मूलरूप से बिजनौर की रहने वाली कृष्णा चौधरी किसान परिवार से ताल्लुक रखती है। कृष्ण को बचपन में ही पोलियो ने अपनी गिरफ्त में ले लिया था। पोलियो होने की वजह से स्कूल भी नहीं जाती थी। लिहाजा घर पर ही रहकर पढ़ाई की। कृष्णा बताती है कि एमए व बीएड की पढ़ाई की। लेकिन इस बीच उन्हें काफी दिक्कतें उठानी पड़ी थी। दोनों हाथ काम न करने की वजह से एग्जाम के दौरान राइटर की मदद लेनी पड़ती थी। उसकी यह व्यथा देखकर उनकी मांं अक्सर रोने लगती थी। कृष्णा ने बताया कि को रोता देखकर मुझे भी अच्छा नहीं लगता था। मां के आंसू पोछने के लिए गाना गाने लगती थी। उसी दौरान उम्र भी ज्यादा नहीं थी।
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उन्होंने बताया कि मां के आंसू रोकने के लिए गाने गाना शौक बन गया। लिहाजा उन्होंने शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि पड़ोस के लोग पढाई और संगीत सीखने के लिए मना करते थे। उन्होने बताया कि पड़ोस के लोग कहते थे कि इसकी शादी होगी नहीं तो फिर पढ़ाई और संगीत सीखने का क्या फायदा। उन्होंने बतााया कि कभी पैरंट्स और भाई-बहन ने उन्हें दिव्यांग होने का अहसास नहीं दिलाया। हमेशा मेरा हौसला बढ़ाते थे। उन्होंने बताया कि पैरेेंट्स और भाई—बहन के इस प्यार से हिम्मत बढ़ती चली गई। दिव्यांग होने के बाद भी कृष्णा ने अपने लिए मुकाम बना लिया। संगीत को उन्होंने अपनी जिंदगी में उतारा और एक रास्ता बना लिया। पेटिंग का भी है शौक कृष्णा को गाने का शौक बचपन से ही था। मां के आंसू रोकने के लिए गाने की वजह से शास्त्रीय संगीत की धुन लग गई। फिर उन्होंने कभी पीछे मुडकर नहीं देखा। संगीत में कृष्णा स्टेट व नैशनल लेवल पर अवॉर्ड भी हासिल कर चुकी है। पेंटिंग और मेहंदी लगाने का शौक रखती है। पेटिंग के लिए हाथ का इस्तेमाल नहीं कर पाती है, मुंह से ब्रश पकड़ती हैं। उसके बाद भी ये सुंदर पेंटिंग बनाती है। उन्होंने अपना यू-ट्यूब चैनल भी बना रखा है।
मिल चुके है अवार्ड गाने की शौकीन कृष्णा ने स्टेट पैरालिंपिक कमिटी की ओर से 2008 में आयोजित हुई प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल किया था। 2018 में एआर फाउंडेशन की तरफ से हयूमैनिटीज अचीवर अवॉर्ड मिला है। एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री डॉक्टर महेश शर्मा ने कृष्णा को सांस्कृतिक मंत्रालय में जॉब दिलाने का आश्वासन दिया है।