सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ट्विन टावर गिराने का आदेश बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त को सुपरटेक ट्विन टावर पर अपना फैसला सुनाया था। कोर्ट ने आदेश दिया था कि 30 नवंबर तक दोनों अवैध टावर गिराया जाए। सुपरटेक बिल्डर के दोनों टावरों को गिराने के लिए कंपनी का चयन करना था, जिसमें विशेषज्ञ कंपनी के रूप में केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान काम करेगा। इसके साथ ही सुपरविजन का नोएडा विकास प्राधिकरण को करना है। लेकिन अभी तक दोनों टावर के ध्वस्तीकरण के लिए कंपनी का चयन नहीं किया गया है।
बिल्डर को उठाना है टावर गिराने का खर्च नोएडा विकास प्राधिकरण के एक अधिकारियों ने बताया कि आदेश के मुताबिक टावर तोड़ने में आने वाला खर्च बिल्डर को उठाना था। नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि टावर ब्लास्ट से तोड़े तो जाएंगे, लेकिन पूर्व में आकलन होना बहुत जरुरी है। आकलन से अनुमान लगाया जाएगा कि टावर टूटने पर सीधे नीचे बैठे, मलबा आस-पास फैलने से रोक लिया जाए। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण है कि ब्लास्ट से जमीन पर कंपन न हो जो जिससे आस-पास की दूसरी इमारतों के लिए खतरा बन जाए।
दोषियों पर गिर चुकी है गाज गौरतलब है कि सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा विकास प्राधिकरण पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि अधिकारियों और बिल्डर की मिलीभगत से यह टावर बनकर तैयार हुआ है। शायद यही वजह है कि नोएडा विकास प्राधिकरण सीईओ रितु माहेश्वरी ने सबसे पहले असिस्टेंट सीईओ स्तर के दो अधिकारियों की अध्यक्षता में टीम का जांच गठन किया, जिसने 7 अधिकारियों के नाम शासन को भेजे गए थे। वहीं शासन स्तर से इस मामले में SIT जांच हुई। इसमें दो अधिकारियों पर गाज गिरी और उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। SIT टीम ने लखनऊ विजिलेंस में दोषियों के खिलाफ मुकदमा भी लिखा गया है।