हादसों को देखते हुए उठाया गया ये कदम बीजेपी विधायक धीरेन्द्र सिंह ने बताया कि जेवर और उसके आसपास बहुत तेजी से रेजिडेंशियल, कमर्शियल और इंडस्ट्रियल डवलपमेंट हो रहा है। इतना ही नहीं यहां इंटरनेशनल जेवर एयरपोर्ट और फिल्म सिटी भी बन रही है। ऐसे में मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। उन्होंने बताया कि यहां यमुना एक्सप्रेस-वे आए दिन छोट या बड़े सड़क हादसे होते रहते हैं। ऐसे में कई बार लोगों को सिर्फ इसलिए जिंदगी से हाथ धोना पड़ता है, क्योंकि उन्हें वक्त रहते इलाज नहीं मिल पाता है।
यह भी पढ़े – जैसे को तैसा: दरोगा ने किया चालान, भड़के लाइनमैन ने पुलिस चौकी की काट दी बिजली एम्बुलेंस और पुलिस गाड़ियों की संख्या बढ़ी बता दें कि यमुना एक्सप्रेस-वे जेवर, मथुरा और आगरा को जोड़ता है। लेकिन यहां कोई भी अस्पताल नहीं है। जिसे ध्यान में रखते हुए खासतौर पर ट्रॉमा सेंटर की मांग की गई थी। हालांकि नियमों के मुताबिक जेपी कंपनी को एक्सप्रेस-वे के किनारे अस्पताल का निर्माण कराना था, लेकिन उसने नोएडा में अंदर जाकर अपना अस्पताल बनाया, जिसका फायदा एक्सप्रेस-वे पर एक्सीडेंट का शिकार होने वाले लोगों को नहीं मिल पाता है। वहीं एम्बुलेंस (Ambulance) और पुलिस (Police) पिकेट की गाड़ियों की संख्या बढ़ा दी गई है।
यह भी पढ़े – टि्वटर पर भी CM योगी का जलवा कायम, अखिलेश यादव समेत इन नेताओं को पछाड़कर पहुंचे इतने मिलियन पार अब तक इतने लोग गवां चुके जान गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता केसी जैन को आरटीआई से मिले जवाब के मुताबिक, यमुना एक्सप्रेस-वे पर जनवरी 2017 तक तकरीबन 4505 लोग सड़क हादसों का शिकार हो चुके हैं। इनमें से करीब 626 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। वहीं हर साल तौत के इन आकड़ों में तेजी आती दिख रही है। वहीं 2015 की तुलना में एक्सप्रेस-वे पर 2016 में 30 फीसद यानी करीब 1193 हादसे ज्यादा हुए थे।