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शिवपाल यादव नई पार्टी बनाकर कर रहे इस रणनीति पर काम, अखिलेश की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

सूत्रों के मुताबिक भाजपा और शिवपाल के बीच चल रही है बातचीत। अखिलेश का कर सकते हैं बड़ा नुकसान।

नोएडाAug 29, 2018 / 06:05 pm

Rahul Chauhan

शिवपाल यादव नई पार्टी बनाकर कर रहे इस रणनीति पर काम, अखिलेश की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

नोएडा। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव व उनके चाचा शिवपाल यादव की राजनीतिक लड़ाई ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के सियासी परिदृश्य में एक नई राजनीतिक पार्टी को जन्म दे दिया। जी हां सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के गृहनगर इटावा की जसवंतनगर सीट से विधायक उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह ने लगभग डेढ़ वर्ष तक पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी न मिलने के बाद अपनी नई पार्टी समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के गठन का ऐलान कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग सपा में अनादर महसूस कर रहे हों उन्हें मेरे साथ आना चाहिए। मैं उन्हें हमेशा अपने साथ रखूंगा। ऐसा माना जा रहा है कि शिवपाल के नई पार्टी बनाने से समाजवादी पार्टी में मौजूद उनके समर्थकों को नई संजीवनी मिली है।
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आपको बता देें कि दो दिन पूर्व ही सपा की प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक ने पार्टी में घुटन महसूस होने और उसके सिद्धान्तों से भटकने के आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी थी। उसके बाद से ही सपा में अन्य असंतुष्टों के बीच चहलकदमी बढ़ गई थी। हालांकि सपा के पूर्व नेता व मौजूदा राज्यसभा सांसद अमर सिंह लगातार शिवपाल को भाजपा में शामिल कराने की कोशिश में लगे थे। लेकिन बाद में एक विशेष रणनीति के तहत भाजपा द्वारा शिवपाल यादव को नई पार्टी का गठन करने के लिए कहा गया।
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सूत्रों के मुताबिक शिवपाल यादव की नई पार्टी लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन कर सकती है। इस बात की संभावना इसलिए अधिक है क्योंकि शिवपाल सिंह यादव अपना नई पार्टी का जनाधार खड़ा करने के लिए भाजपा का सहारा ले सकते हैं। साथ ही वे अखिलेश को कड़ी टक्कर देकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपना वजूद भी दिखाना चाहेंगे। वहीं ऐसा होने से सपा, बसपा सहित विपक्षी दलों को बड़ा नुकसान हो सकता है।
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सूत्रों के मुताबिक ऐसा इसलिए कराया गया है क्योंकि अलग पार्टी बनाकर शिवपाल भाजपा का ज्यादा फायदा करा सकते हैं। इससे महागठबंधन को भी नुकसान होना तय माना जा रहा है। आपको बता दें अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच बढ़ी दूरियों के बाद से सपा के जिला संगठनों में भी दोनों गुटों के नेताओं में गुटबाजी बढ़ गई थी। हालांकि ये गुटबाजी सतह पर छोटे रुप में देखने को मिलती थी जो अब शिवपाल यादव के अलग पार्टी बनाने के बाद से ये गुटबाजी अपना-अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए बढ़ सकती है।

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