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यूपी में जा सकती है हजारों प्रोफेसरों की नौकरी, जानिए क्यों

नए सत्र में हजारों प्रोफेसरों की नौकरी पर तलवार लटक गई है।

नोएडाApr 18, 2018 / 02:50 pm

Rahul Chauhan

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ग्रेटर नोएडा। सभी कॉलेजों में नया सत्र शुरु होने जा रहा है। वहीं अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने भी अपने कॉलेजों में छात्र-शिक्षक का नया अनुपात तैयार किया है। वहीं इस नए अनुपात से हजारों प्रोफेसरों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। दरअसल, एआइसीटीई के कॉलेजों में लागू होने वाले नए अनुपात के तहत अधिकतम बीस सीट पर एक प्रोफेसर की नियुक्ति अनिवार्य की गई है। जो कि अभी तक 15 सीट पर एक प्रोफेसर का नियम है।
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नए नियम का होगा फायदा

नया नियम लागू होने के बाद अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों को यह छूट होगी कि वह बीस से कम सीट के लिए भी एक प्रोफेसर की नियुक्ति कर सकेंगे और इस नए नियम से कॉलेजों को फायदा होगा। हालांकि इससे हजारों शिक्षकों की नौकरी जा सकती है।
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कॉलेजों की स्थिति देख लिया फैसला

बता दें कि कॉलेजों में छात्रों की संख्या लगातार घट रही है। वहीं कॉलेजों के लिए सीटों के सापेक्ष संसाधन एवं प्रोफेसरों की संख्या बनाए रखना मजबूरी है। इसके चलते हालात यह हैं कि कॉलेजों के लिए खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है। इतना ही नहीं, इससे जूझने वाले कई कॉलेज तो सीटें सरेंडर कर चुके हैं, वहीं कई पर ताले लटक गए हैं। लगातार बंद हो रहे कॉलेजों को देखते हुए एआइसीटीई पर भी उनके खर्च को कम करने का दबाव है। इसके चलते नए सत्र में नया अनुपात लाया गया है।
एआइसीटीई सदस्य सचिव प्रोफेसर एपी मित्तल ने बताया है कि में शिक्षक छात्र अनुपात में कुछ बदलाव किए गए हैं। बीस सीट पर एक प्रोफेसर की नियुक्ति करनी होगी। इससे कम सीट के लिए भी एक प्रोफेसर रख सकते हैं।

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