दरअसल, आम्रपाल समूह पर आरोप है कि उसने अपनी आवासीय परियोजनाओं में विलंब किया, जिसकी वजह से मकान खरीददार पैसा चुकाने के बाद भी अपने घर के दरृदर भटक रहे हैं। इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने सख्त लहजे में चेतावनी देते हुए कहा कि न्यायालय लंबित आवासीय परियोजनाओं के निर्माण की लागत वसूल करने के लिए फर्म की एक-एक संपत्ति बेच देगा। इस दौरान पीठ ने अम्रपाली को निर्देश दिया कि 15 दिन के भीतर अपने प्रबंध निदेशक और अन्य निदेशकों की चल और अचल संपत्तियों की मूल्यांकन रिपोर्ट पेश करें। इस दौरान कोर्ट ने उन कंपनियों का विवरण भी मांगा, जो आम्रपाली परियोजनाओं के रखरखाव का काम देख रही हैं। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी के कार्यरत निदेशकों और 2008 के बाद से आम्रपाली समूह छोड़ चुके निदेशकों के भी विवरण के बारे में भी पूछताछ की।
वहीं, इस सुनवाई में अम्रपाली को राहत देते हुए कोर्ट ने आम्रपाली समूह की दो परियोजनाओं की बिजली आपूर्ति बहाल करने का भी बिजली कंपनियों को निर्देश दिया। गौरतलब है कि बिजली की बकाया भुगतान नहीं करने की वजह से आम्रपाली बिजली आपूर्ति काट दी थी।
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गौरतलब है कि नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन इंडिया लि. (एनबीसीसी) ने दो अगस्त को न्यायालय से कहा था कि वह करीब 42,000 मकान खरीदारों को फ्लैट का कब्ज़ा देने में विफल रही आम्रपाली समूह की कंपनियों की परियोजनायें अपने हाथ में लेने के लिए तैयार है। उस वक्त न्यायालय ने एनबीसीसी को इस संबंध में 30 दिन के भीतर ठोस प्रस्ताव पेश करने का निर्देश दिया था कि वे किस तरह और कितने समय के भीतर इन परियोजनाओं को पूरा करेंगे। इससे पहले, पीठ ने न्यायालय के साथ छल करने और घिनौना खेल खेलने के लिए आम्रपाली समूह को आड़े हाथ लेते हुये उसकी सभी 41 फर्मो के सारे बैंक खाते और चल संपत्तियां जब्त करने का आदेश दिण था। यही नहीं,कोर्ट ने आम्रपाली समूह को 2008 से अब तक के अपने सारे बैंक खातों का विवरण पेश करने और उसकी 40 फर्मो के निदेशकों के बैंक खाते जब्त करने का भी आदेश दिया था।