1- 70 करोड़ की लागत से बने 20 करोड़ में गिरेंगे 70 करोड़ की लागत से बने ट्विन टावर को ध्वस्त करने में करीब 20 करोड़ रुपये का खर्च किए जा रहे हैं। करीब 3 साल में बनकर तैयार हुई इमारतों को महज 9 सेकंड में 3700 किलोग्राम विस्फोटक ध्वस्त करेगा।
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आखिर क्यों गिराए जा रहे Twin Tower, कैसे मामला पहुंचा था कोर्ट, यहां जानें 2. हेल्पलाइन नंबर जारी नोएडा प्राधिकरण ने एक कंट्रोल रूम बनाया है। इसमें तैनात अधिकारी सभी विभागों के साथ समन्वय रखेंगे। कंट्रोल रूम 28 अगस्त सुबह छह बजे से 30 अगस्त तक चौबीस घंटे संचालित होगा। कंट्रोल रूम में 01209-2425301, 0120-2425302, 0120-2425025 शिकायत कर सकते हैं।
3. नो फ्लाइंग जोन ट्विन टावर ब्लास्ट के दौरान कुछ समय के लिए पूरा क्षेत्र नो फ्लाइंग जोन होगा। प्राधिकरण ने इसको लेकर एयरपोर्ट अथॉरिटी से ऑफ इंडिया से बातचीत की है। इसके साथ ही क्षेत्र में ड्रोन उड़ाने पर भी प्रतिबंध रहेगा।
4. वायु प्रदूषण रोकेंगी एंटी स्मॉग गन ध्वस्तीकरण के बाद आवासीय परिसर के निकट धूल और वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए 15 स्थानों पर एंटी स्मॉग गन के साथ वाटर टैंकर की भी प्रबंध किया गया। आवश्यकता पड़ने पर और एंटी स्मॉग गन भी लगाई जाएंगी।
5. मलबे का निस्तारण तेज गति से होगा ध्वस्तीकरण के बाद मलबे का निस्तारण सेक्टर-80 के सीएंडडी वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट पर साइंटिफिक निस्तारण किया जाएगा। साफ-सफाई के लिए चार मैकेनिकल और 100 सफाईकर्मी मौजूद रहेंगे। सड़क फुटपाथ सेंट्रल वर्ज और पेड़ पौधों की धुलाई के लिए 50 वाटर टैंक लगाए जाएंगे।
6. कई बार बदली गई तारीखें सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को आदेश जारी करते हुए तीन महीने में गिराने के आदेश दिए थे। इसके बाद इस तारीख को आगे बढ़ाकर 22 मई 2022 किया गया, लेकिन तैयारी पूरी नहीं होने के कारण ध्वस्त नहीं किया गया। इसके बाद में सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित एजेंसियों को मोहलत दी।
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Twin Tower Demolition : किसी भी दिक्कत के लिए नोएडा प्राधिकरण ने बनाया कंट्रोल रूम, हेल्पलाइन नंबर किए जारी 7. देश में गिरने वाली सबसे ऊंची इमारत देश की यह लगभग 100 मीटर सबसे ऊंची इमारत होंगी, जिन्हें ताश के पत्तों की तरह ढहाया जाएगा। इससे पहले भारत में इतने ऊंचे अवैध निर्माण को नहीं तोड़ा गया है।
8. मलबा हटाने में लगेंगे 3 महीने दोनों इमारतों से करीब 35 हजार क्यूबिक मीटर मलबा निकलेगा। इसको साफ करने में कम से कम तीन महीने लगेंगे। 9. आखिर क्यों करना पड़ा गिराने का फैसला
रीयल इस्टेट सेक्टर और बायर्स के बीच ये एक ऐसी लड़ाई थी, जिसमें आम लोग भी भावनात्मक रूप से जुड़े। फायदे के लिए रियल इस्टेट सेक्टर ने नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों के साथ भ्रष्टाचार किया और इमारत की ऊंचाई बढ़ती चली गई। जैसे-जैसे टावर की ऊंचाई बढ़ी, विवाद भी लंबा होता चला गया। 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गिराने का आदेश दिया तो मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने एक साल पहले 31 अगस्त 2021 को सेक्टर-93ए में बने सुपरटेक टावरों को अवैध घोषित कर दिया था।
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सीएम योगी ने किया तीन परियोजनाओं का निरीक्षण, अधिकारियों ने ली राहत की सांस 10. सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को बताया था भ्रष्टाचार में लिप्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि टावर निर्माण में अनदेखी हुई है। नोएडा अथॉरिटी के भ्रष्टाचार में लिप्त होने पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए 3 महीने में ध्वस्त करने के आदेश दिए थे। यह फैसला एमराल्ड कोर्ट बायर्स की बड़ी जीत था।