हिस्से बंटवारे के हुए आदेश दरअसल, पाक के पूर्व चीफ मार्शल अब्दुल रहीम रामपुर के नवाब खानदान के दामाद थे। उनका निकाह नवाब रजा अली खान की बेटी से हुआ था। उनकी बेटी शादी के बाद पाकिस्तान चली गईं। जो कि वर्तमान में अमेरिका के वाशिंगटन में रहती हैं। वहीं आज भी रामपुर में नवाब खानदान की बेशुमार संपत्ति मौजूद है। जिसके बंटवारे को लेकर पिछले 45 वर्ष से मुकदमेबाजी चल रही थी। वहीं जब मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो संपत्ति के बंटवारे के आदेश जारी हुए। जिसमें 86 वर्षीय मेहरुन्निशा को भी हिस्सेदार बनाया गया है। उनके पति का इंतकाल हो चुका है। जबकि इस संपत्ति में नवाब खानदान के कई ऐसे रिश्तेदार हैं जो विदेशों में रह रहे हैं। इनकी संपत्ति को सरकार कब्जे में ले सकती है।
दिसंबर 2020 तक बंटवारे के आदेश सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में दिसंबर 2020 तक जिला जज को इस्लामी शरीयत के हिसाब से बंटवारा कराने के आदेश दिए हैं। इसके बाद ही ये तय हो सकेगा कि इस संपत्ति में किसको कितना हिस्सा मिलेगा। इसके लिए जिला जज ने दो अधिवक्ताओं को कमिश्नर भी नियुक्त कर दिया है। जिनमें से एक अधिवक्ता कैलाश अग्रवाल का कहना है कि नवाब खानदान की खासबाग, लक्खी बाग, बेनजीर बाग, नवाब रेलवे स्टेशन समेत अरबों रुपये की संपत्ति रामपुर में मौजूद है। जिसके 16 हिस्सेदार हैं। वहीं 17 वें नंबर पर कस्टोडियन है। वहीं रामपुर के नवाब खानदान से पूर्व सांसद रहीं बेगम नूरबानो का कहना है कि मेहरुन्निशा बेगम शादी के बाद पाकिस्तान चली गईं थीं। अब वह अमेरिका में रहती हैं और एक लंब अर्से से रामपुर नहीं आई हैं।
ये बोले जिलाधिकारी इस मामले में रामपुर जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह का कहना है कि भारत-पाक बंटवारे के समय जो लोग हिदुंस्तान छोड़कर दूसरे देश में चले गए या जो लोग दूसरे देश के नागरिक हो गए हैं। साथ ही उनका कोई भी वारिस यहां नहीं है तो ऐसे लोगों की संपत्ति कस्टोडियन मानी जाएगी। जो भी नवाब खानदान के ऐसे लोग हैं उनकी भी संपत्ति कस्टोडियन में दर्ज होगी।