आए और सेक्टर 29 के पार्क में शहीद स्मारक बनाने का प्रस्ताव नोएडा प्राधिकरण के सामने रखा। प्राधिकरण ने स्थाई निर्माण न करने की शर्त पर दी जमीन नोएडा प्राधिकरण के सामने जब शहीद स्मारक बनाने का प्रस्ताव रखा गया तो जमीन स्थाई निर्माण न करने की शर्त पर दे दी। प्राधिकरण द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद यहां शहीद स्मारक का निर्माण किया गया। निर्माण के लिए सेना से रिटायर्ड और अब सफल बिजनेसमैन कर्नल गिरधारी सिंह ने 4 लाख रुपये दिए। वहीं निर्माण करने वाले विग ब्रदर्स ने स्मारक बनाने में आई कुल लागत पर 50 फिसदी की छूट दी थी। तीनों सेना के प्रमुखों ने किया उद्घाटन 13 अप्रैल 2002 में तीनों सेना के तत्कालीन प्रमुख जनरल एस, पदमनाभन, एस. कृष्णमूर्ति और माधवेंद्र सिंह ने शहीद स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर इसका उद्घाटन किया। करीब दो एकड़ में फैला है शहीद स्मारक नोएडा के सेक्टर 29 स्थित शहीद स्मारक करीब 2 एकड़ में फैला है। इसके एंट्री गेट पर सेना की टैंक नाशक 2 तोप लगी है। वहीं पार्क के बीचों बीच एक लंबी मिनार है जिसपर फूल चढाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है। मिनार के चारों ओर मार्बल पत्थर पर शहर के 33 शहीदों के नाम लिखे हुए हैं। वहीं इस पार्क में नेवी की सतह से हवा से मार करने वाली 2 मिसाइल और वायुसेना का रिटायर्ड जेट ट्रेनर विमान भी मौजूद है।