यह भी पढ़ें: अजब-गजब: जानिये, कैसे अंतिम संस्कार के बाद जिंदा घर लौटी महिला शनि देव के जन्म की कथा शास्त्रों के अनुसार, न्याय के देवता कहे जाने वाले शनि देव को प्रसन्न करने के लिए कई मंत्रों का जाप किया जाता है। शनि देव के जन्म की कई कथाएं प्रचलित हैं पर एक काफी मान्य है। पौरणिक कथा के अनुसार, शनि, सूर्य देव के पुत्र हैं। बताया जाता है कि सूर्य देव का विवाह संज्ञा से हुआ था, जिससे उन्हें मनु, यम और यमुना संतानें हुईं। इसके बाद जब संज्ञा सूर्य देव का तेज सहन नहीीं कर पाईं तो वह अपनी छाया को पति की सेवा में छोड़कर चली गईं। कुछ समय बाद सूर्य देव और छाया की संतान हुई, जिसका नाम शनि पड़ा।
यह भी पढ़ें: ट्रेन में बिकने वाली चाय कैसे बनती है, यह देखकर उड़ जाएंगे आपके होश ऐसे करें शिन देव का प्रसन्न पंडित शिवा गौड़ के अनुसार, शनि जयंती पर की जाने वाली पूजा और दान शनि देव के प्रकोप से बचाता है। इस दिन भक्त को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर नवग्रहों को नमस्कार करना चाहिए। इस दिन भक्त शनि देव की लोहे की मूर्ति को स्थापित करें। इसके बाद मूर्ति को सरसों या तिल के तेल से स्नान कराएं। फिर षोड्शोपचार पूजन करें। इसके साथ ही शनि
मंत्र ॐ शनिश्चराय नम: का जाप करें।
यह भी पढ़ें: IRCTC की बड़ी सौगात: ट्रेन में अकेले सफर करने वाली महिलाआें को मिलेंगी यह सुविधा दिन भर रहें निराहार इस दिन शनि देव की कृपा पाने के लिए दिन भर निराहार रहें। हालांकि, ध्यान रखें कि बुजुर्ग, मरीज व गर्भवती महिलाएं व्रत रखने की कोशिश न करें। पंडित शिव गौड़ ने बताया कि व्रत रखने के साथ ही शनि मंत्र का जाप भी करते रहें। शनि देव की कृपा पाने के लिए तिल, उड़द, कालीमिर्च, मूंगफली का तेल, आचार, लौंग, तेजपत्ता तथा काले नमक का उपयोग करना चाहिए। इतना ही नहीं उस दिन काले कपड़े, जामुन, काली उड़द, काले जूते, तिल, लोहा, तेल आदि वस्तुएं दान करने से शनि देव के प्रकोप से बचा जा सकता है। भिक्षुओं को भोजन कराने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा उस दिन
हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए।
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